बोले बिजनौर : चैस बोर्ड मिले, बच्चों को प्रशिक्षकों का इंतजार
Bijnor News - एक समय बच्चों में शतरंज का खेल कम था, लेकिन अब स्कूलों में बच्चों की रुचि बढ़ रही है। हालांकि, संसाधनों की कमी और कुशल प्रशिक्षकों की कमी के कारण बच्चे आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। जिला प्रशासन ने शतरंज...

एक समय था जब बच्चे शतरंज से दूर थे। आज स्कूलों में बच्चे शतरंज में हाथ आजमा रहे हैं, लेकिन संसाधनों का अभाव बच्चों को आगे नहीं बढ़ने दे रहा है। जिले से डी गुकेश जैसे शतरंज के खिलाड़ी निकालने के लिए प्रयास शुरू हुए हैं। शतरंज को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन संसाधनों का अभाव आड़े आ रहा है। भले ही आज दो हजार से अधिक सरकारी स्कूलों में बच्चे शतरंज खेल रहे हैं, लेकिन स्कूलों में कुशल प्रशिक्षक की कमी खल रही है। जिला प्रशासन ने शतरंज को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए हैं। स्कूलों में चैस बोर्ड बंटवाए गए हैं, लेकिन अनुभवी प्रशिक्षक नहीं है।
इतना ही नहीं अभिभावक भी बच्चों की प्रतिभा को लेकर जागरुक नहीं है। हालात ऐसे है कि प्रतियोगिता कराने के लिए प्रायोजक तक नहीं मिलते हैं। शतरंज ऐसा खेल है कि जिससे खिलाड़ी का मानसिक और बौद्धिक विकास होता है। शतरंज मनोरंजन के साथ-साथ चुनौतीपूर्ण और बौद्धिक गतिविधि भी है। जिले में अब शतरंज को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिले में शतरंज के खिलाड़ी तो बढ़े हैं, लेकिन संसाधनों का अभाव मंजिल तक पहुंचने नहीं दे रहा है। शतरंज के खिलाड़ी एक नहीं कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। जिले में शतरंज को बढ़ावा तो दिया जा रहा है, लेकिन शतरंज सिखाने के लिए स्कूलों में बेहतरनी प्रशिक्षक नहीं है। इस अभाव में खेल प्रतिभाएं दब रही हैं। शासन स्तर से बच्चों की शतरंज के लिए बजट जारी होना चाहिए। शतरंज के लिए बजट जारी नहीं होता है। अगर बजट जारी होगा तो जनरेटर आदि की व्यवस्था हो सकेंगी। इतना ही नहीं बच्चों के शतरंज को लेकर अभिभावक भी जागरुक नहीं है। अंजलि, लक्ष्य, सुंदरम और आकृष्ट पांडेय आदि शतरंज के खिलाड़ियों ने कहा कि स्कूलों में नियमित रूप से शतरंज खिलाई जाए। स्कूलों में नियमित रूप से शतरंज नहीं खिलाई जाती है। इतना ही नहीं दूसरे जिलों में होने वाली शतरंज प्रतियोगिता में जिले से जाने वाले खिलाड़ियों का खर्च जिला प्रशासन वहन करें, क्योंकि काफी खिलाड़ी ऐसे है जिनके अभिभावकों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। शतरंज खिलाड़ियों ने कहा कि शतरंज के इंटरनेशनल मास्टर और गै्रंडमास्टर को बुलाकर अधिक से अधिक कोचिंग कैम्प लगने चाहिए। इन कोचिंग कैम्प का खर्च प्रशासन वहन करें। अगर ऐसा सुनिश्चित हो पाया तो शतरंज खिलाड़ियों को बड़ी राहत मिलेगी। स्वर्णिम चौधरी, लक्ष्य गर्ग और हर्षित ने कहा कि सीबीएसई स्कूलों से लेकर माध्यमिक और बेसिक स्कूलों में शतरंज को लेकर वार्षिक कलेंडर बनाया जाए। इसके साथ ही जिला स्तर पर खेल प्रतिभाओं को चिन्हित कर पुरस्कृत कर सम्मानित किया जाए ताकि शतरंज के खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का हौंसला मिलेगा। व्यायाम शिक्षक और अनुदेशकों को दिया जाए प्रशिक्षण ब्लाक स्तर पर व्यायाम शिक्षक, अनुदेशक और न्याय पंचायत पर शिक्षक संकुल आदि को शतरंज का प्रशिक्षण दिया जाए। ताकि वह प्रशिक्षण लेने के बाद बच्चों को शतरंज खेलने में महारथी बना सकें। अगर ऐसा होगा तो वह स्कूलों में बच्चों को शतरंज के गुर सीखा सकेंगे। ब्लाक स्तर पर होनी चाहिए अधिक से अधिक शतरंज प्रतियोगिता जिला शतरंज संघ के जिला महासचिव दुष्यंत कुमार और कोच इशिका गर्ग ने कहा कि ब्लाक स्तर पर शतरंज को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक प्रतियोगिता होनी चाहिए। अधिक प्रतियोगिता होंगी तो शतरंज को बढ़ावा मिलेगा और शतरंज में प्रतिभाएं निकलकर सामने आएंगी। नियमित रूप से स्कूलों में खिलाई जाए शतरंज जिले में खेल प्रतिभाएं तो हैं, लेकिन तरासने की आवश्यकता है। जिले में पिछले सालों की अपेक्षा अब शतरंज को बढ़ावा