लोकबंधु के बाद अब झांसी के रेलवे अस्पताल में लगी आग, मरीजों में मचा हड़कंप, टला बड़ा हादसा
लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल के बाद अब बुधवार को झांसी स्थित रेलवे अस्पतालमें आग लग गई। इससे अस्पताल में अफरातफरी मच गई ओटी से उठते जबरदस्त धुएं के बीच अस्पताल में मौजूद सभी आनन-फानन में बाहर निकल आए।

उत्तर प्रदेश के लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल के बाद अब झांसी स्थित रेलवे अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में बुधवार सुबह आग लग गई। इससे अस्पताल में अफरातफरी मच गईओटी से उठते जबरदस्त धुएं के बीच अस्पताल में मौजूद मरीजों, तीमारदारों तथा अस्पतालकर्मी आनन-फानन में बाहर आए। अस्पतालकर्मियों ने आला अधिकारियों और दमकल विभाग को इसकी जानकारी दी।
अस्पताल में आग की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची दमकम विभाग की दो गाड़ियों ने आग पर काबू पाया लेकिन तब तक ओटी के भीतर रखे सभी संयंत्र पूरी तरह से जल चुके थे। गनीमत यह रही कि जिस समय यह हादसा हुआ उस समय ओटी में न तो कोई मरीज था और न ही अस्पतालकर्मी। इस संबंध में जानकारी देते हुए झांसी रेल मंडल के जनसंपर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने कहा कि ओटी में लगी आग को दमकल विभाग की मदद से जल्द ही काबू पा लिया गया और इस दुर्घटना में कोई जनहानि नहीं हुई है। आग के कारणों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है। इसके साथ ही आगजनी में हुए नुकसान का भी आकलन किया जा रहा है। परिणाम सामने आने पर ही स्पष्ट रूप से कारणों और नुकसान को लेकर जानकारी दी जायेगी।
गौरतलब है कि बढ़ती गर्मी के साथ बुंदेलखंड में भी पारा लगातार गरमाता जा रहा है और ऐसे में आग की घटनाओं में बढ़ोतरी की आशंका भी बलवती होती जा रही है। बढ़ती गर्मी के बीच इस तरह की घटनाएं अस्पतालों में सुरक्षा इंतजामों को जल्द से जल्द और पुख्ता किए जाने तथा इनकी नियमित चेकिंग की अनिर्वायता को भी रेखांकित करती हैं।
लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल में लगी आग में एक मरीज की मौत
लोकबंधु अस्पताल में सोमवार रात करीब 9:30 बजे भीषण आग लग गई थी। आनन-फानन में अस्पताल प्रशासन ने 200 को सुरक्षित बाहर निकाला गया था। हालांकि एक मरीज की मौत हो गई थी। उधर, अगले दिन मंगलवार को गिनी-चुनी ओपीडी का ही संचालन हो पाया। करीब 1400 मरीज देखे गए। जबकि रोज औसतन 2500 से अधिक मरीज देखे जाते हैं। अस्पताल में प्रवेश करने से लेकर पार्किंग, ओपीडी, इमरजेंसी और पहली मंजिल पर जाने वाले रास्तों पर सेना के रिटायर सुरक्षा गार्डों का पहरा था। किसी मरीज को ज्यादा देर तक परिसर में रुकने की इजाजत नहीं थी।