शनि का रत्न माना जाता है नीलम। रत्न शास्त्र में इस रत्न को बेहद ही सक्तिशाली माना गया है। नीले रंग का नीलम धारण करने से शनि ग्रह को मजबूत कर सकते हैं। हर किसी को नीलम सूट नहीं करता। आइए जानते हैं नीलम धारण करने का सही तरीका व इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें-
यह रत्न कम से कम 7 से सवा 8 रत्ती का धारण करना चाहिए। गंगाजल, और कच्चे दूध से पहले नीलम की शुद्धि करें। फिर इसे शनि देव को अर्पित कर दें। विधिवत पूजा-अर्चना करें। कुछ देर के बाद इस रत्न को मध्यमा उंगली में धारण कर लें। नीलम रत्न को पंचधातु में जड़वा कर धारण किया जा सकता है।
शनि ग्रह से संबंधित होने के कारण नीलम को शनिवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है। वहीं, इसे धारण करने से पहले शुद्धि करना जरूरी माना जाता है।
नीले कपड़े में कम से कम 5 रत्ती के नीलम को बांधे और तकिए के नीचे रातभर के लिए रखकर सो जाएं। नीलम रत्न सूट करने पर आपको सपने अच्छे आएंगे। नीलम के शुभ परिणाम के रूप में आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और अकास्मिक धन लाभ भी हो सकता है। व्यापार और सेहत की स्थिति भी अच्छी रहती है।
नीलम रत्न को शनि देव का रत्न माना जाता है। इसलिए कुंभ राशि और मकर राशि के जातकों के लिए नीलम रत्न धारण करना शुभ साबित हो सकता है।
चोटी-चपेट लगने की भी संभावना रहती है। खर्च बढ़ सकते हैं। व्यापार में घाटा हो सकता है। परिवार में क्लेश हो सकता है। बनने वाला काम भी बिगड़ने लगता है।
नीलम के साथ मूंगा, माणिक्य और मोती नहीं पहनना चाहिए। वहीं, किसी भी रत्न को धारण करने से पहले आपको कुंडली में अपने ग्रहों की स्थिति जरूर देखनी चाहिए और ज्योतिषाचार्य की सलाह लेना ज्यादा बेहतर रहेगा। डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।