एक छोटी चिट्ठी सरकार को भेजेंगे, दोपहर 12 बजे तक मसौदा नहीं आया तो....गुर्जर आंदोलन से पहले विजय बैंसला की दो टूक
राजस्थान में एक बार फिर गुर्जर आंदोलन की आहट सुनाई दे रही है। आरक्षण सहित लंबित मांगों को लेकर गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने सरकार को दो टूक संदेश दे दिया है

राजस्थान में एक बार फिर गुर्जर आंदोलन की आहट सुनाई दे रही है। आरक्षण सहित लंबित मांगों को लेकर गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने सरकार को दो टूक संदेश दे दिया है—अगर इस बार भी अनसुनी की गई, तो अबकी बार जवाब आंदोलन से मिलेगा। संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला ने साफ कहा है कि 8 जून को भरतपुर के पीलूपुरा में महापंचायत हर हाल में होगी और इसके जरिए सरकार को अंतिम अल्टीमेटम दिया जाएगा।
शनिवार को मीडिया से बातचीत करते हुए बैंसला ने कहा, “मैं 17 महीने से लगातार सरकार से संवाद कर रहा हूं। चाहे वह गृह विभाग के एसीएस हों या मंत्री—मैंने खुद मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी। लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई। सरकार कहती है उन्हें जानकारी नहीं दी गई, तो मैं कहता हूं—अब एक छोटी-सी चिट्ठी और देंगे। अगर 12 बजे तक उसका मसौदा नहीं आया, तो हम दोपहर 1 बजे मंत्रालय बांट देंगे—किसी को रेल मंत्रालय, किसी को सड़क, किसी को भोजन मंत्रालय।”
‘अबकी बार वार्ता बंद कमरे में नहीं’
बैंसला ने इस बार की रणनीति बिल्कुल स्पष्ट कर दी है—अब सरकार से बंद कमरों में कोई चर्चा नहीं होगी। “अबकी बार सरकार से वार्ता समाज के सामने होगी। जो भी फैसला होगा, वो खुले मंच से होगा। मैंने अपना रूट चार्ट सरकार को दे दिया है। अगर बात करनी है, तो उसी रूट पर समाज के बीच आकर बात करनी होगी,” उन्होंने कहा।
महापंचायत के लिए जुट रहा गुर्जर समाज
गुर्जर समाज महापंचायत को लेकर एकजुट होता नजर आ रहा है। विजय बैंसला ने खुद सोशल मीडिया के माध्यम से अपील जारी कर कहा—“यह महापंचायत केवल सभा नहीं, गुर्जर समाज की ताकत का प्रतीक बनेगी। इतनी तादाद में आइए कि देश-दुनिया को पता चले कि गुर्जर अब भी जिंदा है—गुर्जर एक जिंदा कौम है।”
भरतपुर के पीलूपुरा में होने वाली यह पंचायत महज औपचारिकता नहीं, बल्कि आंदोलन की दिशा तय करने वाली निर्णायक बैठक मानी जा रही है। समिति के कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर लोगों को आमंत्रण दे रहे हैं।
सरकार से सवाल- जवाब दो या आंदोलन झेलो
सरकार के मुकदमे वापसी के दावों पर बैंसला ने सीधा सवाल खड़ा किया। “मुझे दिखाओ कौनसे मुकदमे वापस हुए। मेरे पास कोई डिटेल नहीं है। मैंने खुद मुख्यमंत्री को केसों की जानकारी दी थी, उन्होंने आश्वासन दिया लेकिन अमल नहीं हुआ। हम कोई नई मांग नहीं कर रहे। पिछली सरकार के साथ हुए समझौतों को ही लागू करवाने की बात कर रहे हैं। जब सरकार को वह समझौता तक याद नहीं, तो फिर एक्स्ट्रा बजट क्यों दिया गया?” बैंसला ने तीखा सवाल दागा।
गाजीपुर बैठक से दूरी, सीधे पीलूपुरा का रुख
दौसा के गाजीपुर में 14 गांवों की पंच पटेल बैठक और उसमें गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम की मौजूदगी को विजय बैंसला ने नजरअंदाज किया। वे वहां न जाकर सीधे तिघरिया से पीलूपुरा पहुंचे। इस पर उन्होंने कहा—“गाजीपुर में मंत्रीजी का क्या बयान था, उस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। यह उनका निजी विवेक है।”
आंदोलन की भूमिका तैयार, अब फैसला सरकार के पाले में
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की महापंचायत एक अहम मोड़ साबित हो सकती है। यदि सरकार ने वक्त रहते ठोस पहल नहीं की, तो आंदोलन की गूंज एक बार फिर राजस्थान की सड़कों और रेलवे ट्रैकों पर सुनाई दे सकती है।
बैंसला का साफ संदेश है—“हम सम्मान देने वाले लोग हैं। लेकिन, अगर आप राजनीति करेंगे, तो समाज आपको राजनीति करना भुला देगा।”
राजनीतिक गलियारों में इस महापंचायत को लेकर हलचल तेज हो गई है। सरकार की अगली चाल पर अब पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी हैं।
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