किचन का वास्तु ठीक ना हो तो सेहत के साथ-साथ जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। घर के किसी भी कोने में वास्तु दोष होने से नकारात्मक ऊर्जा का संचार काफी बढ़ जाता है। वहीं, किचन का वास्तु दोष खराब सेहत, धन से जुड़ी पर दिक्कतें, परिवार में कलह-क्लेश, तनाव आदि का कारण भी बन सकता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, बिना तोड़-फोड़ के भी आप अपने किचन का वास्तु दोष दूर कर सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ आसान तरीके जिनकी मदद से किचन के वास्तु दोष राहत मिल सकती है।
घर का मुख्य द्वार और किचन का द्वार आमने-सामने नहीं होना चाहिए। ऐसे में अगर आपके मुख्य द्वार के सामने किचन का दरवाजा है तो आप किचन के दरवाजे और मुख्य द्वार के दरवाजे के बीच पर्दा लगा सकते हैं। वास्तु दोष के प्रभाव को कम करने के लिए किचन के उत्तर व पूर्व दिशा की दीवारों पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
किचन को गलत दिशा में बनवाने से भी वास्तु दोष उत्पन्न होता है। अगर किसी कारणवश सही दिशा में किचन का निर्माण नहीं करवा सकते हैं तो घर के अग्नि कोण यानी पूर्व दक्षिण की दिशा के बीचों बीच एक लाल रंग के बल्ब का इस्तेमाल करें। इस बल्ब को सुबह व शाम को जलाने से वास्तु दोष को प्रभाव कम कर सकते हैं।
किचन में पानी के सिंक के पास चूल्हा बिल्कुल भी नहीं रखना चाहिए। कोशिश करें जितना हो सके सिंक से दूर चूल्हा रखें। चूल्हा अग्नि तत्व व सिंक जल तत्व है, जिसे पास-पास नहीं रखना चाहिए। ऐसा न होने पर वास्तु दोष उत्पन्न होता है।
किचन में पीने का पानी ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। आग्नेय कोण यानी पूर्व-दक्षिण दिशा के बीच में चूल्हा रखना चाहिए। चूल्हा इस प्रकार रखना चाहिए कि खाना बनाने वाले व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर हो। डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।