Growing Trend of Scientific Farming in Eta Challenges and Government Initiatives बोले एटा: सही मंडी और भाव ही दे सकते हैं प्रगतिशील किसान को रफ्तार, Agra Hindi News - Hindustan
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बोले एटा: सही मंडी और भाव ही दे सकते हैं प्रगतिशील किसान को रफ्तार

Agra News - एटा में वैज्ञानिक तरीके से खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि, उन्हें सही बाजार नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी प्रगति प्रभावित हो रही है। सरकारी योजनाओं की जानकारी के अभाव में किसान...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराSun, 18 May 2025 07:40 PM
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बोले एटा: सही मंडी और भाव ही दे सकते हैं प्रगतिशील किसान को रफ्तार

वैज्ञानिक तरीके से खेती करने वाले किसानों की संख्या एटा में दिनों दिन बढ़ रही है। कोई मशरूम की खेती कर रहा है कोई अन्य फसलों की पैदावार कर रहा है। किसानों को सही बाजार ना मिलने के कारण यह प्रगति नहीं कर पा रहे है। आसपास की मंडियों में बिक्री करने के लिए कोई आता नहीं है। जब आगरा अथवा दिल्ली में फसल को बेचने के लिए ले जाते है तो आने जाने का अधिक खर्चा होने के कारण घाटा हो जाता है। बोले एटा के तहत जिले के प्रमुख किसानों से वार्ता की तो उन्होंने होने वाली परेशानियों के बारे में बताया।

धीरे-धीरे जैविक और नई तकनीकी से खेती बढ़ रही नई तकनीकी से कृषि उत्पादन लेने को सरकार की ओर से कई योजनाएं संचालित की जा रही है। जागरूकता के अभाव में किसानों तक इन योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है। इसकी वजह से किसान जैविक और औषधि खेती करने आधुनिक संसाधन नहीं जुटा पा रहे है। किसानों का कहना है कि नई तकनीकी से खेतीबाड़ी करने के लिए जरूरी संसाधन दिलाने में सरकार कदम उठाये। इससे वह औषधि और आधुनिक फसलों का उगा सके।

ब्लॉक जैथरा क्षेत्र के प्रगतिशील किसान विनोद चौहान ने बताया कि क्षेत्र के किसान अब धीरे-धीरे जैविक और नई तकनीकी से खेती करने की ओर बढ़ रहे है। अभी इस तरह के किसानों की संख्या क्षेत्र में कम है। उसके पीछे किसानों को सरकारी योजनाओं, नई तकनीकी और संसाधनों के बारे में जानकारी न होना है। क्षेत्र के अधिकांश किसान आज भी ऑनलाइन मिलने वाली योजनाओं की जानकारी से दूर बने हुए है। सरकार इनको ग्राम स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से फसल के बारे में जानकारी दे। जिससे यह जागरूक होकर परंपरागत फसलों के बजाय जैविक खेती की ओर बढ़ सके। जिससे किसानों की आय दोगुनी हो सके।

34 एफपीओ बढ़ा रहे प्राकृतिक खेती का ज्ञान जिला कृषि अधिकारी डा. मनवीर सिंह ने बताया कि कृषि विभाग में 34 एफपीओ पंजीकृत है। विभाग इनके माध्यम से जनपद में आधुनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को ज्ञानार्जन करा रहा है। यह एफपीओ जनपद में मशरूम, डेयरी, प्राकृतिक खेती, यंत्र बिक्री, मसाला मार्केटिंग, बीज उत्पादन, बर्मी कम्पोस्ट खाद निर्माण, खाद-बीज दुकानें, गो आधारित प्राकृतिक को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं। एफपीओ चलाने वालों में दुर्बीन सिंह, विनोद चौहान, राहुल यादव जैविक खेती को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिले में एफपीओ की संख्या बढ़ाने के लिए आठ किसान समूहों को और शामिल किया जाएगा।

