बोले बरेली: नर्सिंग छात्राओं को बेहतर पढ़ाई के लिए चाहिए आधुनिक संसाधन
Bareily News - स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत बनाने में नर्सिंग स्टाफ का महत्वपूर्ण योगदान है। कोरोना महामारी के दौरान नर्सिंग स्टाफ ने मरीजों की सेवा की। महाराणा प्रताप जिला संयुक्त चिकित्सालय के नर्सिंग कॉलेज की...

स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत बनाने और जन-जन तक पहुंचने में नर्सिंग स्टाफ का बड़ा योगदान है। कोरोना महामारी के समय जब पूरी दुनिया सहमी थी, उस कठिन वक्त में नर्सिंग स्टाफ ने जान की परवाह किए बिना मरीजों की सेवा कर मिसाल पेश की। लगातार नर्सिंग के क्षेत्र में युवा आगे आ रहे हैं उनका कहना है कि यह महज पेशा ही नहीं बल्कि सेवा का भी क्षेत्र है। लेकिन नर्सिंग कॉलेज में बेहतर पढ़ाई के लिए संसाधन बढ़ने चाहिए। हिन्दुस्तान ने महाराणा प्रताप जिला संयुक्त चिकित्सालय के नर्सिंग कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं से उनकी परेशानियों के बारे में बात की। महाराणा प्रताप संयुक्त जिला चिकित्सालय के नर्सिंग कालेज में जीएनएम की पढ़ाई के लिए पूरे प्रदेश से छात्राएं आती हैं। यहां तीन वर्ष का जीएनएम का कोर्स कराया जाता है। छात्राओं के लिए पढ़ाई के साथ ही सबसे बड़ा लाभ है क्लीनिकल एक्सपीरियंस मिलने की सहूलियत। यहां जो छात्राएं पढ़ती हैं, उनको जिला अस्पताल में ही अलग-अलग वार्डों में सीखने के लिए मौका दिया जाता है। इससे वह मरीज के इलाज और सेवा के बारे में बेहतर जान समझ पाती हैं।
यह नर्सिंग कॉलेज कई दशक पुराना है। नि:शुल्क होने के बाद भी इस नर्सिंग कॉलेज में सभी सीट नहीं भर पाते है। जीएनएम का कोर्स कर रही छात्राओं का कहना है कि यहां पढ़ाई के संसाधन तो हैं लेकिन वक्त के साथ अब आधुनिक संसाधनों का भी समावेश जरूरी हो गया है। कहने को यह नर्सिंग कॉलेज है लेकिन अस्पताल परिसर में कहीं भी कोई साइन बोर्ड नहीं लगा है। बाहर से आने वाले लोगों को नर्सिंग कॉलेज खोजना ही काफी मुश्किल हो जाता है। कई बार साइन बोर्ड लगाने के लिए कहा भी गया लेकिन यहां साइन बोर्ड नहीं लगा कॉलेज में नर्सिंग छात्राएं हर साल एडमिशन लेती है तो जरूरी है कि हर साल इसकी मरम्मत भी की जाए। फर्नीचर काफी पुराने हो गए हैं, जिनको बदलने की जरूरत है। इसके साथ ही शिक्षा में बढ़ रही तकनीकी को देखते हुए अब निजी नर्सिंग कालेज में प्रोजेक्टर की मदद से पढ़ाया जा रहा है। लेकिन राजकीय नर्सिंग कॉलेज में आधुनिक प्रोजेक्टर नहीं है, जिससे एक बार में बड़ी संख्या में छात्राओं को पढ़ाया जा सके। ऐसे में डायग्राम बनाने में शिक्षकों को काफी समय लग जाता है। प्रोजेक्टर हो तो उनको काफी सहूलियत हो सकती है।
लैब की संख्या बढ़े तो मिले सुविधा
नर्सिंग कॉलेज में तीन वर्षीय जीएनएम का कोर्स संचालित किया जाता है। लेकिन छात्राओं की तुलना में यहां लैब कम है। अगर लैब की संख्या बढ़े तो छात्राओं को अधिक सहूलियत मिलेगी। नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं ने कहा कि जिले के इकलौते राजकीय नर्सिंग कॉलेज में पूरे प्रदेश के अलग-अलग जिलों से छात्राएं आती हैं। उनको उम्मीद रहती है कि यहां उनको बेहतर पढ़ाई के साथ ही प्रैक्टिकल ज्ञान भी मिलेगा। यहां एक लैब और बन जाए तो छात्राओं को काफी सुविधा होगी।
बड़े प्रोजेक्टर से पढ़ाई में आएगी तेजी
नर्सिंग कॉलेज में बड़ा प्रोजेक्टर नहीं है। प्रोजेक्टर की मदद से डायग्राम छात्राओं को दिखाया जा सकता है। नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं ने कहा कि कई बार शिक्षकों को डायग्राम बनाने में इतना समय लग जाता है कि वह टॉपिक पूरा होने में दो से तीन दिन लगते हैं। अगर बड़ा प्रोजेक्टर नर्सिंग कॉलेज को मिल जाए तो टीचर को डायग्राम नहीं बनना पड़ेगा। इस बारे में जिला अस्पताल की अपर निदेशक से मांग भी की गई है। उनकी तरफ से भी शासन को प्रोजेक्टर के लिए पत्र लिखा गया है उनका कहना है कि शीघ्र ही नर्सिंग कॉलेज के लिए बड़ा और आधुनिक प्रोजेक्टर मिल जाएगा। छात्राओं की परेशानी को देखते हुए फिलहाल मिनी प्रोजेक्टर दिया गया है, जल्द ही नर्सिंग कॉलेज को बड़ा प्रोजेक्टर भी दिया जाएगा।
