फास्ट फूड के जाल में उलझा बचपन
Aligarh News - फोटो कैप्शन.. किलकारी हॉस्पिटल में बच्चे की जांच करते डॉ. विकास मेहरोत्रा (विश्व

फोटो कैप्शन.. किलकारी हॉस्पिटल में बच्चे की जांच करते डॉ. विकास मेहरोत्रा (विश्व पाचन स्वास्थ्य दिवस) -भूख गायब, पेट दर्द और कमजोरी, हर चौथे बच्चे की यही कहानी -युवाओं में तनाव और तली-भुनी चीजों से बिगड़ रहा है डाइजेशन अलीगढ़, वरिष्ठ संवाददाता। बचपन आज भूख से नहीं, बल्कि ‘भूख न लगने की बीमारी से जूझ रहा है। पेट दर्द, गैस, कमजोरी और बदहजमी अब बच्चों के आम लक्षण बन चुके हैं। जिला अस्पताल से लेकर मेडिकल कॉलेज तक की ओपीडी में हर रोज ऐसे नन्हे मरीजों की भीड़ उमड़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों का पाचन तंत्र फास्ट फूड की गिरफ्त में आकर धीरे-धीरे फेल होता जा रहा है।
हरी सब्ज़ियों और दाल-चावल की जगह अब बच्चों की थाली में बर्गर, पिज्जा और इंस्टेंट नूडल्स ने कब्जा कर लिया है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास मेहरोत्रा बताते हैं कि बच्चों के स्वास्थ्य को फास्ट फूड ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। बच्चों में भूख नहीं लगना, लगातार पेट दर्द, गैस और कमजोरी अब सामान्य शिकायतें बन गई हैं। ओपीडी में हर तीसरे बच्चे की समस्या पाचन से जुड़ी होती है। पिछले कुछ वर्षों में ये संख्या 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है। बर्गर, पिज्जा, कोल्ड ड्रिंक जैसे खाद्य पदार्थों में पोषण नहीं होता, जबकि इनमें मौजूद प्रिजर्वेटिव्स और अधिक वसा बच्चों की आंतों पर सीधा असर डालते हैं। यही नहीं, युवाओं में भी तनाव और अनुचित खानपान ने पेट की सेहत बिगाड़ दी है। लंबे समय तक गलत खानपान लिवर और किडनी जैसे महत्वपूर्ण अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। .... युवा वर्ग भी प्रभावित फास्ट फूड का असर सिर्फ बच्चों तक सीमित नहीं है। एक हालिया सर्वे में पाया गया कि पाचन से संबंधित समस्याओं से ग्रस्त 30 प्रतिशत मरीज युवा वर्ग से हैं। गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. अभिनव का कहना है, तनाव, नींद की कमी, और बाहर का खाना युवाओं के डाइजेस्टिव सिस्टम को डिस्टर्ब कर रहा है। परिणामस्वरूप एसिडिटी, कब्ज और इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम जैसी गंभीर समस्याएं उभर रही हैं। ..... जागरूकता है, लेकिन बदलाव कहां? स्वास्थ्य विभाग की ओर से समय-समय पर संतुलित और पौष्टिक आहार को लेकर अभियान चलाए जाते हैं। विद्यालयों में पोषण सप्ताह, बाल मेले और रैलियों के माध्यम से जानकारी दी जाती है। लेकिन व्यवहार में यह जागरूकता कितनी उतर रही है, यह एक बड़ा सवाल है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एसके सिंघल कहते हैं, बच्चों की आदतों को बदलने के लिए माता-पिता को पहले खुद बदलना होगा। घर में हेल्दी खाना बनेगा, तभी बच्चे की थाली से फास्ट फूड बाहर होगा।
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