Agra s Architectural Aspirations Transforming into a Global City Like New York बोले आगरा, न्यूयॉर्क जैसी सोच से बदल सकती है आगरा की सूरत, Agra Hindi News - Hindustan
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बोले आगरा, न्यूयॉर्क जैसी सोच से बदल सकती है आगरा की सूरत

Agra News - आगरा, जो ताजमहल और अन्य ऐतिहासिक इमारतों के लिए जाना जाता है, को न्यूयॉर्क जैसे आधुनिक शहर में बदलने की आवश्यकता है। वास्तुविदों का मानना है कि शहर की योजना में उनका योगदान और नागरिकों की जागरूकता...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराTue, 27 May 2025 06:20 PM
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बोले आगरा, न्यूयॉर्क जैसी सोच से बदल सकती है आगरा की सूरत

आगरा। न्यूयॉर्क स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी, एम्पायर स्टेट बिल्डिंग, टाइम्स स्क्वायर, सेंट्रल पार्क, ब्रॉडवे और संग्रहालयों के लिए जाना जाता है। यहां पारंपरिक और आधुनिक वास्तुकला का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। आगरा जुदा नहीं है। ताजमहल, आगरा किला, एत्माद्दौला, सिकंदरा जैसी इमारतों के शहर को भी न्यूयॉर्क में तब्दील किया जा सकता है। इसके लिए आवश्यकता है नियोजन में जन सहभागिता। उन वास्तुविदों का सहयोग जिनकी रग रग में आगरा बसा हुआ है। शहर के जाम रहित सूरसदन चौराहे का कायाकल्प कर चुकी आर्किटेक्ट एसोसिएशन आगरा का सपना है कि पूरे शहर को संवार दे। अपने शहर के प्रति जिम्मेदारी निभाते हुए आगरा को दुनिया के बेहतरीन शहर के रूप में तब्दील कर दे।

वास्तुकला में आगरा ने पूरी दुनिया में अपना परचम लहराया है। ताज के रूप में ऐसी इमारत है जिसके दीदार को दुनिया का हर नागरिक उत्सुक रहता है। मुगलकाल में ही नहीं, आधुनिक काल में स्वामीबाग में बन रही राधास्वामी समाध गुंबद कला एवं पच्चीकारी का बेजोड़ उदाहरण बन कर उभरा है। ऐसे शहर के अन्य हिस्सों की संरचना में वास्तुविदों का साथ नहीं लिया गया। पेशेवरों की अहमियत समझने की चूक कहिए या फिर शहर की बदकिस्मती, अपना आगरा वास्तुकला के बुनियादी सिद्धांतों पर भी नहीं ठहर पाता। छह दशक पहले भी सीवेज की दिक्कत थी, आज भी है। वास्तुविदों के अनुसार शहर के इस हाल में यहां के निवासियों के साथ नीति निर्धारक भी जिम्मेदारी हैं। नागरिकों ने यह सोच विकसित नहीं की कि विशेषज्ञ की सेवा लें। घर, दफ्तर या दुकान को तैयार कराने में बिल्डिंग बाईलॉज का पालन करें। विशेषज्ञों की सलाह लेने की बजाए ऐसे लोगों को भवन निर्माण की जिम्मेदारी दे दी जिनको इस विज्ञान का क, ख, ग नहीं आता। वहीं दूसरी ओर कॉलोनियों एवं बाजारों का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में भविष्य की जरूरतों की ओर ध्यान ही नहीं दिया गया। सड़क बना दीं, गैस, सीवर और बिजली लाइन बिछाने के लिए उस सड़क के सीने को चीर दिया। यहां तक कि पूरा शहर सीवर लाइन बिछाने के लिए खोदा गया, लेकिन सीवेज को जोड़ने का काम अभी तक नहीं किया गया। नतीजा सबके सामने है। न तो ताज देखने वाले इस बेजोड़ इमारत का पूरा आनंद उठा पाते हैं, न ही इसके आसपास रहने वाले जीवन की रिहाइश का। वास्तुविद कहते हैं कि यदि