विजेता और चुनाव एजेंट सहित पांच गवाह हो गए थे पक्षद्रोही
Basti News - बस्ती में 2003 के एमएलसी चुनाव की मतगणना के दौरान भाजपा के मनीष जायसवाल ने जीत हासिल की, लेकिन सपा प्रत्याशी कंचना सिंह ने हंगामा किया। बाद में, 10 गवाह पक्षद्रोही बन गए। 20 साल बाद, कोर्ट ने सजा...

बस्ती। एमएलसी चुनाव 2003 की मतगणना तहसील सदर सभागार में चल रही थी। भाजपा से मनीष जायसवाल, सपा से कंचना सिंह और निर्दल प्रत्याशी हरिओम श्रीवास्तव उम्मीदवार थे। मनीष जायसवाल को 124 वोटों से जीत की घोषणा पर सपा प्रत्याशी हंगामा करते हुए मतगणना कक्ष में घुस गए। तोड़फोड़ की और मतपत्र लूटे। आरओ ने आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया, पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। 10 को मामले में गवाह बनाया। इन 10 गवाहों में विजेता मनीष जायसवाल सहित पांच गवाह पक्षद्रोही हो गए। पूरा केस सरकारी गवाहों पर चला और इनको तीन-तीन वर्ष कारावास की लोअर कोर्ट ने सजा दे दी। कोतवाली थाने में तीन दिसंबर 2003 को दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 1398 धारा 147, 323, 353, 332, 382 आईपीसी, 7 सीएलए और 136 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कंचना सिंह, उनके पति आदित्य विक्रम सिंह अठदमा स्टेट रुधौली, मो. इरफान पुत्र स्व. मलिक कमाल युसूफ (तत्कालीन पूर्व विधायक डुमरियागंज), तत्कालीन ब्लॉक प्रमुख सल्टौआ बृजभूषण सिंह, तत्कालीन ब्लॉक प्रमुख परसरामपुर त्रयंबक पाठक, अशोक सिंह पड़री रुधौली, संजय जायसवाल पुरानी बस्ती, महेश सिंह पूर्व ब्लॉक प्रमुख गौर और 50 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। इसमें 10 लोगों को गवाह बनाया गया। गवाहों में विजेता एमएलसी मनीष जायसवाल, चुनाव एजेंट प्रेमसागर तिवारी, राजकुमार पांडेय, परमात्मा शुक्ला, निर्दल प्रत्याशी हरिओम श्रीवास्तव व सरकारी विभागों से अखिलेश पाठक, शिरीष दूबे, राजीव शर्मा, सीओ ओमप्रकाश सिंह व सुरक्षा कर्मी सुदामा यादव शामिल रहे।
एमएलसी मनीष जायसवाल, चुनाव एजेंट प्रेमसागर तिवारी, राजकुमार पांडेय, परमात्मा शुक्ला, निर्दल प्रत्याशी हरिओम श्रीवास्तव पक्षद्रोही हो गए। सभी ने अपने-अपने बयान में यही कहा कि उन्होंने कोई घटना नहीं देखी। मनीष जायसवाल ने कहा कि जब मुझे पता चला कि 124 वोट से जीत गया तो मैं वहां से चला गया। बाद में क्या हुआ, मैंने नहीं देखा। ऐसा ही कुछ बयान अन्य गवाहों ने दिया। सरकारी अधिवक्ता ने इन सभी को पक्षद्रोही कहा था। मुकदमा आरओ, एआरओ, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट, सीओ, कांस्टेबल की गवाही पर एसीजेएम द्वितीय कोर्ट में चला। 20 वर्ष बाद मई 2023 को फैसला आया। फैसला आने के पहले ब्लॉक प्रमुख सल्टौआ रहे बृजभूषण सिंह की मौत हो गई थी। कोर्ट ने शेष सात लोगों को अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई। सभी सजा एक साथ चलाने का आदेश दिया, जिसमें तीन-तीन वर्ष का कारावास और दो-दो हजार रुपये अर्थदंड की सजा दी। अब अपीलकर्ता कंचना सिंह की भी मौत हो चुकी है। पूर्व विधायक आदित्य विक्रम सिंह ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कोर्ट को सूचना दिया है। विशेष न्यायाधीश ने उनके संबंध में अग्रिम कार्रवाई का आदेश दिया है। मंगलवार सायं भाजपा व कांग्रेस से विधायक रहे संजय जायसवाल, तत्कालीन सपा नेता महेश सिंह, सपा नेता त्रयंबक पाठक, पूर्व विधायक पुत्र मो. इरफान और अशोक सिंह को जेल भेजा गया।
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गालीगलौज व जानमाल की धमकी के आरोप से बरी
एसीजेएम द्वितीय की कोर्ट तहसील सभागार में गालीगलौज करने व जानमाल की धमकी देने के आरोप से बरी कर दिया था। बलवा, मारपीट, सरकारी कार्य में बाधा डालने सहित अन्य धाराओं में सजा हुई। अपर कोर्ट में अपील के दौरान बचाव के लिए विपक्षियों ने कई सवाल उठाए थे। चोरी किए गए 50 मतपत्रों को पुलिस बरामद नहीं कर पाई। 50 मतपत्र नहीं मिले तो आरओ ने चुनाव परिणाम कैसे घोषित कर दिया। चोरी का आरोप गलत था। गवाहों ने भी इन घटनाओं की पुष्टि नहीं की। अपील में बीमारी का भी जिक्र करते हुए राहत मांगी गई थी, जिसमें दो को हार्ट की समस्या और एक को कैंसर की बीमारी बताया गया था।
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