बोले आगरा: साधु-संतों को आहत कर रहीं परिक्रमा मार्ग की अव्यवस्थाएं
Agra News - यमुना प्रदूषण, गायों के संरक्षण और कन्या भ्रूण हत्या जैसे मुद्दों को उठाते हुए बटेश्वर के संत एकादशी पर परिक्रमा के मार्ग की दुर्दशा से चिंतित हैं। मार्ग की सफाई, सुरक्षा और पेयजल की व्यवस्था में कमी...

यमुना प्रदूषण से मुक्त हो, गायों का गोशाला में संरक्षण हो, कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगे जैसे सामाजिक मुद्दों को उठाने वाले बटेश्वर के संत हर महीने की एकादशी पर होने वाली परिक्रमा के मार्ग की दुर्दशा से आहत हैं। सिर्फ तीन किमी लंबा यह मार्ग कई समस्याओं से घिरा है। मार्ग की सफाई नहीं होती है। कटीली झाड़ियों से संत चोटिल होते हैं। बीहड़ी रास्ते पर उनकी सुरक्षा भोलेनाथ के भरोसे है। बटेश्वर तीर्थ धाम में बाबा सियाराम दास जी महाराज के नेतृत्व में महीने की हर एकादशी को सप्तम कोषिय पैदल यात्रा का आयोजन किया जा रहा है।
एकादशी को निकलने वाली इस पैदल यात्रा को परिक्रमा नाम दिया गया है। सुबह आठ बजे से सियाराम दास आश्रम से इस परिक्रमा की शुरुआत होती है। मुख्य मंदिर ब्रह्मलाल महादेव होते हुए शौरी पुर होकर राजमाता मंदिर होते हुए वन खंडेश्वर महादेव होते हुए दद्दा आश्रम से गुजरती है। फिर हनुमान गढ़ी आश्रम पर होते हुए मनमथ मंदिर आश्रम होकर सियाराम आश्रम पर दोपहर 12 बजे समाप्त होती है। यह संतों की यात्रा तीन किलोमीटर पैदल यात्रा होती है। महीने की हर एकादशी के मौके पर साधु-संत, महिला-पुरुष और बच्चे नंगे पैर भजन कीर्तन करते हुए आगे बढ़ते हैं। इस दौरान सामाजिक मुद्दों को लेकर जनजागरण किया जाता है। बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ, पढ़ी लड़की रोशनी घर की, यमुना को प्रदूषण मुक्ति कराओ, जल हो यमुना में गंदगी न फैलाएं, आवारा गायों के लिए गोशालाओं की व्यवस्था हो। पानी बचाएं व्यर्थ न बहाएं पर जोर दिया जाता है। संतों के लिए परिक्रमा मार्ग में पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है। परिक्रमा मार्ग में जिला पंचायत द्वारा बनायी गई पानी की टंकी खराब पड़ी है। इस कारण गर्मी के दिनों में परिक्रमा लगाना दुष्कर हो जाता है। साथ चलने वाले ग्रामीण भी परेशान होते हैं। आपके अखबार हिन्दुस्तान के बोले आगरा संवाद में संतों ने परिक्रमा मार्ग की अव्यवस्थाओं पर चर्चा की। कहा कि परिक्रमा मार्ग में पानी और शौचालय की व्यवस्था संतों के लिए होनी चाहिए। परिक्रमा मार्ग में सफाई हो। स्वच्छता को लेकर बाबा सियाराम दास का कहना है कि अपने आसपास गंदगी न होने दें। सफाई रखें।
शिकायत -परिक्रमा मार्ग सिर्फ तीन किमी लंबा है फिर भी इसकी सफाई नहीं होती है। -परिक्रमा मार्ग बीहड़ी रास्ता है। यहां संतों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है। 3. पूरे परिक्रमा मार्ग पर पेयजल व्यवस्था नहीं है। गर्मी के दिनों में संत व ग्रामीण परेशान होते हैं। 4. संत जिस मार्ग पर पैदल यात्रा करते हैं वह काफी कच्चा व बीहड़ी है।
सुझाव 1. -ग्राम पंचायत की ओर से हर एकादशी पर परिक्रमा मार्ग की सफाई करानी चाहिए। 2. परिक्रमा मार्ग पर साधु-संतों की सुरक्षा के पैदल यात्रा के दौरान पुलिस बल की व्यवस्था हो। 3. परिक्रमा मार्ग पर पेयजल व्यवस्था दुरुस्त की जाए। जिला पंचायत द्वारा पानी की टंकी ठीक करायी जाए। 4. संतों से राय कर तहसील प्रशासन को परिक्रमा मार्ग पर खड़ंजा बनाना चाहिए।
संतों का यह है कहना
1. परिक्रमा का यह तीन किमी मार्ग अव्यवस्थाओं से दुर्गम हो जाता है। संतो के साथ भक्तों की टोली भी चलती है। सर्व कल्याण की प्रार्थना करते हुए भोले की नगरी में दैवीय स्थलों पर परिक्रमा लगाती है। दलदल, गंदगी और पेयजल संकट कदम कदम इस सफर को मुश्किल बनाते हैं। तमाम कठिनाइयों के बाद भी सालों से यह परिक्रमा जारी है। प्रशासन संज्ञान लेकर दिक्कतो को दूर कराए। संत सियाराम दास महाराज