नियोजन में स्थानीय वास्तुविदों का सहयोग लिया जाता तो शहर का विकास अलग ही तस्वीर रखता। ताज के आसपास कई किलोमीटर तक हरियाली होती, यमुना की अविरल धारा बहती। नागरिकों को शहर के चारों तरफ सैटीलाइट सिटी बनाकर बसा दिया जाता। वास्तुविद भवन निर्माण को शरीर के विज्ञान की तरह अहम मानते हैं। एक दशक तक चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले व्यक्ति की तुलना आरएमपी से तो नहीं हो सकती। वास्तुविद यदि सलाह के रूप में कुछ शुल्क लेता है तो उसका फायदा भी होता है। भवन सामग्री की बर्बादी तो रुकती ही है। बिल्डिंग भी अधिक समय तक साथ निभाती है। मानकों पर तैयार बिल्डिंग शहर की सुंदरता में भी योगदान देती है। पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भी निर्वहन होता है। मॉडल है सूरसदन चौराहा शहर के वास्तुविदों ने 34 चौराहों की डिजाइनिंग की पेशकश स्थानीय प्रशासन को दी। पायलट के रूप में सूरसदन चौराहा तैयार किया गया। पूर्व के चौराहे में तब्दीलियां करके तैयार हुए इस चौराहे पर जाम की स्थिति लगभग खत्म हो गई। इस चौराहे को शहर का आदर्श माना जाता है। विशेषज्ञों के आपस के मंथन, डिजाइनिंग, भविष्य की जरूरत आदि को ध्यान में रखते हुए इसका मॉडल बनाया गया था। वास्तुविदों का यह दल शहर के प्रत्येक चौराहे को इस स्थिति में लाने को इच्छुक था, लेकिन नीति निर्धारकों ने उनकी सेवाएं ही नहीं ली। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत यह प्रक्रिया संभव थी। वास्तुविदों की देन सेल्फी प्वाइंट फतेहाबाद रोड पर आई लव आगरा सेल्फी प्वाइंट का कंसेप्ट भी आर्किटेक्ट एसोसिएशन आगरा की देन है। इसकी डिजाइनिंग संस्था के वास्तुविदों ने की। शहर को संवारने के इच्छुक वास्तुविदों का इरादा था कि वे आगरा में कम महत्व वाले स्मारकों को भी पर्यटकों के लिए अहम बना दें। उनमें आकर्षण पैदा कर दें। इसके लिए ताल फिरोज खां का चयन किया गया। इसकी डिजाइनिंग के लिए तैयारी थी। टीम भी बना दी गई। लेकिन सरकारी मशीनरी को शायद पीपीपी मॉडल पसंद नहीं आया। नजीर अकबराबादी के मकबरे को भी संवारने के लिए संस्था द्वारा प्रस्ताव दिया गया, जो पूरा नहीं हो सका। अधूरा रह गया हेरिटेज पार्क सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यमुना किनारा रोड और नदी की धारा के बीच के हिस्से में हेरिटेज पार्क विकसित होना था। वास्तुविदों ने इस प्रोजेक्ट के लिए अपनी ताकत झोंक दी। लेकिन यह ठंडे बस्ते में चला गया। इसके पूर्ण होने से ताज के पार्श्व में हरियाली ही हरियाली नजर आती। आर्किटेक्ट एसोसिएशन आगरा की तरफ से गुरुद्वारा गुरु का ताल कट पर होने वाली दुर्घटनाओं एवं जाम को देखते हुए इस स्थल को संवारने की पेशकश की गई थी। मेहताब बाग पर व्यू गैलरी बनाने का भी प्रस्ताव रखा गया था। इसी प्रकार शहर के मध्य में स्थित पालीवाल पार्क को संवारने की योजना थी। जागरूकता है आवश्यक वास्तुविदों का मानना है कि निर्माण का कार्य मानकों के अनुसार होना चाहिए। गैर पेशेवर की मदद लेकर लोग वास्तुविद की फीस बचाने की मंशा रखते हैं। लेकिन यह भूल जाते हैं कि वास्तुकला के सिद्धांतों की अनदेखी निर्माण को खतरे में डाल देती है। रेनवाटर हारवेस्टिंग, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट