why delhi people with less age has more risk of blood cancer aiims doctors and experts explained दिल्ली में कम आयु वालों में क्यों बढ़ रहा ब्लड कैंसर का खतरा? विशेषज्ञों ने बताया, Ncr Hindi News - Hindustan
Hindi Newsएनसीआर Newswhy delhi people with less age has more risk of blood cancer aiims doctors and experts explained

दिल्ली में कम आयु वालों में क्यों बढ़ रहा ब्लड कैंसर का खतरा? विशेषज्ञों ने बताया

दिल्ली में हर साल रक्त कैंसर में एक्यूट मायलॉयड ल्यूकेमिया (AML) के कम से कम 3,000 मामले सामने आ रहे हैं। चिंता की बात यह है कि यह आक्रामक ब्लड कैंसर अब 30 से 40 वर्ष की उम्र के लोगों में भी तेजी से फैल रहा है। एम्स के एडिशनल प्रोफेसर डॉक्टर रंजीत साहू ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

Utkarsh Gaharwar हिन्दुस्तान, दिल्लीWed, 28 May 2025 08:22 AM
share Share
Follow Us on
दिल्ली में कम आयु वालों में क्यों बढ़ रहा ब्लड कैंसर का खतरा? विशेषज्ञों ने बताया

दिल्ली में हर साल रक्त कैंसर में एक्यूट मायलॉयड ल्यूकेमिया (AML) के कम से कम 3,000 मामले सामने आ रहे हैं। चिंता की बात यह है कि यह आक्रामक ब्लड कैंसर अब 30 से 40 वर्ष की उम्र के लोगों में भी तेजी से फैल रहा है। एम्स के एडिशनल प्रोफेसर डॉक्टर रंजीत साहू ने मंगलवार को यह जानकारी दी। विशेषज्ञों के अनुसार, यह गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बनती जा रही है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।

आंकड़ों के मुताबिक,एएमएल कैंसर से पीड़ित सिर्फ 30 फीसदी मरीज ही पूरा इलाज करवा पाते हैं। इलाज में सबसे बड़ी बाधा आर्थिक तंगी और अपर्याप्त बीमा सुरक्षा है, जिसके कारण अधिकतर मरीज समय पर इलाज नहीं ले पाते। विशेषज्ञों का मानना है कि एएमएल को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकता में शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि इसके मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और समय रहते कदम न उठाने पर अनावश्यक जानें जा रही हैं। विशेषज्ञों ने सरकार से अपील की कि बढ़ती गंभीरता को देखते हुए इसके इलाज और जांच को सुलभ और सस्ता बनाया जाए।

एम्स के डीएम (मेडिकल ऑन्कोलॉजी) प्रोफेसर (एडिशनल) डॉ. रंजीत साहू ने बताया कि हम समय गंवा देते हैं,क्योंकि एएमएल का देर से पता चलता है। यह थकान या संक्रमण जैसा दिखता है और जब तक सही जांच होती है, तब तक बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है। एक सामान्य ब्लड टेस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है, लेकिन एएमल का इलाज सिर्फ उच्चस्तरीय चिकित्सा केंद्रों में ही संभव है और सहायक इलाज की लागत भी बहुत अधिक है।