2. परिक्रमा मार्ग के हालात बेहद खराब हैं। यहां जगह-जगह गंदगी और दलदल नजर आता है। कालिंदी के घाट से लैकर बटेश्वर तीर्थ क्षेत्र में जगह गंदगी की भरमार है। इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है। संत गिर्राज किशोर दास
3. एकादशी पर बटेश्वर में परिक्रमा का विशेष महत्व है। साधु-संतों के साथ भक्तों की टोली भी हरि भजन करती हुई आगे बढ़ती है। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर परिक्रमा मार्ग पर कोई इंतजाम नहीं किया जा रहे हैं। पीने के पानी के लिए भी संत और भक्त परेशान होते नजर आते हैं। अर्जुन दास महाराज
4. ब्रज की काशी में परिक्रमा मार्ग अव्यवस्थाओं का शिकार है। यहां तमाम दिक्कतो के बीच परिक्रमा लगाई जाती है। साधु-संतों व ग्रामीणों को काफी कष्ट होता है। प्रेमदास महाराज
5. साधु-संत भोलेनाथ की नगरी में परिक्रमा एकादशी के मौके पर करते हैं। इसमें ग्रामीण भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं। रास्ते में गंदगी से दिक्कतें आती हैं। मल-मूत्र परिक्रमा मार्ग पर पड़े रहते हैं। राघव दास महाराज
6. दलदल और जलभराव यहां आम बात है। परिक्रमा मार्ग की कोई सुध लेने वाला नहीं है। यहां गर्मी के मौसम पीने के पानी की भारी दिक्कतें हैं। सुरक्षा व्यवस्था भी दुरुस्त होनी चाहिए। कन्हैया दास महाराज
7. बटेश्वर में करोड़ों के विकास कार्य किये जा रहे हैं। साधु-संत एकादशी पर यमुना बचाओ, बेटी बचाओ, गाय बचाओ का जनजागरण करते हुए परिक्रमा लगाते हैं। यहां परिक्रमा लगाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। नागा रामदास महाराज
8. साधू-संतों की परिक्रमा मार्ग अव्यवस्थाओं का शिकार है। पीने के पानी की दिक्कतें हैं। यहां परिक्रमा लगाते समय गंदगी आदि से गुजरना पड़ता है। इसे दूर कराया जाये। कल्याण दास महाराज
9. तीर्थ बटेश्वर को गंदगी से मुक्त कराया जाए। संतों के परिक्रमा मार्ग को साफ सुथरा बनाया जाए। मार्ग में कई कंटीली झाड़ियां हैं। इनसे संत चोटिल होते हैं। तहसील प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। कैलाश गिरि महाराज
10. ब्रज की काशी में परिक्रमा कर संत समाज भोले नाथ से जगत कल्याण की कामना करता है। लेकिन रास्ते में पीने के पानी से लेकर गंदगी दलदल आदि दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जबकि प्रयास ऐसे होने चाहिए कि साधू-संतों को कोई कष्ट न हो। साध्वी मीरा दास
11. तहसील प्रशासन को परिक्रमा मार्ग दुरस्त कराना चाहिए। कम से कम साफ तो करा ही सकते हैं लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते भोले की नगरी में परिक्रमा का सफर दुर्गम नजर आता है। तीन किमी का मार्ग कम से कम समस्या मुक्त होना चाहिए। रामजी दास महाराज
12. बटेश्वर में सफाई की व्यवस्था सही नहीं है। मंदिरों के पास गंदगी और जलभराव है जो कि परिक्रमा में आड़े आता है। ग्राम पंचायत और तहसील प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। प्रकाश दास महाराज
13. पेयजल व्यवस्था और साफ-सफाई कर परिक्रमा मार्ग दुरस्त किया जाए। आस्था से खिलवाड़ ना हो पाए। संत समाज गंदगी से आदत है। जबकि परिक्रमा मार्ग समस्या मुक्त होना चाहिए। राधे दास महाराज
14. भोले की नगरी तीर्थ बटेश्वर में में एकादशी की परिक्रमा का विशेष महत्व है। प्रशासन परिक्रमा मार्ग को बेहतर करे। यह जन जागरण का कार्यक्रम है। जानकी दास महाराज 15. विश्व कल्याण की प्रार्थना के साथ ईश्वर की आराधना करते हुए संत बृज की काशी में भ्रमण करते हैं। सफाई पेयजल की व्यवस्था प्रशासन की जिम्मेदारी है। सेवक दास महाराज
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