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तेजी से बढ़ रहे तीन 'सिटी किलर', वैज्ञानिकों की चेतावनी- परमाणु बम से 10 गुना ज्यादा तबाही

वैज्ञानिकों का कहना है कि सूर्य की रोशनी के कारण धरती से इन क्षुद्रग्रहों को देखना असंभव है। अगर ये धरती की तरफ मुड़े तो टकराव की स्थिति में परमाणु बम से 10 गुना ज्यादा ऊर्जा निकल सकती है।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानThu, 29 May 2025 02:53 PM
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तेजी से बढ़ रहे तीन 'सिटी किलर', वैज्ञानिकों की चेतावनी- परमाणु बम से 10 गुना ज्यादा तबाही

एक ताजा वैज्ञानिक चेतावनी ने पूरी दुनिया की नींद उड़ा दी है। अंतरिक्ष में घूम रहे तीन विशाल 'सिटी डिस्ट्रॉयर' एस्टरॉइड्स धरती की ओर बढ़ रहे हैं। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि सूर्य की रोशनी के कारण इन्हें देखना असंभव है और टकराव की स्थिति में ये धरती पर 3 किलोमीटर चौड़ा गड्ढा बना सकते है। इनसे निकलने वाली ऊर्जा हीरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से दस लाख गुना ज्यादा हो सकती है।

यह अध्ययन 'Astronomy and Astrophysics' नामक वैज्ञानिक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। ब्राज़ील की साओ पाउलो स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक वलेरियो कारुब्बा की अगुवाई में की गई इस रिसर्च में बताया गया है कि ये तीन एस्टरॉइड— 2020 SB, 524522, और 2002 CL1 — इस समय शुक्र ग्रह की कक्षा में घूम रहे हैं, लेकिन इनकी स्थिति बेहद खतरनाक है।

सूरज की चमक में छुपे

इन एस्टरॉइड्स को पृथ्वी से देख पाना लगभग असंभव है क्योंकि ये सूरज की तेज रोशनी में छुपे हुए हैं। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि किसी भी प्रकार की गुरुत्वीय खिंचाव इनकी दिशा में हल्का सा भी बदलाव लाता है, तो ये धरती की ओर मुड़ सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो टकराव की स्थिति में 3 किलोमीटर चौड़ा गड्ढा बन सकता है और हीरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से दस लाख गुना ज़्यादा ऊर्जा निकल सकती है।

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अध्ययन में कहा गया है, "ये एस्टरॉइड शुक्र ग्रह से तो टकराव से सुरक्षित हैं, लेकिन धरती से नहीं। और सबसे बड़ा खतरा यह है कि इन्हें समय पर देखना लगभग असंभव है।"

चिली में स्थित रुबिन ऑब्जर्वेटरी जैसे वेधशालाएं ऐसी गतिविधियों पर नज़र रखती हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि संभावित टकराव से सिर्फ 2 से 4 हफ्ते पहले ही इन ऐस्टरॉइड्स का पता चल पाएगा और तब तक बहुत देर हो सकती है। अध्ययन में यह भी सुझाव दिया गया है कि यदि इन छुपे हुए क्षुद्रग्रहों को समय रहते पहचानना है, तो इसके लिए शुक्र ग्रह के पास एक विशेष अंतरिक्ष मिशन भेजना होगा, जो सूरज की रोशनी से परे जाकर निगरानी कर सके।

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