Rajasthan HC in contempt case, says Stop salaries of IAS officers हमारी अनुमति बिना 3 IAS अधिकारियों को वेतन जारी मत करना, राजस्थान हाईकोर्ट का सरकार को आदेश, Rajasthan Hindi News - Hindustan
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हमारी अनुमति बिना 3 IAS अधिकारियों को वेतन जारी मत करना, राजस्थान हाईकोर्ट का सरकार को आदेश

  • याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन ना होने की बात कहते हुए कोर्ट में अवमानना याचिका लगाई थी, और अवमाननाकर्ताओं के खिलाफ सख्त सजा की मांग की थी।

Sourabh Jain पीटीआई, जोधपुर, राजस्थानWed, 12 March 2025 09:02 PM
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हमारी अनुमति बिना 3 IAS अधिकारियों को वेतन जारी मत करना, राजस्थान हाईकोर्ट का सरकार को आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को एक अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान तीन आईएएस अधिकारियों को लेकर सख्त रुख अपनाया और अगले आदेश तक राज्य सरकार को उनकी तनख्वाह रोकने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट ने यह निर्देश अदालत के उस आदेश की अवमानना को लेकर दिया, जिसमें आदेश के बावजूद सरकारी कर्मचारियों को बकाया राशि देने में साढ़े तीन साल की देरी की गई थी। अदालत ने इसे अवमानना माना और तीन IAS अधिकारियों का वेतन रोकने का निर्देश दिया। इस फैसले के साथ ही हाईकोर्ट की जोधपुर बेंच ने कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव को भी 25 मार्च को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए भी कहा है।

यह अवमानना याचिका उदयपुर के कलेक्टर एवं संभागीय आयुक्त कार्यालय में कार्यरत रमेश औदीच्य और आठ अन्य मंत्रालयीन कर्मचारियों ने दायर की थी, जिसकी सुनवाई जस्टिस दिनेश मेहता की बेंच ने की।

अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह तीन IAS अधिकारियों तत्कालीन कार्मिक विभाग के सचिव हेमंत गेरा, उदयपुर के तत्कालीन संभागायुक्त राजेंद्र कुमार भट्ट और उदयपुर के तत्कालीन जिला कलेक्टर ताराचंद मीना का वेतन अदालत की अनुमति के बिना वितरित ना करे।

याचिकाकर्ताओं का पक्ष रख रहे एडवोकेट यशपाल खिलेरी ने मामले की जानकारी देते हुए कहा कि उनके मुवक्किलों को 13 अगस्त 1987 को उनकी प्रारम्भिक नियुक्ति तिथि से स्थायी कर दिया गया था, और इस दौरान उन्हें प्रथम व द्वितीय चयन ग्रेड स्केल प्रदान किया गया था। हालांकि जब उन्हें थर्ड सिलेक्शन ग्रेड स्केल देने से मना कर दिया गया तो उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।

इस मामले में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के एकल जज ने 23 सितंबर 2021 को याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आदेश दिया था, जिसके तहत सभी नगदी लाभों के साथ ही 27 सालों बाद उन्हें मिलने वाले तीसरे चयन ग्रेड स्केल की गणना 12 अगस्त 2014 से करने का आदेश दिया था। साथ ही कोर्ट ने तीन महीने के अंदर उन्हें इसका भुगतान करने का आदेश भी दिया था।

साथ ही उच्च न्यायालय ने बढ़े हुए वेतन और इससे होने वाले फायदों का बकाए का भुगतान भी 31 मार्च 2022 तक करने के स्पष्ट निर्देश दिए थे। लेकिन याचिकाकर्ताओं ने आदेश का पालन ना होने की बात कहते हुए कोर्ट में अवमानना याचिका लगाई थी, और अवमाननाकर्ताओं के खिलाफ सख्त सजा की मांग की थी। हालांकि अवमाननाकर्ताओं का पक्ष रख रहे सरकारी वकील ने कहा कि इस मामले में लंबित विशेष अपील के कारण आदेश का पालन नहीं किया गया था।

उधर याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि विशेष अपील को 2 अगस्त 2023 को खारिज कर दिया गया था, और अपील में एकल न्यायाधीश के आदेश पर ना तो रोक लगाई गई थी और ना ही उसे निलंबित किया गया था। ऐसे में उन्होंने अदालत से कहा कि अवमानना करने वाले केवल अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि स्पष्ट रूप से अदालत की अवमानना है।