Kashipur Old Settlement Faces Flooding Poor Infrastructure and Lack of Basic Services बोले बलिया: बाढ़ का दंश, बल्लियों के सहारे बिजली, Balia Hindi News - Hindustan
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बोले बलिया: बाढ़ का दंश, बल्लियों के सहारे बिजली

Balia News - काशीपुर पुरानी बस्ती में हर साल बारिश के दौरान बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होती है। यहां की सड़कों की खराब स्थिति, जल निकासी की कमी और बिजली के तारों की अव्यवस्था से स्थानीय निवासियों को कठिनाइयों का...

Newswrap हिन्दुस्तान, बलियाFri, 13 June 2025 01:35 AM
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बोले बलिया: बाढ़ का दंश, बल्लियों के सहारे बिजली

नगर की काशीपुर पुरानी बस्ती में हर साल बारिश के दिनों में बाढ़ जैसे हालात हो जाते हैं। बिजली के बेतरतीब तार हादसों को न्यौता दे रहे हैं। कई जगह पोल के अभाव में बांस-बल्लियों के सहारे दौड़ रहे केबल कब कहां से दगा दे देंगे, कुछ कह नहीं सकते। शहरी होने का ‘सुख ऐसा कि कोई बीमार पड़ जाए तो एम्बुलेंस घर तक नहीं पहुंच पाती। कई गलियों में कायदे की सड़कें नहीं हैं। यहां के बाशिंदों को काफी हद तक गांव वाली ‘फीलिंग होती रहती है। काशीपुर के लोगों ने ‘हिन्दुस्तान से नगरीय सुविधाएं न मिलने का दर्द बयां किया।

