बोले बस्ती : सरकार पौधे लगावाए तो ट्री-गार्ड भी उपलब्ध कराए
Basti News - बस्ती में पर्यावरण पर प्रशासन का ध्यान नहीं है। हर वर्ष 35 लाख पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन देखभाल के अभाव में उनकी संख्या घट रही है। पेड़ों की कटाई बढ़ रही है और गर्मी बढ़ती जा रही है। युवाओं को पौधरोपण...
Basti News : पर्यावरण पर प्रशासन का ध्यान है न ही जिले के निवासियों को। कुछ गिने-चुने लोग पर्यावरण की लड़ाई लड़ते-लड़ते आधी उम्र बिता चुके हैं। पर्यावरण के लिए जनपद में प्रतिवर्ष लगभग 35 लाख पौधे लगाए जाते हैं। देखरेख और सुरक्षा के अभाव में इन पौधों की संख्या सैकड़ों में सिमट कर रह जाती है। पर्यावरण असंतुलन की वजह से दिनोंदिन तपन बढ़ती जा रही है। इस तपन का सीधा असर इंसान और जानवरों पर भी पड़ रहा है। इंसान ठंडी हवा के लिए रोजाना नए-नए जतन कर रहा है। वह कुलर में चार से पांच बाल्टी पानी डाल रहा है लेकिन पौधों को पानी डालने की बात पर भागते नजर आ रहा है।
‘हिन्दुस्तान से बातचीत में पर्यावरण प्रेमियों ने समस्याएं साझा करते हुए समाधान की अपेक्षा की। र्यावरण का मानव जीवन के लिए बहुत महत्व है। अगर पौधे नहीं हैं तो मानव जीवन का कोई अस्तित्व नहीं है। हमारे पूर्वज पहले जंगलों में रहते थे। वहीं से उनको आहार के साथ ही बहुत कुछ मिलता था। हमारे पूर्वज पूरी तरह पेड़-पौधों व वनस्पतियों पर ही निर्भर रहते थे। बढ़ती हुई आबादी व शहरीकरण की वजह से पेड़-पौधे,बगीचे व जंगल विलुप्त होने के कगार पर पहुंच रहे हैं। नतीजा यह है कि वातावरण गर्म होता जा रहा है। ऑक्सीजन की कमी महसूस भी की जा रही है। बहुत से पशु-पक्षी विलुप्त होते जा रहे हैं। वहीं मौसम में भी लगताार बदलाव देखा जा रहा है। पर्यावरण प्रहरी गौहर अली, धनीराम गौतम और राकेश यादव ने बताया कि जब लोग गांव से शहर की तरफ आते हैं, तो नतीजा यह होता है कि उन्हें गर्मी में पेड़ की छांव खोजने से नहीं मिलती है। फ्रेश ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है। हम लोगों ने यह फैसला किया कि धीरे-धीरे बस्ती को हरा-भरा बनाया जाए। लोगों ने बताया कि हम लोग जब किसी शादी-विवाह में जाते हैं तो वर-वधू को एक-एक पौधे देते हैं लेकिन पौधा लगाने में लोग रुचि नहीं दिखाते हैं। यह महसूस करने के बाद खुद ही पौधा लगाना और देखभाल करना शुरू कर दिया। फिर भी तमाम छुट्टा पशुओं की वजह से पौधे बच नहीं पाते लेकिन शहर में कुछ लोगों की मानसिकता यह होती है कि दुकान के सामने सड़क की पटरियों पर पौधे न लगाए जाएं। इन दुकानदारों को भी पर्यावरण को लेकर सोच बदलनी होगी। मंतराम चौहान, रामपाल चौहान, विनोद सिंह, रमेश कुमार ने बताया कि पौधे लगाने के साथ उनकी सुरक्षा करना बहुत जरूरी है। इससे पौधों से मिलने वाले ऑक्सीजन के महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इन्होंने ने बताया कि पौधे रोपने में सामने कई तरह की चुनौतियां आती हैं। कभी पौधे लगाने के लिए जगह नहीं मिलती तो कभी जागरूकता के लिए भी विभागों से अनुमति लेनी पड़ती है। घरों में अनिवार्य हो ग्रीन एरिया, पौधरोपण नहीं करने पर हो कार्रवाई : शहरी क्षेत्र में सभी के घरों में नक्शे के साथ ‘ग्रीन एरिया भी पास किया जाता है, लेकिन तमाम जगहों पर नक्शे में ग्रीन एरिया पास होने के बावजूद भी पौधे लगाना भूल जाते हैं। बीडीए द्वारा भी इसकी जांच नहीं की जाती है। जिससे शहर में पेड़ों की संख्या में काफी कमी आई है, जिससे शहरों में तापमान काफी बढ़ गया है। शहरों में गर्म हवाओं से सभी लोग परेशान हो रहे हैं। फिर भी शहर के लोग पेड़ लगाने के प्रति जागरूक नहीं हो रहे हैं। इनके जागरूक नहीं होने पर भविष्य में यह हीटवेब की स्थित और ज्यादा भयावह हो सकती है। खूब हो रही पेड़ों की कटाई नहीं की जा रही है कार्रवाई बस्ती। जिले में हरे पेड़ों की कटाई बड़े पैमाने पर हो रही