घर के दक्षिण और पश्चिम दिशा के बीच के स्थान यानी कोने को नैऋत्य कोण कहा जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि नैऋत्य कोण का संबंध राहु और केतु से होता है। ये दोनों ही इस दिशा के स्वामी होते हैं।
यदि आप नैऋत्य कोण यानी दक्षिण-पश्चिम दिशा में मंदिर बनवा रहे हैं, तो ऐसी गलती बिल्कुल न करें। इस दिशा में भूलकर भी पूजा घर नहीं बनवाना चाहिए। इससे पूजा में बाधा आती है और परिवार के सदस्यों का मन शांत नहीं रहता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, कभी भी घर के नैऋत्य कोण में रसोई घर का निर्माण नहीं करवाना चाहिए। इससे परिवार के सदस्यों के जीवन में एक के बाद एक कई समस्याएं आ सकती हैं और इससे घर की खुशहाली पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
वास्तु शास्त्र में इस स्थान पर बोरिंग, कुआं या किसी भी प्रकार का गड्ढा बनवाने की मनाही होती है। ऐसा करने से घर में वास्तु दोष लग सकता है और जीवन में समस्याएं दस्तक देनी लगती है।
अगर आपके घर के नैऋत्य कोण में अंधेरा रहता है, तो यह दरिद्रता और गरीबी का सबसे बड़ा कारण बन सकता है। इससे परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है और घर में आए दिन छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होने लगते हैं।
वास्तुशास्त्र के मुताबिक, घर के नैऋत्य कोण यानी दक्षिण-पश्चिम दिशा में अलमारी, भारी फर्नीचर जैसी टिकाऊ चीजें रख सकते हैं। ऐसा करने से घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है।
यह खबर सामान्य जानकारियों, धर्म ग्रंथों और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। किसी भी तरह की विशेष जानकारी के लिए धर्म विशेषज्ञ से उचित सलाह लें।