फादर्स डे पर मिली बेटे की मौत की खबर...केदारनाथ हेलीकॉप्टर क्रैश में जयपुर के पायलट राजवीर सिंह की मौत
केदारनाथ की पावन वादियों में रविवार सुबह एक दर्दनाक मंजर देखने को मिला। श्रद्धालुओं से भरा एक बेल-407 हेलिकॉप्टर अचानक गौरीकुंड के पास क्रैश हो गया। इस क्रैश में सात लोगों की जान चली गई। लेकिन इस हादसे की सबसे करुण कहानी जयपुर के रहने वाले पायलट राजवीर सिंह चौहान (37) की है |

केदारनाथ की पावन वादियों में रविवार सुबह एक दर्दनाक मंजर देखने को मिला। श्रद्धालुओं से भरा एक बेल-407 हेलिकॉप्टर अचानक गौरीकुंड के पास क्रैश हो गया। हादसा सुबह 5:20 बजे हुआ। इस क्रैश में सात लोगों की जान चली गई। लेकिन इस हादसे की सबसे करुण कहानी जयपुर के रहने वाले पायलट राजवीर सिंह चौहान (37) की है, जो खुद एक पिता थे – और संयोग देखिए, फादर्स डे के दिन ही उनके जुड़वा बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया।
राजवीर न सिर्फ एक अनुभवी सेना अधिकारी थे, बल्कि हाल ही में पिता बनने की खुशी भी उनके जीवन में लौ की तरह जल रही थी। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। हादसे की खबर सुबह 7:45 बजे उनके पिता गोविंद सिंह चौहान को मिली, जब राजवीर के साथी कैप्टन वीके सिंह का कॉल आया। उन्होंने बताया कि राजवीर आखिरी बार लैंडिंग के लिए "लेफ्ट टर्न" ले रहे थे, तभी हेलिकॉप्टर रडार से गायब हो गया और हादसे में बदल गया।
पिता का दर्द छलक पड़ा — "आज फादर्स डे है... और आज ही बेटे की मौत की खबर मिली। मुझे विश भी नहीं कर पाया..."
एक सपना जो आसमान में ही टूट गया
राजवीर बचपन से ही पायलट बनने का सपना देखते थे। जयपुर के शास्त्री नगर के स्कूल से पढ़ाई कर, सुबोध कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने NCC जॉइन की थी। सेना में जाकर लेफ्टिनेंट कर्नल बने और आर्मी एविएशन में शानदार सेवाएं दीं। उनके पास 2000 घंटे का फ्लाइंग एक्सपीरियंस था। सियाचिन जैसे कठिन इलाकों में 2 साल की पोस्टिंग रही। बाढ़ और आपदा में रेस्क्यू ऑपरेशन भी किए।
सेना से रिटायरमेंट के बाद उन्होंने सितंबर 2024 में आर्यन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड जॉइन की। लेकिन पत्नी की डिलीवरी के चलते लंबी छुट्टी ली और सिर्फ डेढ़ महीने पहले ही उड़ानें शुरू की थीं।
चार महीने पहले ही पिता बने थे, 30 जून को था बड़ा फंक्शन
2011 में शादी हुई थी। 14 साल बाद संतान सुख मिला, वह भी जुड़वा बेटों के रूप में। पूरा परिवार इस खुशी को बड़े जश्न में बदलना चाहता था। 30 जून को जयपुर में एक भव्य फंक्शन की तैयारी थी। गार्डन बुक हो चुका था। राजवीर 25 जून को छुट्टी लेकर घर आने वाले थे। लेकिन उससे पहले ही मौत ने दस्तक दे दी।
पत्नी भी आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं और अगले महीने उनका प्रमोशन होना था। पति-पत्नी दोनों ही पठानकोट में पोस्टेड थे। लेकिन मातृत्व के चलते राजवीर घर पर रहे। दोनों की जिंदगी एक सुनहरे मोड़ पर थी, जहां नए जन्म, नया घर, नया भविष्य सब कुछ इंतजार कर रहा था... पर अब सब ठहर गया।
दौसा से जयपुर तक का सफर
राजवीर मूल रूप से दौसा के महवा क्षेत्र से थे। परिवार ने जयपुर में बसने का निर्णय लिया था। पढ़ाई में शुरू से अव्वल, मिलनसार स्वभाव के राजवीर की जीवन कहानी युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत थी। लेकिन इस हादसे ने सब खत्म कर दिया।
हादसे में सात की मौत, मासूम बच्चा भी शामिल
इस बेल-407 हेलिकॉप्टर में पायलट समेत सात लोग सवार थे। सभी की मौत हो गई। मरने वालों में दो-दो यात्री उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, एक-एक गुजरात और उत्तराखंड से थे। एक दो साल का मासूम बच्चा भी इस त्रासदी का शिकार बना।
मृतकों की सूची:
1. पायलट राजवीर सिंह (जयपुर, राजस्थान)
2. विक्रम रावत (बीकेटीसी, ऊखीमठ)
3. विनोद देवी (उत्तर प्रदेश)
4. तृष्टि सिंह (उत्तर प्रदेश)
5. राजकुमार सुरेश (गुजरात)
6. श्रद्धा जायसवाल (महाराष्ट्र)
7. राशि (महाराष्ट्र)
आखिरी अल्फाज़ – "लेफ्ट टर्न ले रहा हूं..."
राजवीर की आखिरी कॉल थी – "लेफ्ट टर्न ले रहा हूं, लैंडिंग के लिए जा रहा हूं..." इसके बाद कोई संपर्क नहीं हुआ। माना जा रहा है कि खराब मौसम के चलते यह हादसा हुआ।
इस त्रासदी ने फादर्स डे के दिन एक परिवार की खुशियों को उजाड़ दिया। जहां बच्चों के सिर पर प्यार बरसाने वाले पिता की जगह अब एक शून्य रह गया है, वहीं एक मां, पत्नी, और बूढ़े माता-पिता के सपनों की उड़ान मलबे में तब्दील हो चुकी है।
राजवीर चले गए, लेकिन उनके किस्से, उनकी सेवा, और अधूरी रह गई जिम्मेदारियों की टीस इस देश के दिल में हमेशा रहेगी।
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