दिया गया है। बेसिक स्कूलों में चैस बंटवाई गई है। खिलाड़ियों को संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में नियमित रूप से रोज बच्चों को शतरंज खिलाई जाए। अन्य खेलों की तरह बच्चे स्कूलों में शतरंज खेले। शतरंज के लिए भी एक समय निश्चित किया जाए। अगर ऐसा होगा तो खिलाड़ियों का मानसिक और बौद्धिक विकास होगा तथा जिले में से शतरंज के माहिर खिलाड़ी निकलकर सामने आएंगे। प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। बोले जिम्मेदार शतरंज के माध्यम से जिले में प्रतिभाओं को चिन्हित करने का काम भी किया जा रहा है। शतरंज में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को आगे बढ़ाया जाएगा। खिलाड़ियों के सामने आने वाली समस्या जैसे बजट न मिलना आदि को प्रशासनिक अधिकारियों के सामने रखा जा रहा है। प्रयास किए जा रहे हैं कि शतरंज खिलाड़ियों को भरपूर संसाधन उपलब्ध कराए जाए, ताकि वह आगे बढ़कर जिले का नाम रोशन कर सकें। - दुष्यंत कुमार, जिला महासचिव, जिला शतरंज संघ। सुझाव 1. जिला व ब्लाक स्तर पर प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएं। 2. जिला व कस्बा स्तर पर शतरंज क्लब गठित किए जाए। 3. न्याय पंचायत स्तर पर शतरंज के कोच नियुक्ति किए जाए। 4. दूसरे जिले में आयोजित प्रतियोगिताओं का खर्च खिलाड़ियों को दिया जाए। 5. ग्रेंड मास्टर की देखरेख में साल में कोचिंग कैंप लगाए जाए। शिकायतें 1. जिला और ब्लाक स्तर पर प्रतियोगिताएं आयोजित नहीं की जाती हैं। 2. शतरंज प्रतियोगिताओं के लिए नहीं मिल पाते है प्रायोजक। 3. स्कूल-कालेजों में नहीं है शतरंज कोच नियुक्ति। 4. दूसरे जिले में आयोजित प्रतियोगिताओं का खर्च खिलाड़ियों को वहन करना पड़ता है। 5. प्रशासन स्तर से नहीं दी जाती है शतरंज खिलाड़ियों को कोई सुविधा। ------ हमारी सुनो बात शतरंज मनोरंजन के साथ-साथ चुनौतीपूर्ण और बौद्धिक गतिविधि भी है। जिससे इंसान चुनौतियों का सामना करना सीखता है। - अंजलि स्कूलों में शतरंज के प्रशिक्षक नहीं है। जिससे शतरंज के बेहतर खिलाड़ी नहीं बन पा रहे है। - लक्ष्य इंटरनेशनल मास्टर और ग्रेंड मास्टर की देखरेख में साल में कोचिंग कैंप लगने चाहिए। जिसका शुल्क प्रशासन को वहन करना चाहिए। -सुंदरम शतरंज को लेकर अभिभावक जागरूक नहीं है। अभिभावकों को शतरंज की सही जानकारी होना बेहद जरूरी है। जिससे वह अपने बच्चे को शतरंज के लिए प्रेरित करें। - जीविशा स्कूल-कालेजों में नियमित रूप से शतरंज नहीं खिलाई जाती है। नियमित रूप से शतरंज खिलाई जानी चाहिए। - सरगव्य भारद्वाज दूसरे जिलों में आयोजित प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों को प्रतिभाग कराया जाए। जिसका वहन जिला प्रशासन को करना चाहिए। - स्वर्णिम चौधरी कस्बों और गांवों में शतरंज के क्लब गठित किए जाए। जिससे बच्चों और बड़ों में शतरंज को लेकर शौक पैदा किया जा सके। - लक्ष्य गर्ग खेल अनुदेशकों को शतरंज का प्रशिक्षण दिया जाए, जिससे वह स्कूलों में बच्चों को अच्छा खेल सीखा सके। - आकृष्ट पांडेय न्याय पंचायत स्तर पर शतरंज के प्रशिक्षक नियुक्त किए जाए। जिससे गांव स्तर पर अच्छे खिलाड़ी तैयार हो सके। - अन्नया गुप्ता शतरंज के नियमों और रणनीतियों को सीखना मुश्किल हो सकता है। इसके लिए प्रशिक्षित कोच कमियों को दूर करता है। - हर्षित जिला स्तर पर खेल प्रतिभाओं को चिंहित कर सम्मानित किया जाए। जिससे दूसरे खिलाड़ी प्रेरणा ले। - भार्गवी बालियान सीबीईसी, आईसीएससी, माध्यमिक व बेसिक में शतरंज प्रतियोगिता के लिए वार्षिक कलेंडर बनाया जाए। जिससे खिलाड़ियों में खेल को लेकर रूझान बढ़ेगा। - शौर्य चहल जिले व ब्लाक स्तरों पर शतरंज की अधिक से अधिक प्रतियोगिताएं होनी चाहिए। जिससे खिलाड़ी मानसिक रूप से तैयार हो सके। - हरजस शतरंज प्रतियोगिता कराने के लिए प्रायोजक नहीं मिलते है। जिसके चलते प्रतियोगिताए नहीं होती है। जिला प्रशासन शतरंज के लिए प्रायोजक तलाश करें। - टीसा जैन शतरंज के लिए जिला स्तर पर हाल बनवाया जाए और उसमें जेनरेटर सहित अन्य सुविधाए दी जाए। - आन्या चौधरी
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