नोएडा एयरपोर्ट पर होगी राफेल और मिराज की मरम्मत, ट्रेनिंग को खुलेगी यूनिवर्सिटी; 10वीं पास को मौका
फ्रांस की विमान निर्माता कंपनी डसॉल्ट नोएडा एयरपोर्ट के परिसर में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान राफेल और मिराज-2000 की मरम्मत और रखरखाव का कार्य करेगी। कंपनी इसके लिए एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (उत्कृष्टता केंद्र) और विश्वविद्यालय स्थापित करेगी।

फ्रांस की विमान निर्माता कंपनी डसॉल्ट नोएडा एयरपोर्ट के परिसर में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान राफेल और मिराज-2000 की मरम्मत और रखरखाव का कार्य करेगी। कंपनी इसके लिए एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (उत्कृष्टता केंद्र) और विश्वविद्यालय स्थापित करेगी। यहां युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
यमुना प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि उत्कृष्टता केंद्र और विश्वविद्यालय में विमानन क्षेत्र से संबंधित पाठ्यक्रम और अप्रेंटिसशिप (प्रशिक्षण) प्रदान किए जाएंगे। इससे इस क्षेत्र में कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा। योजना के अनुसार, हाई स्कूल और पॉलिटेक्निक स्तर पर एयरोनॉटिकल पाठ्यक्रम शुरू होंगे। दसवीं पास छात्र तीन साल का डिप्लोमा कोर्स और एक साल का एमआरओ अप्रेंटिसशिप कर सकेंगे।
बारहवीं पास छात्रों के लिए एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस, वेक्टर और एवियोनिक्स एयरक्राफ्ट्स में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री दी जाएगी। इसके अलावा 10वीं पास छात्रों के लिए एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस का छह महीने का शॉर्ट टर्म प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी कराया जाना प्रस्तावित है।
एयरपोर्ट के दूसरे चरण में एमआरओ हब विकसित होगा
नोएडा एयरपोर्ट के दूसरे चरण में एमआरओ हब (रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल सुविधा केंद्र) विकसित होगा। इसके लिए डसॉल्ट कंपनी को 1365 हेक्टेयर जमीन देने की तैयारी है। यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि फ्रांस की डसॉल्ट कंपनी ने सबसे पहले कौशल विकास विभाग से बातचीत शुरू की थी। इसके बाद रक्षा मंत्रालय और अंततः उत्तर प्रदेश सरकार इसमें शामिल हुई। कंपनी को यीडा क्षेत्र में भूमि देने पर सहमति बन गई है। यहां पहले से ही 40 एकड़ में एमआरओ प्रस्तावित है, जिसमें यात्री विमानों की मरम्मत का कार्य होगा। हालांकि, अब डसॉल्ट के आने के बाद एक और एमआरओ हब वहीं पर बनेगा, जिसमें लड़ाकू विमानों के रखरखाव और मेंटेनेंस का कार्य किया जाएगा। अगले छह महीने में इसके परिचालन की उम्मीद है। कंपनी धीरे-धीरे अपनी गतिविधियों का विस्तार करेगी।
तमिलनाडु छोड़कर यूपी में निवेश करेगी कंपनी
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि फ्रांस की कंपनी पहले तमिलनाडु जा रही थी। इसके बाद कंपनी को उत्तर प्रदेश में निवेश का प्रस्ताव दिया गया। वार्ता के बाद कंपनी यूपी में निवेश करने को सहमत हुई। भारत में एमआरओ उद्योग वर्ष 2021 में 1.7 बिलियन डॉलर का था, जो 2030 तक सात बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। साथ ही कंपनी को यहां निवेश करने पर एफडीआई पॉलिसी के तहत 12 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिलेगी।
अभी दूसरे देशों पर निर्भरता
वर्तमान में भारत की एमआरओ के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता है। देश में 713 एयरक्राफ्ट हैं। वर्ष 2031 तक इनकी संख्या बढ़कर 1522 होने की संभावना जताई जा रही। साथ ही भारतीय वायुसेना में 36 राफेल और करीब 50 मिराज-2000 हैं। सूत्रों के अनुसार, इनके लिए मेंटेनेंस लागत कुल राजस्व की 12 से 15 प्रतिशत तक होती है। ऐसे में एयरपोर्ट परिसर और आसपास एमआरओ हब बनने की योजना तैयार हुई है। इसके बनने के बाद अमेरिका, चीन और सिंगापुर पर निर्भरता खत्म हो जाएगी।