शासन से विभाग को एफपीओ की बढ़ोत्तरी करने का लक्ष्य दिया गया है। जिसको पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। एफपीओ अपने-अपने ब्लॉक में प्राकृतिक, जैविक खेती को बढ़ाना देने के लिए किसानों को जागरूक करने का भी कार्य कर रहे हैं। जिससे जनपद में प्राकृतिक खेती की ओर किसान बढ़ रहे हैं। ब्लॉक क्षेत्र में औषधि और आधुनिक खेती को बढ़ाना देने का कार्य हो रहा है। क्षेत्र के सैकड़ों किसान उनके साथ नई-नई तकनीकी से खेती कर रहे है। किसानों को अच्छे उत्पादन के लिए आधुनिक तकनीकी की जानकारी दिलायी जा रही है। जिससे किसान अधिक फसल उत्पादन लेकर आर्थिक रूप से संपन्न हो सके। वह किसानों को औषधि पौधे को लगाकर औषधि तैयार कराने पर जोर दे रहे है।

-विनोद चौहान, मानपुरा, एटा

किसानों में जागरूकता का अभाव है। इसकी वजह से किसान परंपरागत फसलों के अलावा आधुनिक फसल, तकनीकी को नहीं अपना पा रहे हैं। किसान अधिक फसल उत्पादन के लिए ड्रिप सिंचाई के माध्यम से खेतों की सिंचाई करें। जिससे फसलों की समुचित सिंचाई हो पाती है। पानी की बर्बादी भी नहीं होती है। इस माध्यम की सिंचाई से फसलों का उत्पादन भी अच्छा होता है।

-सुखेन्द्र सिंह, कैला, अलीगंज (एटा)

कई दशकों से किसान परंपरागत फसलों पर ही आधारित है। फसलों के अधिक उत्पादन के लिए रसायनिक खादों का जमकर उपयोग कर रहे है। मृदा में रसायनिक खाद की मात्रा अधिक होने से अच्छी फसल नहीं मिल रही है। जिसकी वजह से किसानों को फसल उत्पादन पर अधिक व्यय करना पड़ रहा है। लागत की अपेक्षा फसल का मूल्य न मिलने के कारण किसान को मुनाफा की बजाय नुकसान उठाना पड़ रहा है।

-जितेन्द्र सिंह, मानपुरा, जैथरा (एटा)

सरकार के पास किसान और कृषि के लिए योजनाएं तो है। किसानों को उन योजनाओं की जानकारी नहीं है। जिसकी वजह से वह इन योजनाओं का लाभ खेती करने में नहीं उठा पा रहे है। सरकार और विभाग किसानों को ग्राम स्तर पर योजनाओं की जानकारी देने का कार्य करें। जिससे योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक किसान उठा सके। आर्थिक स्तर को सुधारें।

-अशोक कुमार, मानपुरा, जैथरा (एटा)

खेतवाड़ी करने में अब कोई लाभ नहीं दिख रहा है। फसल उत्पादन में आने वाली लागत के सापेक्ष बाजार में मूल्य कम निकल रहा है। खेतीवाड़ी करने में पूरा परिवार लगा रहता है। जिसके सापेक्ष फसलों से होने वाली आय से काम करने वालों की मजदूरी भी नहीं निकल पाती है। कुल मिलाकर किसान को दो वक्त की रोटी ही खेतीबाडी करने से मिल पा रही है। कृषि कार्य से उसके आर्थिक स्तर में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है।

-रमेश चंद्र सक्सेना, जैथरा (एटा)

ब्लॉक स्तर पर जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभाग और अधिकारी कुछ नहीं कर रहे हैं। सरकारी योजनाओं का संचालन कागजों तक ही हो रहा है। जानकारी के अभाव में इनका लाभ किसान नहीं उठा पा रहे है। सरकारी योजना का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। जिसका लाभ आम किसानों को मिल सके। वह लाभ लेकर आर्थिक मजबूती प्राप्त कर सकें।

-जितेन्द्र, शेरपुर, जैथरा (एटा)

ब्लॉक क्षेत्र में सिंचाई के लिए सिंचाई के संसाधन पर्याप्त मात्रा में नहीं है। सरकारी नलकूपों से खेतों की सिंचाई करना संभव नहीं हो पा रहा है। किसान स्वयं के संसाधनों से खेतों की सिंचाई कर रहे है। जिससे फसल उत्पादन लागात अधिक रहती है। जिसकी अपेक्षा बाजार में फसलों का उचित मूल्य नहीं मिलता है। जिससे किसानों की स्थिति जस की तस बनी हुई है।

-सत्यपाल, मानपुरा, जैथरा (एटा)