आदि को नजरअंदाज कर बचत नहीं होती। अपना भविष्य जरूर खराब हो जाता है। जिस घर में हवा का संचार होना चाहिए, वो बंद बक्सा बना दिया जाता है। जहां रहने वाले अकसर बीमार पड़ जाते हैं। सड़क घेर का की गई वाहनों की पार्किंग अवागमन में अवरोधक बनती है। हादसे का खतरा रहता है। महंगी नहीं पड़ती है फीस वास्तुविद कहते हैं कि उनकी फीस अधिक नहीं होती। अपनी राय देने के लिए जो शुल्क लेते हैं, उसमें भवन निर्माण कराने वाले को कई गुना फायदे दे देते हैं। शहर के अनेकों इलाके ऐसे हैं जहां एक गज जमीन की कीमत लाख रुपये या अधिक है। गैर पेशेवर की राय लेने की स्थिति में व्यक्ति जमीन के हर हिस्से का उचित उपयोग नहीं कर पाता। भवन के सही तकनीक से निर्मित न होने की स्थिति में सुरक्षा खतरे में रहती है। मामूली से जलवायु परिवर्तन में भवन को नुकसान होता है। नवाचार न होने की स्थिति में भवन सामग्री की बर्बादी होती है। कीमती सामग्री की बचत भर से विशेषज्ञ की फीस निकल आती है। इसलिए अहम हैं वास्तुविद किसी स्थल या शहर को पहचान देने में भूमिका प्रकृति के अस्तित्व को कायम रखने के प्रयास संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए कवायद प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए सक्रियता हम आगरा की संरचना को सुधारने के लिए कई बार अपने योगदान की पेशकश कर चुके हैं। कुछ प्रोजेक्ट पूरे हुए, शेष ठंडे बस्ते में चले गए। यदि नियोजन में हम लोगों की सहभागिता हो तो आगरा की अनेकों समस्याएं स्वत: ही समाप्त हो जाएंगी। समीर गुप्ता आज भी हमारे शहर में भवन निर्माण को लेकर गंभीरता नहीं है। लोग ऐसे ठेकेदारों को जिम्मेदारी दे देते हैं जिनको मानकों के बारे में पता नहीं होता। ऐसे भवन न सिर्फ शहर की साख को बट्टा लगाते हैं, पर्यावरण के लिए भी खतरा बन जाते हैं। अमित जुनेजा हर व्यक्ति अपने फन का माहिर होता है। जिस तरह चिकित्सा के क्षेत्र में झोला छाप चिकित्सक मरीज की जान के लिए खतरा बन जाते हैं, ठीक उसी प्रकार भवन निर्माण के गैर पेशेवर अपनी नादानी से भवन की सुरक्षा के लिए खतरा बन जाते हैं। जसप्रीत सिंह जिन कॉलोनियों में नालियां मानकों के अनुसार नहीं होती। सड़क भी आड़ी तिरछी बना दी जाती हैं। उनमें रिहाइश करने वाले लोग खतरे के साये में रहते हैं। मानकों पर खरी उतरते हुए बनाई गई कॉलोनी लोगों की प्रसन्नता का कारण बन जाती है। आकाश गोयल आगरा में अनेकों रिहाइश ऐसी हैं जिनको गैर पेशेवरों ने अपनी समझ के अनुसार बना दिया है। इनके निर्माण में निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं किया गया। इस वजह से लोगों को रिहाइश के दौरान काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अनुभव दीक्षित वास्तुविद की सेवा लेने से व्यक्ति को कभी नुकसान नहीं होता। अहम बात यह है कि विशेषज्ञ के आकलन की वजह से कीमती भवन सामग्री की बर्बादी रोकने में मदद मिलती है। साथ ही भवन की सुरक्षा से भी समझौता नहीं करना पड़ता है। अवंतिका शर्मा लोग कीमती जमीन खरीदते हैं। उसमें सामान भी काफी महंगा लगाते हैं। लेकिन गैर पेशेवरों की मदद लेकर अपनी गाढ़ी कमाई को बर्बाद कर लेते हैं। एक अच्छा व्यंजन सही मात्रा में और सही