राजस्थान कांग्रेस चीफ डोटासरा ने 17 नेताओं को थमाया नोटिस... जानें क्या है वजह
राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर अंदरूनी सर्जरी की शुरुआत हो गई है। प्रदेश नेतृत्व ने अब उन चेहरों की पहचान शुरू कर दी है जो संगठन के कामकाज में रुचि नहीं ले रहे।

राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर अंदरूनी सर्जरी की शुरुआत हो गई है। प्रदेश नेतृत्व ने अब उन चेहरों की पहचान शुरू कर दी है जो संगठन के कामकाज में रुचि नहीं ले रहे। इसी कड़ी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य के 17 ब्लॉक अध्यक्षों को कारण बताओ नोटिस थमाया है। यह संकेत है कि कांग्रेस अब संगठन में निष्क्रियता बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।
समन्वयकों की रिपोर्ट पर हुई कार्रवाई
मामले की पुष्टि करते हुए कांग्रेस महासचिव व मीडिया प्रभारी स्वर्णिम चतुर्वेदी ने बताया कि संगठनात्मक सुस्ती और विधानसभा समन्वयकों को सहयोग न देने के कारण यह नोटिस जारी किए गए हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी ने हाल ही में विधानसभा स्तर पर बैठकें कर समन्वयकों से फीडबैक मंगवाया था। जिन नेताओं का कामकाज सवालों के घेरे में आया, उन पर अब एक्शन की शुरुआत हो चुकी है।
सूत्रों का कहना है कि ये सिर्फ एक शुरुआत है — जल्द ही और नाम सामने आ सकते हैं। संगठन के अंदर निष्क्रियता पर अब "जीरो टॉलरेंस" की नीति अपनाई जा रही है।
डोटासरा ने की थी वन-टू-वन बैठक
इससे पहले 17 जून को डोटासरा ने जयपुर स्थित प्रदेश कांग्रेस वॉर रूम में भरतपुर, अजमेर, जोधपुर और बीकानेर संभागों के विधानसभा समन्वयकों के साथ मैराथन बैठक की थी। इस दौरान उन्होंने वन-टू-वन संवाद कर हर समन्वयक से उनके क्षेत्र की जमीनी हकीकत जानी। खासकर संगठन सृजन अभियान के तहत चल रहे कामों की समीक्षा की गई और यह परखा गया कि कौन सा ब्लॉक अध्यक्ष कितना एक्टिव है और कौन सिर्फ नाम मात्र का पदाधिकारी है।
7 दिन में देनी होगी सफाई
नोटिस जारी करते हुए डोटासरा ने इन 17 ब्लॉक अध्यक्षों से 7 दिन के भीतर जवाब मांगा है। यदि तय समय पर संतोषजनक जवाब नहीं आया तो इन पदाधिकारियों की संगठन से छुट्टी भी हो सकती है। पार्टी सूत्रों की मानें तो नोटिस मिलने के बाद कई जिलों में हलचल तेज हो गई है और कुछ जगहों पर डैमेज कंट्रोल की कवायद भी शुरू हो चुकी है।
डिजिटल डाटा बना हथियार
कांग्रेस हाईकमान द्वारा गुजरात में हुए अधिवेशन के बाद संगठनात्मक सशक्तिकरण को लेकर राज्यों को निर्देश दिए गए थे। राजस्थान में इस दिशा में सबसे तेजी से काम हुआ। डोटासरा के नेतृत्व में पार्टी ने 58 हजार से अधिक पदाधिकारियों का डिजिटल डाटा तैयार करवाया है, जिसमें हर नेता की सक्रियता, बैठकों में उपस्थिति, कार्यक्रमों में भागीदारी, और ग्रासरूट नेटवर्क का पूरा लेखा-जोखा शामिल है। इसी डाटा के आधार पर अब कार्रवाई हो रही है।
निष्क्रियता पर चलेगा ‘क्लीनिंग ऑपरेशन’
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, यह सिर्फ ट्रेलर है। अब पार्टी संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए ‘क्लीनिंग ऑपरेशन’ चला रही है। आने वाले समय में जिला और मंडल स्तर पर भी निष्क्रिय नेताओं की सूची तैयार की जा रही है। फीडबैक रिपोर्ट और डाटा एनालिसिस के जरिए उन चेहरों की पहचान की जा रही है जो पार्टी के लिए अब ‘बोझ’ बन चुके हैं।
क्या बदलेगा कांग्रेस का भविष्य?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने अब संगठन पर पूरा फोकस किया है। ऐसे में यह कार्रवाई न सिर्फ सख्ती का संकेत है, बल्कि पार्टी के भीतर कार्यकर्ताओं को एक सख्त संदेश भी — “या तो एक्टिव बनो, या बाहर हो जाओ!”
सवाल ये है कि क्या यह ‘ऑपरेशन क्लीन’ पार्टी की नींव को फिर से मज़बूत कर पाएगा या फिर ये महज दिखावे की कवायद बनकर रह जाएगा? फिलहाल कांग्रेस संगठन में हलचल साफ नजर आ रही है, और सस्पेंस बना हुआ है कि अगली लिस्ट में कौन-कौन होंगे।
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