है। धर्मेन्द्र, गौरीशंकर पाण्डेय, सुरेश और सुनील भट्ट बताते हैं कि जिले में हरे पेड़ बिना रोकटोक काटे जा रहे हैं। इस अवैध कटान के लिए लकड़ी व्यापारी पुलिस और वन विभाग के कर्मचारियों से सांठगांठ रखते हैं। बेरोकटाेक हरे पेड़ों को कटवा रहे हैं। ये लोग रुपये की लालच में आने वाले भविष्य को भूल गए हैं। इनको यह भी पता नहीं है कि हरे पेड़ काटने से मानसून पर भी बुरा असर पड़ता है। इससे वातावरण व फसलों की उपज पर भी खराब प्रभाव पड़ता है। सभी ने एक स्वर में हरे पेड़ों के कटान पर सख्ती बरतने की अपील की। युवाओं को मिले पौधे लगाने का मौका राहुल कुमार, कुलदीप जयसवाल, राजकुमार ने कहा कि सरकार ने पौध लगाने के लिए विभाग को लक्ष्य दिए जाते हैं। इस लक्ष्य में युवाओं को भी शामिल किया जाए। इनका मानना है कि जिलें में लाखों युवा पौध लगाने में रुचि रखते हैं लेकिन इन्हें सरकार द्वारा पौधे लगाने के लिए बढ़ावा नहीं दिया जाता है। अगर युवाओं को पौध लगाने के लिए मौका दिया जाए तो हर वर्ष कई लाख पेड़ तैयार हो सकते हैं। इसलिए हर वर्ष युवाओं को पौधरोपण अभियान में शामिल करना चाहिए। पौधरोपण के बाद देखरेख करना भूल जाते हैं जिम्मेदार बस्ती। प्रदेश सरकार द्वारा जनपद में पौधे लगाने के लिए पानी की तरह धन बहाया जाता है। जिले में पौधे लगाने के लिए 35 लाख पौधरोपण का लक्ष्य दिया गया था। अधिकारी ग्राम प्रधानों को पौधे बांटकर इस लक्ष्य को कागजों में आसानी से पूरा कर लेते हैं। अधिकांश ग्राम प्रधान अधिकारियों के डर से पौधों को तो ले जाते हैं लेकिन गांव में पौधरोपण की बजाय इधर-उधर फेंक देते हैं। कुछ जागरूक प्रधान ग्रामीणों को पौधों का महत्व समझकर पौधरोपण कराते तो हैं लेकिन देखभाल नहीं होने से पौधे सूख जाते हैं। इस्माइल, रेहान और रेखा चित्रगुप्त बताती हैं कि सरकारी महकमा सिर्फ पौधे देते हैं। पौधों के साथ सुरक्षा ट्रीगार्ड भी मुहैया कराना चाहिए जिससे पौधों की सुरक्षा सही ढंग से की जा सके। तभी पर्यावरण में बदलाव देखने को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारी विभाग निर्धारित लक्ष्य के मुताबिक हर वर्ष सैकड़ों-हजारों की संख्या में पौधे लगाते हैं। अनेक स्वयंसेवी संस्थाएं भी पौधरोपण करती हैं लेकिन पौधरोपण के बाद ज्यादातर लोग पौधों को भूल जाते हैं। देखभाल नहीं होने से पौधे सूखकर नष्ट हो जाते हैं। पर्यावरण मित्र सत्यदेव, सुनील भट्ट ने बताया कि यह भी देखा गया है कि कई बार लक्ष्य के सापेक्ष मिले पौधे डंप हो जाते हैं। इसका समाधान यह है कि जो लोग पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं, उन्हें पौधे उपलब्ध करा दिए जाएं। उन्होंने कहा कि पौधे लगाने से पूर्व जिम्मेदारों द्वारा उनकी देखरेख की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। शिकायतें - जिले में 30 लाख से अधिक पौधरोपण कराए जाते हैं। पौधरोपण के बाद जिम्मेदार इस पर ध्यान नहीं देते हैं। - शहरी क्षेत्र में बीडीए द्वारा घर व कार्यालय निर्माण के दौरान मानचित्र में ग्रीन एरिया दिया गया है लेकिन वास्तव में ग्रीन एरिया गायब रहता है। - शहरी क्षेत्र में दुकानदार अपने दुकान के सामने पौधे नहीं लगाने देते हैं। - पौधरोपण के लिए युवाओं को मौका नहीं दिया जाता है। - पौधरोपण के साथ ट्री-गार्ड नहीं लगाया जाता है। सुझाव - जिले में 30 लाख से अधिक पौधरोपण कराए जाते हैं। पौधरोपण के बाद जिम्मेदारों को इसके संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए। - शहरी क्षेत्र में बीडीए को घर व कार्यालय निर्माण के दौरान मानचित्र में ग्रीन एरिया दिखाया जााता है। पौधरोपण के लिए इसका कड़ाई से पालन कराना चाहिए। - शहरी क्षेत्र में दुकानदारों को दुकान के सामने अनिवार्य रूप से पौधे लगाने को कहा जाना चाहिए। - पौधरोपण के लिए युवाओं को मौका दिया जाए। - पौधरोपण के साथ ट्री-गार्ड लगाया