कागजों पर सब अच्छा-अच्छा, जांच में खुली कलई, यूपी के एक हजार से ज्यादा कॉलेजों में दाखिले पर रोक
यूपी में बीएड, डीएलएड व बीपीएड कोर्सेज चला रहे डिग्री कॉलेज किस तरह हजारों विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं यह एनसीटीई की जांच में सामने आया है। स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए जाने पर मानक विहीन कॉलेजों ने सरेंडर कर दिया।

बीएड, डीएलएड व बीपीएड कोर्सेज चला रहे डिग्री कॉलेज किस तरह हजारों विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं यह राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की जांच में सामने आया है। स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए जाने पर मानक विहीन कॉलेजों ने सरेंडर कर दिया। उनके कारनामों की कलई खुल गई। अभी तक मिलीभगत के खेल में कागजों पर सब अच्छा-अच्छा दिखाकर कॉलेजों को मनमाने ढंग से चलाया जा रहा था। अब एनसीटीई के निर्देश पर 1066 कॉलेजों पर ताला लगाया जाएगा। वर्ष 2025-26 से ही दाखिले पर रोक लगा दी गई है।
ऑनलाइन परफार्मेंशन अप्रेजल रिपोर्ट (पीएआर) न भरने पर इन कॉलेजों पर शिकंजा कसा गया। वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 की पीएआर मांगी गई तो यह कॉलेज आनाकानी करने लगे। क्योंकि स्वतंत्र एजेंसी से कोई जोर-जुगाड़ नहीं चल सका तो कॉलेजों ने एनसीटीई की नोटिसों का जवाब देना ही बंद कर दिया। ऑनलाइन रिपोर्ट में जीपीएस के माध्यम से लाइव लोकेशन, वीडियो और शिक्षकों इत्यादि की जानकारी भरनी थी। यही कारण है कि बीएड, डीएलएड व बीपीएड कोर्स चला रहे कॉलेजों ने हाथ खड़े कर दिए। पीएआर मॉड्यूल में मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं की जवाबदेही तय की गई। एनसीटीई के सभी मापदंडों व मानकों के पालन को लेकर सख्ती की गई तो धंधेबाजी सामने आ गई।
केंद्र सरकार की सख्ती के बाद एनसीटीई ने मानकों से खिलवाड़ कर रहे कॉलेजों पर चाबुक चलाया। यूपी के 1066 में से 50 डिग्री कॉलेजों के पते ही फर्जी निकले, 212 कॉलेजों ने पीएआर रिपोर्ट न जमा करने का जवाब नहीं दिया। 804 कॉलेजों ने 15 दिनों के नोटिस के जवाब की अंतिम समय-सीमा के बाद भी कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। ऐसे में अब इन पर ताला लगाया जाएगा। उप्र शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मौलीन्दु मिश्रा कहते हैं कि यही कारण है कि डिग्री लेकर शिक्षक बन रहे युवा बच्चों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। वह एप्पल की स्पेलिंग भी नहीं बता पाते।
बिना भवन व किराए की बिल्डिंग में चले कॉलेज
प्रदेश के जिन 50 डिग्री कॉलेजों का पता सही नहीं निकला, उसमें से तमाम कागजों पर चल रहे थे। यही नहीं कई किराए की बिल्डिंग में भी चलाए गए। वहीं एक ही जमीन पर अलग-अलग दरवाजे की फोटो कराकर दो-दो कॉलेज मान्यता लेकर कागज पर चल रहे थे। विद्यार्थियों को सिर्फ डिग्री बांटी जा रही थी। अब सख्ती हुई तो सबकुछ सामने आ गया।
भर्ती न होने के कारण नहीं भर हीं सीटें
बीएड कोर्स की में 2.40 लाख सीटें हैं। पिछले साल 1.39 लाख सीटें ही भर पाईं थी। वहीं डीएलएड कोर्स में 2.40 लाख सीटों में से 90 हजार खाली रह गईं थी। वर्ष 2018 के बाद प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई। ऐसे में हर साल 2.80 लाख विद्यार्थी हर साल बीएड व डीएलएड की डिग्री ले रहे हैं। पिछले करीब सात वर्षों में 19.60 लाख विद्यार्थी डिग्री हासिल कर भर्ती के इंतजार में हैं। यही कारण है कि कम दाखिला होने से कॉलेज खुद भी इन कोर्सेज को नहीं चलाना चाहते। रविवार को बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा है और इसमें 3.33 लाख विद्यार्थी शामिल होंगे।
अब उच्च शिक्षा विभाग की टूटी नींद, जांच होगी
प्रदेश में बीएड व डीएलएड कोर्स चल रहे कॉलेज खुलेआम फर्जीवाड़ा कर रहे थे उच्च शिक्षा विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। अब एनसीटीई की सख्ती के बाद कॉलेजों की जांच की जाएगी। बीएड कोर्स की संबद्धता विश्वविद्यालय व डीएलएड कोर्स की संबद्धता एससीईआरटी देता है।