लालसाहब यादव ने बताया कि करीब पांच दशक पहले हुए सीमा विस्तार के समय इस मोहल्ले को नगरपालिका में शामिल किया गया। यहां के बाशिंदों को खुद के ‘शहरी होने का गुमान हो चला। उम्मीद पाल बैठे कि अब रहन-सहन बेहतर होगा। सुविधाएं और संसाधनों की कमी नहीं होगी। यह भ्रम ही साबित हुआ। बोले, दशकों बाद भी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। जल निकासी का इंतजाम न होने से घरों का भी पानी नहीं निकल पाता। शशिकांत ने बताया कि बरसात में हम हर साल ‘मिनी बाढ़ का सामना करते हैं। निचले घरों में पानी पहुंच जाता है। तब गृहस्थी का सामान बचाना मुश्किल हो जाता है। हर वर्ष तीन से चार महीने तक घर पानी से घिरे रहते हैं। इससे महिलाओं और बच्चों का निकलना मुश्किल हो जाता है। लगातार बारिश होने पर मोहल्ले के लोग चंदा लगाकर पम्पिंग सेट से पानी की निकासी कराते हैं। छोटक और छोटेलाल सोनी ने बताया कि जलजमाव का मुख्य कारण बरसात से पहले नालियों की तली तक सफाई न होना है। जो नाला-नालियां और सड़क बनती हैं, उनका कोई मानक भी नहीं है। न सड़क का ढलान और न पानी का बहाव देखा जाता है। जैसे चाहा काम किया, जेब भरी और निकल गए। स्ट्रीट लाइटें भी खराब: बृजनाथ राम ने बताया कि बिजली के अधिकतर पोल जर्जर हो चुके हैं। कुछ खम्भों पर स्ट्रीट लाइटें हैं, ज्यादातर खराब ही हैं। इसके चलते रात में गलियों में अंधेरा पसरा रहता है। लोगों को आने-जाने में परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। इसका फायदा चोर-उचक्के उठाते हैं। इनकी मरम्मत के साथ ही नई लाइटें लगनी चाहिए। समय से नहीं आता पानी: छोटेलाल सोनी और नंदजी के मुताबिक बस्ती में पेयजल आपूर्ति का समय निर्धारित नहीं है। सप्लाई के पानी में प्रेशर भी नहीं होता कि पहली मंजिल तक पहुंच सके। दूषित जलापूर्ति के चलते वह पीने योग्य भी नहीं रहता। उसे पीने का मतलब बीमारियों को दावत देना। मोहल्ले में हैंडपंप भी नहीं है। एक-दो खराब पड़े हैं। बोले, जलापूर्ति का एक समय निर्धारित होना चाहिए। प्रस्तुति: एनडी राय/श्रवण पांडेय फॉगिंग हुए जमाना बीता शशिकांत और टुनटुन गुप्त ने बताया कि मच्छरों से बचाव के लिए पहले फॉगिंग होती थी, यह गुजरे जमाने की बात है। ध्यान नहीं आ रहा कि आखिरी बार हम लोगों ने कब ऐसा होते देखा था। यही स्थिति एंटी लार्वा के छिड़काव की भी है। मोहल्ले में कूड़ा-कचरा जमा रहता है, नालियां बजबजा रही हैं, नाली का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है लेकिन जिम्मेदार अपनी धुन में मस्त हैं। सप्ताह में कम से कम एक दिन भी सफाई और फॉगिंग हो जाती तो बड़ी राहत मिलती। एनएच जाने वाला रास्ता बदहाल नंदजी राम ने कहा कि मोहल्ले में रास्तों के नाम पर केवल खानापूरी दिखती है। ज्यादातर घरों के बीच सड़क बनी ही नहीं है। बलिया-बैरिया मार्ग से इस मोहल्ले में जाने का मुख्य रास्ता भी बदहाल है। जगह-जगह वर्षों से अतिक्रमण है। इसके चलते वाहनों के आने-जाने में काफी दिक्कत होती है। किसी परिवार का व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार पड़ जाए तो एम्बुलेंस भी किसी के घर तक नहीं पहुंच सकती। मरीज को किसी तरह उठाकर मुख्य सड़क तक लाना पड़ता है। ई-रिक्शा वाले भी सड़क से मोहल्ले में आने से कतराते हैं। उन्हें पलटने का डर रहता है। ददन गोंड ने कहा कि यदि किसी को भवन निर्माण सामग्री लानी हो तो एकमात्र ट्रैक्टर ही सहारा है। यूरिनल ही बन जाए: अशोक गुप्त ने कहा कि एनएच के पास के मोहल्ले में तमाम व्यवसायिक प्रतिष्ठान भी खुल गए हैं। दुकानों या कटरों का अपना कोई शौचालय भी नहीं है। यहां आने वालों को परेशानियां झेलनी पड़ती है। इसलिए सड़कों के किनारे नगरपालिका को सुलभ शौचालय का निर्माण कराना चाहिए। कम से कम यूरिनल ही बनवाया जाना चाहिए। सुझाव जल निकासी का माकूल इंतजाम जरूरी है। बरसात से पहले नालियों की तल तक सफाई कराई जाए। बिजली के तार और केबल को दुरुस्त किया जाए। बांस-बल्ली हटाकर खम्भे लगाए जाएं। मोहल्ले में पुराने मार्गों की मरम्मत के साथ ही नए रास्तों का निर्माण जरूरी है। इससे आवागमन सुगम होगा। जगह-जगह रास्तों पर हुआ अतिक्रमण हटाया जाए। मोहल्ले के लोगों को भी इसमें सहयोग करना चाहिए। मोहल्ले में जगह-जगह कूड़ेदान लगना चाहिए। डोर टु डोर कूड़ा कलेक्शन के साथ ही नियमित कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था हो। शिकायतें जलनिकासी का इंतजाम नहीं है। बरसात में तीन से चार माह तक जलभराव का सामना करना पड़ता है। बिजली के तार बेतरतीब तरीके से लटके हुए हैं। इसके चलते हादसे की संभावना बनी रहती है। ज्यादातर घरों के सामने रास्ते नहीं बने हैं। इसके चलते बारिश के दिनों में आना-जाना मुश्किल हो जाता है। जगह-जगह अतिक्रमण के चलते रास्ते संकरे हो गए हैं। जरूरत पर एंबुलेंस भी नहीं जा पाती। वाहन रखने वाले परेशान होते हैं। मोहल्ले में कूड़ेदान कहीं नहीं लगे हैं। डोर टु डोर कूड़ा कलेक्शन नहीं होता। इससे आसपास गंदगी फैलती रहती है। बोले जिम्मेदार नाली और सड़क के निर्माण के लिए प्रस्ताव बोर्ड की बैठक में दिया गया है। कूड़ा उठाने के लिए ठेलिया और वाहन की मांग भी की गई है। इसके अलावा बिजली के पोल और जर्जर तारों को ठीक कराने के लिए अधिकारियों से बातचीत हुई है। लाइटों को बदलने के साथ ही नया लगवाने का प्रस्ताव भी दिया गया है। -गीता देवी, सभासद, काशीपुर पुरानी बस्ती। सुनें हमारा दर्द नालियां बजबजा रही हैं। सफाईकर्मी नाली की सफाई करने कभी नहीं आते। नाली का पानी सड़क पर लग जाता है। बबलू बरसात में सड़क पर पानी लग जाता है। सड़क और मकान से नाली ऊपर हो जाने के चलते भी बहुत दिक्कत है। नंदजी राम पहले सिटी बजाकर डोर-टु-डोर कर्मचारी आते थे और कूड़ा लेकर जाते थे। अब ऐसा नहीं हो रहा है। ददन गोंड कहीं भी डस्टबिन नहीं है। कूड़ा रखने का स्थान तय न होने से लोग जहां-तहां कूड़ा फेंकते हैं। इससे गंदगी फैलती है। पप्पू खरवार पहले नगरपालिका फॉगिंग कराती थी लेकिन अब यह बंद है। मोहल्ले में मच्छरों के साथ मलेरिया-डेंगू के मरीज भी बढ़े हैं। लालसाहब यादव बस्ती की ज्यादातर सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। कुछ घरों तक सड़क आज भी कच्ची है। नालियां तक नहीं हैं। शशिकांत पेयजल आपूर्ति समय से नहीं होती। सप्लाई में प्रेशर नहीं रहता। ऐसे में पानी कपड़ा धोने लायक भी फोर्स नहीं रहता। छोटेलाल सोनी एनएच के किनारे सुलभ शौचालय या यूरिनल का निर्माण कराना चाहिए। इससे दुकानदारों को भी राहत मिलेगी। टुनटुन गुप्ता मोहल्ले में बिजली के अधिकतर पोल जर्जर हो चुके हैं। स्ट्रीट लाइटें भी खराब हैं। तारों से हादसे का डर रहता है। छोटक नपा ने तीन-चार साल पहले बस्ती के कुछ हिस्सों में पेवर ब्लाॅक बिछवाया था। फिर किसी रास्ते का निर्माण नहीं हुआ। अशोक गुप्ता मकान से नाली-सड़क काफी ऊंची होती जा रही है। कई मकान बेहद पुराने हैं, इसलिए भी दिक्कत होती है। बंटी कुमार सफाईकर्मी कभी-कभार आते हैं। इसके चलते जगह-जगह गंदगी है। खुद ही सफाई का इंतजाम करना पड़ता है। बृजनाथ राम

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