यह पुल चेनाब नदी के तट पर इन दो गांवों के बीच स्थित है। चेनाब रेल पुल के दो छोर कौड़ी और बक्कल हैं। पीएम मोदी द्वारा इसके उद्धाटन के बाद वंदे भारत ट्रेन इस पर से दौड़नी शुरू हो जाएगी।
इस रेल ब्रिज को बनाने में तकनीक का खास इस्तेमाल किया गया है। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक अगर तकनीकी मापदंडों की बात की जाए, तो इस पुल को 260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बहने वाली हवा को झेलने के लिए डिजाइन किया गया है। चूंकि, यह पुल भूकंपीय क्षेत्र पांच में आता है, इसलिए इसका डिजाइन तैयार करना एक जटिल प्रक्रिया थी।
चेनाब रेलवे पुल नदी तल से 359 मीटर ऊपर स्थित है। यह करीब 1.3 किलोमीटर है और पेरिस के एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है। यह पुलिस कटरा से बनिहाल तक 111 किलोमीटर के मार्ग में एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
कश्मीर को रेल मार्ग से देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने की महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम 1997 में शुरू हुआ था। हालांकि, भूवैज्ञानिक, स्थलाकृतिक और मौसम संबंधी चुनौतियों के कारण परियोजना को पूरा करने की समय-सीमा कई बार बढ़ाई गई, जिससे इसकी लागत बढ़ गई और यह 41,000 करोड़ रुपए से अधिक राशि में पूरी हो पाई।
चेनाब रेलवे ब्रिज का मजबूत बनाने के लिए खासी मेहनत की गई है। इस पुल की नींव फुटबॉल मैदान के आधे हिस्से के बराबर है। इसके निर्माण में 30,000 टन इस्पात का इस्तेमाल किया गया है।
चेनाब रेल पुल की सुरक्षा के लिए भी खास इंतजाम किया गया है। यहां पर भारतीय सेना के जवानों की चौकस निगरानी रहेगी।
कुल 272 किलोमीटर लंबी यूएसबीआरएल परियोजना के 209 किलोमीटर हिस्से का काम विभिन्न चरणों में पूरा किया गया। 46 किलोमीटर लंबे संगलदान-रियासी खंड का काम भी पिछले साल जून में पूरा हो गया था, जबकि रियासी और कटरा के बीच 17 किलोमीटर का हिस्सा बचा था, जो आखिरकार पिछले साल दिसंबर में पूरा हुआ।
चेनाब रेल ब्रिज जितना मजबूत है, देखने में उतना ही भव्य भी है। इस तस्वीर में इसकी भव्यता साफ दिखाई दे रही है।