जीव को अपनी करनी का फल अकेले ही भोगना पड़ता है: राजेश निर्मोही
Ambedkar-nagar News - दुलहूपुर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन कथा व्यास राजेश निर्मोही ने बताया कि जीव अकेला ही जन्म लेता है और मरता है। उन्होंने विवाह को प्रेम संबंध बताया और दहेज प्रथा की आलोचना की। कथा के...

दुलहूपुर, संवाददाता। जीव अकेला ही पैदा होता है और अकेला ही मरकर जाता है। अपनी करनी धरनी का पाप पुण्य का फल भी अकेले ही भोगता है। यह मूर्ख जीव जिन्हें अपना समझ कर अधर्म करके भी पालन पोषण करते हैं वही प्राण धन और पुत्र आदि इस जीव को असंतुष्ट छोड़कर चले जाते हैं, इसलिए ऐसे काम करने चाहिए जिससे इस लोक में सुख की प्राप्ति हो और परलोक में उत्तम गति मुक्ति भी मिल जाए। उक्त बातें कथा व्यास राजेश निर्मोही ने ग्राम हजपुरा में हृदय मणि मिश्र के यहां आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन कही। उन्होंने कहा कि कंस ने अनेक प्रकार के पाप कर्म किए जिसका फल उसे स्वयं ही भोगना पड़ा।
बुधवार की कथा में भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी के विवाह का वर्णन बड़े ही मार्मिक ढंग से किया गया। कथा व्यास ने कहा कि विवाह प्रेम संबंध है जिसमें दहेज जैसी प्रथा का कोई स्थान नहीं है। बहू घर की लक्ष्मी होती है और बेटी देवी होती है। ऐसी स्थिति में बहु को पुत्री के समान समझने से घर में सुख शांति बनी रहती है। शास्त्रों में कहा भी गया है कि जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। कथा के समापन अवसर पर कथा व्यास ने कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा साक्षात श्रीकृष्ण का स्वरूप है। इस कथा अमृत का पान करने से ऋषि के श्राप से ग्रस्त होने पर भी राजा परीक्षित को गति मुक्ति प्राप्त हुई। यदि हम कथा का श्रवण और मनन तथा ध्यान करें तो जीवन सुखी हो सकता है। कथा के प्रारंभ में मुख्य यजमान हृदय मणि मिश्र एवं उनकी पत्नी प्रेम देवी ने कथा व्यास एवं भगवान का पूजन किया। इस मौके पर डॉक्टर राजेश मिश्र, बृजेश मिश्र, आचार्य दुर्गेश पांडेय, विजेंद्र पांडे समेत परिवार के लोग मौजूद रहे।
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