सरकार, जिला प्रशासन आधुनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित करने की बात करता है। आधुनिक खेती के लिए संसाधन किसानों के पहुंचाने की पहल कहीं नजर नहीं आती है। सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए पहले किसानों को स्वयं के पैसों से कृषि उपकरण खरीदवाये जाते है। अपना ही पैसा वापस लेने के लिए किसानों को सुविधा शुल्क देने को विवश होना पड़ता है।

-मोहनलाल, केसरपुर, जैथरा (एटा)

सरकार, जिला प्रशासन आधुनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित करने की बात करता है। आधुनिक खेती के लिए संसाधन किसानों के पहुंचाने की पहल कहीं नजर नहीं आती है। सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए पहले किसानों को स्वयं के पैसों से कृषि उपकरण खरीदवाये जाते है। अपना ही पैसा वापस लेने के लिए किसानों को सुविधा शुल्क देने को विवश होना पड़ता है।

-मोहनलाल, केसरपुर, जैथरा (एटा)

ब्लॉक क्षेत्र में सरकारी नलकूपों की संख्या न के बराबर है। जहां-जहां नलकूप है वह भी खेतों की सिंचाई करने में सक्षम नहीं है। आये दिन खराब रहने से इनसे खेतों की सिंचाई संभव नहीं हो पाती है। किसान हाड़तोड़ मेहनत कर स्वयं के संसाधनों से ही खेतीवाड़ी का कार्य कर पा रहा है। सरकारी योजनाओं, संसाधनों का उपयोग करने में किसानों काफी समय खराब होता है। जिजसे वह योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।

-श्यामवीर, मानपुरा (एटा)

मृदा परीक्षण कराने का किसानों पर दबाव बनाया जा रहा है। जब किसान अपनी मिटटी लेकर मुख्यालय पर विभाग की पैथोलॉजी में पहुंचते है। वहां उनसे मिट्टी ले ली जाती है। उसकी जांच होकर कब रिपोर्ट मिलेगी। इस बारे में अधिकारी, कर्मचारी कोई जानकारी नहीं देते है। जिससे किसानों को उनकी मृदा जांच रिपोर्ट की तैयारी नहीं हो पाती है। मृदा परीक्षण के बिना फसलों का अधिक उत्पादन किसान नहीं ले पा रहे हैं।

-देवेन्द्र सिंह, मानपुरा, जैथरा (एटा)

ब्लाक एवं ग्राम स्तर पर योजनाओं की जानकारी लेने पहुंचने वाले किसानों को अधिकारी, कर्मचारी आजकल आने की कहकर टहला देते है। किसान घंटों इन कार्यालयों में सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए अधिकारियों, कर्मचारियों का इंतजार करते रहते हैं। शासन से डंडा चलने पर ही चल अधिकारी, कर्मचारी गांव में एक-दो दिन ही दिखाई देते है। इसके अलावा इन तक पहुंच पाना आम किसानों के बस की बात नहीं है ।

-राजपाल, मानपुरा (एटा)

धीरे-धीरे ब्लॉक क्षेत्र के किसानों में जागरूकता आ रही है। वह परंपरागत फसलों के साथ-साथ औषधि, आधुनिक फसल उत्पादन की ओर बढ़ रहा है। ब्लॉक क्षेत्र में जैविक खेती को किसान अपना रहा है। जिससे उसको फसल में लाभ होने के साथ-साथ गुणवत्ता भी अच्छी मिल रही है। फसल की गुणवत्ता अच्छा होने से बाजार में मूल्य भी बेहतर मिल रहे है। जिससे किसान खुश है ।

-सोनू चौहान, मानपुरा, जैथरा (एटा)

जैथरा ब्लॉक क्षेत्र में मशरूम की खेती बड़े पैमाने पर किसान कर रहे है। जनपद में इसकी बिक्री के लिए बाजार न होने से उत्पादक किसान परेशान है। फसल उत्पादन होने के बाद उसको बाजार में बेचने के लिए किसान दूसरे जनपद, महानगरों के बाजार में ले जाने को विवश है। जनपद के बाजारों में मशरूम की डिमांड अधिक न होने के कारण मूल्य भी अच्छा नहीं मिल पा रहा है।

-रितिक चौहान, मानपुरा, जैथरा (एटा)

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