वरीयता वाले जिलों में नहीं मिलता दाखिला
नर्सिंग कॉलेज में कई छात्राएं गोरखपुर, गाजीपुर, बलिया, सोनभद्र, चंदौली जैसे दूर वाले जनपदों से है। उनका कहना है कि काउंसलिंग के समय वरीयता वाले जनपद भरवा लिए जाते हैं लेकिन वहां दाखिला नहीं मिलता है। अगर पास के जनपद में दाखिला होने लगे तो छात्राओं को काफी सहूलियत होगी। कई छात्राओं ने बताया कि प्रवेश के समय उन्होंने बरेली को आखिरी विकल्प के रूप में चुना था और उनको इसी जिले में दाखिला मिला। अगर ऐसा है तो वरीयता मांगने का औचित्य ही नहीं है। छात्राओं ने कहा कि प्रवेश के समय जिन तीन जनपदों को वरीयता क्रम में चुनने को कहा जाता है, उन्हें जिलों में दाखिला हो तो काफी सहूलियत होगी।
नर्सिंग कॉलेज में ऑडिटोरियम भी जरूरी
नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं ने कहा कि यहां ऑडिटोरियम की कमी खलती है। आजकल छोटे कॉलेज में भी ऑडिटोरियम है जहां समय-समय पर कॉलेज की तरफ से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। लेकिन नर्सिंग कॉलेज में कोई ऑडिटोरियम नहीं है। अगर ऑडिटोरियम बन जाए तो स्वागत और विदाई समारोह के साथ ही स्वास्थ्य से जुड़े विशेष दिवस भी मनाए जाए। नर्सिंग छात्राओं ने अस्पताल प्रबंधन से ऑडिटोरियम बनाने की मांग की है।
अस्पतालों में सुरक्षा के हों इंतजाम
सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। नर्सिंग छात्राओं ने कहा कि अस्पताल में आए दिन मारपीट, हंगामा की घटनाओं से उनका मनोबल टूटता है। जब भी अस्पताल में कोई विवाद होता है तो निशाने पर नर्सिंग स्टाफ ही रहता है। महिला नर्सिंग स्टाफ से कई बार गलत व्यवहार की खबरें भी आती है। इससे न केवल हम लोग परेशान होते हैं बल्कि हमारे घरवाले भी चिंतित हो जाते हैं। अस्पतालों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम होने चाहिए। साथ ही अस्पताल में चिकित्सक के साथ मारपीट करने पर जो सजा मिलती है वहीं सजा नर्सिंग स्टाफ के साथ मारपीट करने पर भी मिलनी चाहिए। डॉक्टर के लिए सुरक्षा के जो कानून है, वही नर्सिंग स्टाफ पर भी लागू होना चाहिए।
शिकायतें:
- नर्सिंग कालेज के लिए कोई साइन बोर्ड तक नहीं है और अस्पताल परिसर में भी खोजना पड़ता है।
- नर्सिंग कॉलेज में फर्नीचर काफी पुराने हो गए हैं।
- छात्रों को पढ़ाने के लिए नर्सिंग कॉलेज में आधुनिक और बड़ा प्रोजेक्टर नहीं है जिसकी वजह से काफी परेशानी होती है।
- प्रवेश के समय जिन जिलों को वरीयता में चुना गया था, वहां दाखिला न देकर दूसरे जिले में नर्सिंग छात्राओं को भेजा जाता है। इससे काफी कठिनाई होती है।
- अस्पतालों में आए दिन मारपीट की घटनाएं चिंताजनक होती है।
- नर्सिंग कॉलेज में कोई ऑडिटोरियम नहीं है, जहां समय-समय पर सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किया जा सके।
- जीएनएम की छात्राओं के लिए लैब की संख्या कम है।
सुझाव:
- नर्सिंग कॉलेज में एक ऑडिटोरियम बन जाए जहां शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को संपन्न किया जा सके।
- छात्राओं की संख्या को देखते हुए यहां लैब की संख्या बढ़ानी चाहिए।
- मेन रोड पर नर्सिंग कॉलेज का साइन बोर्ड लगना चाहिए।
- हर साल मरम्मत कार्य हो और तीन से पांच साल में यहां के फर्नीचर भी बदले जाएं
- नर्सिंग कॉलेज को एक बड़ा प्रोजेक्टर मिल जाए तो पढ़ाई में तेजी आएगी और छात्राओं को काफी सुविधा होगी।
