ईरान में धमाकों के बीच जागकर कट रही हैं भारतीयों की रातें
-कमजोर इंटरनेट सिग्नल से नहीं कर पा रहे परिवार से संपर्क तेहरान, एजेंसी तेहरान

तेहरान में फंसे भारतीय पिछले कई रातों से सो नहीं सके हैं। हर ओर धमाकों के बीच भूखे-प्यासे भारतीय जल्द से जल्द वहां से निकालने की गुहार लगा रहे हैं। इंटरनेट की धीमी रफ्तार परिवार से संपर्क में बाधक बन रही है। तेहरान में फंसे पश्चिम बंगाल के पर्वतारोही पांच रातों से सो नहीं सोए ईरान- इजरायल संघर्ष के बीच तेहरान में पश्चिम बंगाल के पर्वतारोही भी फंसे हैं। कोलकाता के एक कॉलेज में सहायक प्रोफेसर 40 वर्षीय फाल्गुनी डे ईरान की राजधानी के उत्तरपूर्वी किनारे पर 5,610 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एशिया की सबसे ऊंची ज्वालामुखी चोटी दामावंद को फतह करने के उद्देश्य से पांच जून को तेहरान पहुंचे थे।
डे अब किसी भी तरह से जल्द से जल्द वहां से निकलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बीते चार-पांच दिन से वह सो नहीं सके हैं और उनके पास पैसे भी नहीं बच हैं। डे का कहना है कि वहां बैंक बंद होने के कारण वह घर से और पैसा भी नहीं मंगा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास सड़क मार्ग से पड़ोसी देश जाने का निर्णय लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है जिससे वहां से वह विमान के जरिये स्वदेश लौट सकें। उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है। ईरान में फंसे हुए हैं कर्नाटक के 200 से अधिक लोग ईरान और इजरायल संघर्ष में कर्नाटक के भी 200 से अधिक लोग ईरान में फंसे हुए हैं। उनमें मेडिकल छात्र सहित कुछ व्यवसायी भी शामिल हैं। इंडो-ईरान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष सैयद हकीम रजा ने मंगलवार को कहा कि ईरान में फंसे हुए लोगों में 15 से अधिक मेडिकल छात्र और 50 से अधिक धार्मिक अध्ययन के लिए गए विद्यार्थी शामिल हैं। इसके साथ ही राज्य के कई व्यवसायी भी वहां फंस गए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास लगातार उनके संपर्क में है और तेहरान से मेडिकल छात्रों को क़ोम शहर भेजना शुरू कर दिया है। कर्नाटक के बहुत से लोग अब क़ोम में जमा हैं। कर्नाटक के एक छात्र नदीम हुसैन ने भारत लौटने के लिए कर्नाटक सरकार की प्रवासी भारतीय (एनआरआई) समिति से संपर्क किया है। समिति की उपाध्यक्ष आरती कृष्णा ने बताया कि उन्होंने नदीम सहित सभी नौ छात्रों को सुरक्षित निकालने में मदद के लिए विदेश मंत्री को लिखा है। डरावने हालात, घरवालों से संपर्क भी नहीं हो रहा तेहरान विश्वविद्यालय में एमबीबीएस तृतीय वर्ष की छात्रा मेहरीन जफ़र उन 70 भारतीय छात्रों में शामिल हैं जो ईरान से निकलने का इंतजार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वहां हालात बेहद डरावने हैं। कमजोर इंटरनेट सिग्नल के कारण वह घरवालों से संपर्क भी नहीं कर पा रही हैं। उन्होंने कहा कि वह लगातार मदद की मांग कर रही हैं लेकिन अभी तक उन्हें कुछ आश्वासन नहीं मिला है। बेटा व बेटी दोनों फंसे थे श्रीनगर के सुहैल कादरी ने बताया कि उनकी बेटी और बेटे दोनों तेहरान में फंसे थे लेकिन अब उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है। उन्होंने कहा कि उनके परिवार के लिए यह बहुत कठिन समय है। उनकी बेटी बहुत डरी हुई थी क्योंकि उसके कॉलेज के ठीक पास ही एक बम गिरा था। गाजियाबाद के छात्र के परिजन चिंतित ईरान में गाजियाबाद के लोनी का रहने वाला रिजवान हैदर भी फंस गया है। बेटे की सुरक्षित वापसी के लिए परिजनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है। परिवार ने बताया कि उनका बेटा हॉस्टल से खाना खाने बाहर गया तो उसके हॉस्टल पर हुई बमबारी में हॉस्टल की इमारत ध्वस्त हो गई। जिसके बाद छात्रों को दूसरे हॉस्टल में स्थानांतरित किया गया है। आर्मेनिया पहुंचकर ली राहत की सांस उर्मिया विश्वविद्यालय के भारतीय छात्र हुजैफ मलिक ने कहा कि वह उर्मिया में थे जो तेहरान के अपेक्षाकृत सुरक्षित था। फिर भी अब उन्हें व कुछ अन्य छात्रों को बस द्वारा आर्मेनिया पहुंचा दिया गया है जिसके बाद थोड़ी राहत है। इजरायल में भी फंसा बेंगलुरु का प्रतिनिधिमंडल इजरायल में भी बेंगलुरु पॉलिटिकल एक्शन कमिटी (बी-पैक) का 18 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल बीते तीन दिनों से फंसा हुआ है। प्रतिनिधिमंडल नगरीय प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर अध्ययन के लिए इजरायल गया था। इसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के सदस्यों के अलावा कुछ अन्य लोग भी शामिल थे। इजरायल में सभी हवाई अड्डे बंद होने से यह दल वहां फंस गया है। -------------------------------------------
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