Health Department s Inaction Against Quacks Endangers Lives झोलाछाप कर रहे जिंदगी से खिलवाड़, नोटिस पर सिमटी स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई, Bagpat Hindi News - Hindustan
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झोलाछाप कर रहे जिंदगी से खिलवाड़, नोटिस पर सिमटी स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई

Bagpat News - - 2024 में जारी किए गए थे 300 झोलाछापों को नोटिसझोलाछाप कर रहे जिंदगी से खिलवाड़, नोटिस पर सिमटी स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाईझोलाछाप कर रहे जिंदगी से

Newswrap हिन्दुस्तान, बागपतSun, 11 May 2025 01:09 AM
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झोलाछाप कर रहे जिंदगी से खिलवाड़, नोटिस पर सिमटी स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई

झोलाछाप लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने में लगे है। उनके द्वारा दिए गए गलत उपचार की वजह से कई मरीजों की जान तक जा चुकी है, इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग कुंभकरणी नींद सोया हुआ है। वह चंद झोलाछाप के खिलाफ कार्रवाई कर अपने कार्य की इतिश्री कर रहा है। जिलेभर में कोई गांव ऐसा नहीं है, जिसमें झोलाछाप के क्लीनिक नहीं चल रहे हो। गांवों की बात तो छोड़िए, शहरों के गली-मोहल्लों में भी इनके क्लीनिक संचालित हो रहे है। रोजाना झोलाछाप लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग उन पर नकेल कसने के लिए सजग नहीं है।

सीएमओ कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री पोर्टल पर हर महीने झोलाछाप के खिलाफ शिकायतें पहुंचती हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर विभाग की ओर से महज नोटिस ही जारी किया जाता है। वर्ष 2024 में स्वास्थ्य विभाग ने करीब 300 से अधिक झोलाछापों को नोटिस जारी किए, लेकिन मुकदमा करीब 35 झोलाछापों पर ही दर्ज हुआ था। इतना ही नहीं गिरफ्तारी के बारे में स्वास्थ्य विभाग को भी जानकारी नहीं है। वहीं, चालू वर्ष में भी स्वास्थ्य विभाग यहीं ढुल-मुल रैवेया जारी है। ------- झोलाछाप करते हैं सेहत से खिलवाड़- अस्पतालों में प्रतिदिन पांच से सात ऐसे मरीज भर्ती होते हैं, जिनकी झोलाछाप के इलाज से हालत से बिगड़ जाती है। चिकित्सकों का कहना है कि जिलेभर से कई ऐसे मरीज भर्ती किए जाते हैं, जो पहले हुए इलाज के बारे में झोलाछाप से दवाई लेना बताते हैं। कई मरीज ऐसे होते हैं जिन्हें जरूरत नहीं रहती है, लेकिन झोलाछाप पैसा बनाने के चक्कर में ग्लूकोज की ड्रिप लगा देते हैं। --------- डॉक्टरों की कमी के चलते झोलाछाप से कराते हैं इलाज जिला अस्पताल में मरीज को इलाज कराने के लिए पर्चा बनवाने और दवाई लेने तक दो से ढाई घंटे का समय लगता है। जबकि जिले में अधिकांश निजी चिकित्सकों की फीस एक हजार से 1500 रुपये है। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों की कमी और निजी डॉक्टरों की महंगी फीस से झोलाछाप से मजबूरी में इलाज कराते हैं। ------- जनवरी से अब तक नाममात्र हुई कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग ने एक जनवरी से लेकर अब तक 50 से अधिक झोलाछापों को नोटिस जारी किए। बताया जा रहा है कि उनमें से सिर्फ 7 के खिलाफ ही रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। सीएमओ ने बताया कि इलाज और पंजीकरण से संबंधित जो कागजात उपलब्ध नहीं करा पाए थे, उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। --------- झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। कई झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जा चुकी है। झोलाछाप चिकित्सकों को मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा। डा. तीरथलाल, सीएमओ बागपत

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