- दाखिले के समय वरीयता वाले जिले के नर्सिंग कॉलेज में ही प्रवेश सुनिश्चित होना चाहिए।
हमारी भी सुनिए
काउंसिलिंग के समय हम लोगों से वरीयता के जनपद पूछे जाते हैं लेकिन आवंटन करते समय इसका ध्यान नहीं रखा जाता। अगर नजदीक के जनपद में नर्सिंग कॉलेज है तो वही पर दाखिला मिलने को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। -पूजा मेरौला
राजकीय नर्सिंग कॉलेज में आधुनिक संसाधनों को बढ़ाना चाहिए जिससे नर्सिंग एजुकेशन की गुणवत्ता में सुधार हो। इसका भविष्य में फायदा मरीज को मिलेगा। प्राइवेट नर्सिंग कालेज की तुलना में संसाधन कम हैं। -प्रगति चौहान
सरकारी नर्सिंग कॉलेज में सबसे अच्छी बात है कि यहां हम लोगों को क्लीनिकल एक्सपीरियंस अधिक मिलता है लेकिन राजकीय अस्पतालों में स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की कमी होना खलता है। इस दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए। -शिवी
नर्सिंग कॉलेज में लैब है लेकिन यहां सुविधा सीमित है। अगर एक लैब और मिल जाए तो हम लोगों को काफी सहूलियत होगी और सीखने में भी आसानी होगी। यहां छात्राओं की संख्या और क्लास के मुकाबले लैब कम है। -अनीता
नर्सिंग कालेज में फर्नीचर भी बदले जाने चाहिए। यहां फर्नीचर काफी पुराने हो गए हैं। लकड़ी के पुराने हो गए फर्नीचरों से कई बार छात्राओं को हल्की चोट भी लग जाती है। इसके साथ ही समय-समय पर कक्षा की मरम्मत का काम भी जरूरी है। -आंचल पटेल
नर्सिंग कॉलेज का एक साइन बोर्ड अस्पताल के ठीक सामने सड़क पर लगना चाहिए। यहां आने वाले अधिकांश लोगों को नर्सिंग कॉलेज खोजना पड़ता है। इसके साथ ही कॉलेज के मुख्य गेट पर लगा बोर्ड भी बड़ा हो और दूर से विजिबल हो। -सृष्टि
नर्सिंग कॉलेज में एक ऑडिटोरियम होना चाहिए। यहां फ्रेशर और विदाई समारोह हम लोग मेस में करते हैं। ऑडिटोरियम बन जाएगा तो शैक्षणिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए आसानी होगी। इसके लिए प्रबंधन से हमने मांग की है। -प्रीति
यहां डाइनिंग हॉल होना चाहिए। जहां छात्राएं अपना लंच और डिनर कर सके। यहां सभी छात्राएं रहती भी है। ऐसे में डाइनिंग हॉल नहीं होने से परेशानी होती है। -सोनम
नर्सिंग कॉलेज में ऑडिटोरियम की कमी महसूस होती है। जब कभी हम छात्राओं को कोई शैक्षणिक कार्यक्रम करना होता है तो ऑडिटोरियम न होने से मजबूरी में मेस में कार्यक्रम आयोजित करना पड़ता है। यहां ऑडिटोरियम जरूर बनना चाहिए। - आद्या शुक्ला
नर्सिंग कॉलेज में लैब और ऑडिटोरियम की सुविधा होनी चाहिए। इसके साथ ही समय-समय पर नर्सिंग कॉलेज में कक्षा की मरम्मत होनी चाहिए। दीवारों पर पेंटिंग हो और फर्नीचर भी खराब होने पर बदले जाएं जिससे निजी नर्सिंग कॉलेज के मुकाबले राजकीय नर्सिंग कॉलेज भी बेहतर दिख सके। -सुहानी
नर्सिंग कॉलेज में क्लासरूम कम है। ऑडिटोरियम भी नहीं है। यहां कई जिलों से छात्राएं पढ़ने आती हैं। ऐसे में अगर यहां कक्ष की संख्या बढ़ जाए तो काफी बेहतर रहेगा। इसके साथ ही नर्सिंग कॉलेज का एक साइन बोर्ड में सड़क पर लगना चाहिए। -प्रिया यादव
नर्सिंग की छात्रों को अपने पास के जिले में ही दाखिला मिलना चाहिए। जब दाखिले की प्रक्रिया शुरू होती है तो वरीयता वाले जनपदों का चयन करने को कहा जाता है। छात्राओं की सहूलियत को देखते हुए उनके द्वारा चयनित जिलों में ही उनका दाखिला लेने की सुविधा मिले। -सुगंध अवस्थी
यहां 3 साल का जीएनएम का कोर्स संचालित किया जाता है। हमारा प्रयास है कि सीमित संसाधनों में छात्राओं को बेहतर शैक्षणिक और व्यवहारिक ज्ञान दे सके। अगर आधुनिक सुविधाएं मिले, प्रोजेक्टर और लैब के संसाधन बढ़ें तो शैक्षणिक कार्य में और सुविधा मिल सकती है। -मोनिशा सिंह, इंचार्ज नर्सिंग कॉलेज
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।