भगवान सिंह रोलसाहबसर के निधन पर नेताओं की उमड़ी भीड़... आखिर कौन थे ये शख्स?
श्रीक्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक और प्रख्यात समाजसेवी भगवान सिंह रोलसाहबसर का गुरुवार देर रात निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे। उन्होंने जयपुर के एसएमएस अस्पताल में अंतिम सांस ली।

श्रीक्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक और प्रख्यात समाजसेवी भगवान सिंह रोलसाहबसर का गुरुवार देर रात निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे। उन्होंने जयपुर के एसएमएस अस्पताल में अंतिम सांस ली। बीते कुछ दिनों से वे किडनी और अन्य अंगों की कमजोरी के चलते वेंटिलेटर पर थे। उनके निधन से न केवल क्षत्रिय समाज, बल्कि संपूर्ण राजस्थान में शोक की लहर फैल गई। अंतिम दर्शन के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समेत कई प्रमुख नेता पहुंचे।
अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
भगवान सिंह रोलसाहबसर की पार्थिव देह को अंतिम दर्शनों के लिए जयपुर स्थित संघ शक्ति भवन में रखा गया था, जहां हजारों लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। इसके बाद 6 जून को दोपहर 4 बजे उनका अंतिम संस्कार झोटवाड़ा स्थित लता सर्किल श्मशान घाट पर किया गया।
2023 विधानसभा चुनाव में कई नेताओं को दिलवाई टिकट
सूत्र बताते है कि साल 2023 के विधानसभा चुनाव में भगवान सिंह रोलसाहबसर ने भाजपा और कांग्रेस से राजपूत प्रत्याशियों को टिकट देने की मांग की रोलसाहबसर दिल्ली गए दिल्ली में कई दिग्गजों से मुलाकात की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर राजस्थान में 35 टिकट राजपूत प्रत्याशियों को देने के लिए कहा
रोलसाहबसर कांग्रेस के कई नेताओं से भी मिले नतीजा ये रहा कि भाजपा ने राजस्थान में 25 टिकट पर राजपूत प्रत्याशियों को मौका दिया और कांग्रेस ने भी 20 सीटों पर राजपूत प्रत्याशियों को मौका दिया।
सादा जीवन, उच्च विचार
भगवान सिंह का जन्म 2 फरवरी 1944 को सीकर जिले के रोलसाहबसर गांव में हुआ था। वे मेघ सिंह और गोम कंवर की पांचवीं संतान थे। उनका विवाह सिवाना के ठाकुर तेज सिंह की पुत्री से हुआ। जीवन के उत्तरार्ध में वे बाड़मेर के गेहूं रोड स्थित ग्राम्य आलोकायन आश्रम में निवास करते थे, जहां वे युवाओं को अनुशासन, संस्कार, कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्रभक्ति की शिक्षा देते थे।
राजनीति से दूरी, समाज सेवा को समर्पण
भगवान सिंह ने कभी राजनीति की राह नहीं चुनी। 1963 में रतनगढ़ (चूरू) में आयोजित सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर से उनकी श्रीक्षत्रिय युवक संघ के साथ यात्रा शुरू हुई। इसके बाद वे संघ के समर्पित स्वयंसेवक बने और वर्ष 1989 में उन्हें संगठन का प्रमुख बनाया गया। उन्होंने देशभर में करीब 500 से अधिक शिविरों में भाग लिया और क्षत्रिय समाज को संगठित करने, चारित्रिक उत्थान व नैतिक मूल्यों के प्रचार-प्रसार में जुटे रहे।
संघटन निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका
उन्होंने श्रीप्रताप फाउंडेशन की स्थापना कर समाज और जनप्रतिनिधियों के बीच की दूरी को पाटने का प्रयास किया। इसके साथ ही उन्होंने यथार्थ गीता के प्रचार-प्रसार का भी बीड़ा उठाया और अड़गड़ानंदजी महाराज के मार्गदर्शन में भारत के विभिन्न हिस्सों में जाकर आध्यात्मिक संदेश समाज तक पहुंचाया।
नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक बने
4 जुलाई 2021 को उन्होंने श्रीक्षत्रिय युवक संघ का नेतृत्व लक्ष्मण सिंह बैण्यांकाबास को सौंपा और संरक्षक की भूमिका में आ गए। इसके बाद भी वे युवाओं के लिए पथप्रदर्शक और प्रेरणास्रोत बने रहे। उनके आश्रम में समय-समय पर कई सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित होते रहे, जिनमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल होते रहे।
राजनीतिक-सामाजिक जगत ने दी श्रद्धांजलि
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भगवान सिंह रोलसाहबसर के निधन पर गहरा शोक जताते हुए उन्हें पितृतुल्य बताया। शेखावत ने कहा कि उनका जाना जनसेवा और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। दो दिन पहले SMS अस्पताल में उनके दर्शन करना हुआ, वह पल हमेशा स्मृति में रहेगा। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति दें। परिजनों व अनुयायियों को शोक सहन करने की शक्ति मिले। भगवान सिंह के निधन पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, सचिन पायलट समेत कई नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने भगवान सिंह के निधन को क्षत्रिय समाज और राजस्थान की सामाजिक चेतना के लिए अपूरणीय क्षति बताया।
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