जाए, जिससे पेड़ों की सुरक्षा बढ़ सकें। हमारी भीसुनें पर्यावरण स्वच्छ है तो हम हैं। जिले की आबादी लगभग 30 लाख के आसपास है। प्रत्येक परिवार से अगर एक ही पौधे प्रतिवर्ष लगाया जाए तो यह आंकड़ा लाखों के पार जा सकता है। गौहर अली जिले में हरे पेड़ बिन रोकटोक के काटे जा रहे हैं। इस अवैध कटान के लिए लकड़ी व्यापारी पुलिस व वन विभाग को मिलाकर कुछ रुपये की लालच में पेड़ों को कटवा रहे हैं। अशोक सिंह आक्सीजन की समस्या से प्राय: व्यक्ति को तमाम बीमारियों से जूझना पड़ता है। इसका एक मात्र स्थायी उपाय पौधरोपण है। पौधा लगाने व देखभाल करने का संकल्प लेना चाहिए। अजीत पेड़ों के अवैध कटान पर जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं। पेड़ों की कटान से जीव-जंतु की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। विनोद सिंह सरकार की तरफ से पौधरोपण के लिए वन विभाग को लक्ष्य दिए जाते हैं। इस लक्ष्य में युवाओं को भी शामिल किया जाए। जिले में लाखों युवा पौधरोपण में रुचि रखते हैं। शरद पाण्डेय कई बार लक्ष्य के सापेक्ष मिले पौधे सूख जाते हैं। इसका समाधान यह है कि जो लोग पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं, उन्हें पौधे उपलब्ध कराया जाना चाहिए। अखिलेश राज अनेक स्वयंसेवी संस्थाएं भी पौधरोपण करती हैं, लेकिन पौधरोपण के बाद ज्यादातर लोग पौधों को भूल जाते हैं। उचित देखभाल नहीं होने के कारण पौधे सूख जाते हैं। राकेश यादव पौधरोपण हम सबकी जिम्मेदारी है। हम सबको अधिक से अधिक पौधरोपण करना चाहिए जिससे पर्यावरण स्वच्छ बना रहे। तभी हम सभी लोगों का जीवन स्वस्थ्य होगा। धमेन्द्र अधिकारी पौधे लगाने का लक्ष्य भी आसानी से प्रधानों को पौधे बांटकर पूरा कर लेते हैं, लेकिन लापरवाही के चलते अधिकांश पौधे रखे-रखे सूख जाते हैं। गौरीशंकर पाण्डेय शहरों में प्रतिष्ठानों के सामने पौधे लगाने की बात पर दुकानदार झगड़ने लगते हैं। इस पर शहरी क्षेत्र में एक अभियान चलाकर प्रत्येक दुकानों के सामने पौधे लगाने की व्यवस्था की जाए। सुरेश 27 वर्षों से पर्यावरण को लेकर लड़ाई लड़ रहा हूं। पर्यावरण बेहतर रखने के लिए पौधे लगा रहे हैं। सभी लोगों से अपील है कि हर घर के सामने प्रत्येक वर्ष एक पौधे जरूर लगाएं। पं. सुनील भट्ट मानव जीवन में पेड़ों का बहुत महत्व है। पेड़ हैं तो हम भी सुरक्षित हैं। इसलिए सभी को पौधरोपण करना चाहिए। जिससे हमारा आने वाला भविष्य भी सुखद रहे। कुलदीप जायसवाल शहर के बड़ेवन-कंपनीबाग मार्ग का निर्माण हुआ है। इसके निर्माण के लिए सैकड़ों पेड़ काटे गए हैं। इन पेड़ों के काटने के बजाय दूसरे स्थान पर ट्रासंप्लांट किया जाना चाहिए था। रेखा चित्रगुप्त पौधरोपण के लिए सरकार पानी की तरह रुपये बहाती है। पौधरोपण के साथ ट्री-गार्ड भी लगाया जाना चाहिए जिससे पौधों को छुट्टा जानवरों से बचाया जा सके। संध्या दीक्षित पर्यावरण संरक्षण से हमारी सेहत और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। स्वच्छ पर्यावरण में रहने से बीमारियों का खतरा भी कम होता है। रागिनी प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण पर्यावरण संरक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे हम अपने संसाधनों का स्थायी उपयोग कर सकते हैं। बिंदू बोले जिम्मेदार पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए सरकार की ओर से अभियान चलाकर प्रतिवर्ष 35 से 40 लाख पौधे लागए जाते हैं। सरकार द्वारा हरे पेड़ काटने पर रोक लगाया गया है, जो भी हरे पेड़ों को बिना अनुमति के काटते हैं, उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई की जाती है। सभी नागरिकों से अनुरोध है कि पर्यावरण को बचाने के लिए खूब पौधरोपण करें, जिससे पर्यावरण संतुलन को बचाया जा सके। अजय प्रताप सिंह, क्षेत्रीय वन अधिकारी
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