प्रक्रिया से बनता है। न कि महंगे सामान प्रयोग करने से। अमित अग्रवाल भवन निर्माण को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। इस स्थल पर व्यक्ति अपना अधिकतम समय व्यतीत करता है। यदि जानकार की सलाह नहीं ली गई तो मकान सुकून देने की बजाए व्यक्ति को कष्ट देने लगता है। अरमान धूमिल होने लगते हैं। प्रेमवीर सिंह वास्तुविद कला और विज्ञान को मिला कर ऐसा मिश्रण बनाते हैं या तैयार करते हैं कि लोगों को अपने भवन में सुखद अनुभूति होती है। यदि व्यक्ति के पास प्रसन्न रहने के कारण हैं तो वह व्यक्ति अपने प्रोफेशन में सफलता जरूर हासिल करता है। श्रुति बंसल लोग पेशेवरों को नजरअंदाज करते हैं। भवन की बिजली फिटिंग को ही लीजिए। यदि गैर पेशेवर के द्वारा यह कार्य किया गया है तो लाइन लॉस होता रहेगा। ऐसी भी स्थिति आ सकती है कि व्यक्ति अपने उपभोग से कहीं अधिक बिल भुगतान करते रहे। अंकित राज नियोजन में यदि खामी है तो निर्माण सुंदर नहीं बन पाएगा। न सिर्फ बिल्डिंग मेटीरियल की बर्बादी होती है, निर्माण में समय सीमा भी अधिक हो जाती है। श्रम लागतें भी बढ़ने लगती है। इन हालातों में बेहतर है कि विशेषज्ञ की सलाह ले ली जाए। दानिश वास्तुविद को निर्माण तकनीक, बिल्डिंग कोड, सामग्री, संरचना के सिस्टम आदि की पूरी जानकारी होती है। इसी के दम पर वह सुरक्षित, टिकाऊ एवं मानकों के अनुरूप भवन दे पाने में सक्षम होते हैं। गैर पेशेवर से यह उम्मीद करना बेकार है। राहुल अजेड़िया वास्तुविद कला और विज्ञान के संगम से ऐसे भवन तैयार करते हैं जो कि समाज के लिए प्रेरणा बनते हैं। लोगों की रिहाइश के स्तर को बेहतर करते हैं। उनके आसपास के वातावरण से तालमेल बनाए रखने एवं जीवन यापन में मदद करते हैं। सिद्धार्थ शर्मा वास्तुविद एक ऐसा व्यक्ति होता है जो इमारतों और संरचनाओं को डिजाइन करने में माहिर होता है। यह व्यक्ति वास्तु कला के सिद्धांतों का उपयोग करके इमारतों का निर्माण और योजना करता है। लोगों को सुकून भरा जीवन देने का प्रयास करता है। अनुज सारस्वत वास्तुविद इमारतों के डिजाइन और निर्माण के लिए तकनीकी और रचनात्मक ज्ञान का उपयोग करता है। यह इमारतों के सौंदर्य, कार्यक्षमता और सुरक्षा को बेहतर करने में कारक होता है। भवन को सही समय पर निर्मित करने में भी बड़ी मदद मिलती है। अनुराग खंडेलवाल भवन निर्माण के पेशेवर ऊर्जा संरक्षण में विश्वास रखते हैं। उनकी कोशिश रहती है कि लोग जल का संरक्षण करने के लिए रेन हारवेस्टिंग का सिस्टम लगाने को प्रेरित किया जाए। लोगों को प्रकृति के निकट लाने के लिए भी प्रयास रहते हैं। यशवीर सिंह वास्तुविद के होने भर से भवन निर्माण कराना आसान हो जाता है। लोगों की मुश्किलों का समाधान मिलता है। भवन न सिर्फ प्राधिकरण के नियम के अनुसार होते हैं, इनमें जरूरी मानकों का ध्यान रखे जाने से यह स्वस्थ एवं सुरक्षित हो जाता है। सुनील चतुर्वेदी भवन निर्माण के मामले में आगरा में जागरूकता तो आई है। अभी भी ग्रीन हाउस को लेकर लोग कम ही प्रयास करते हैं। ऊर्जा संरक्षण के प्रति लोगों में रूझान है। अब रेन वाटर हारवेस्टिंग के लिए भी रकम खर्च करने में गुरेज नहीं किया करते। शशांक गर्ग

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