एमडीआर टीबी की नई दवा से अब सिर्फ छह महीने में होगा उपचार
Bijnor News - मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस (एमडीआर टीबी) के मरीजों के लिए नए 6 महीने के प्रभावी कोर्स को मंजूरी दी गई है। पहले के 18-24 महीने के उपचार की तुलना में यह कोर्स अधिक असरदार और सुरक्षित है। बिजनौर...

मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस (एमडीआर टीबी) के मरीजों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। अब उन्हें 18-24 महीने के लंबे और जटिल उपचार से मुक्ति मिल सकेगी। सरकार ने छह महीने के नए और अत्यधिक प्रभावी कोर्स को मंजूरी दे दी है और बिजनौर में मरीजों का यह कोर्स शुरू भी कर दिया है। यह कदम देश को 2025 तक टीबी मुक्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एमडीआर टीबी, टीबी का एक ऐसा प्रकार है जो टीबी की दो सबसे शक्तिशाली और पहली पंक्ति की दवाओं-आइसोनियाजिड और रिफाम्पिसिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है। इसका मतलब है कि ये दवाएं टीबी के जीवाणुओं पर अब असर नहीं करतीं, जिससे इलाज और भी मुश्किल हो जाता है।
यह स्थिति आमतौर पर तब उत्पन्न होती है जब टीबी के मरीज अपना इलाज अनियमित रूप से करते हैं, या दवा का पूरा कोर्स नहीं लेते हैं। पहले एमडीआर टीबी का इलाज 18 से 24 महीने तक चलता था, जिसमें कई दवाएं खानी पड़ती थीं और उनके दुष्प्रभाव भी काफी होते थे। डीटीओ डा. अनिल कुमार सिंह के अनुसार नए कोर्स (बीपीएएलएम) में बेडाक्विलाइन, प्रीटोमैनिड, लाइनजोलिड और मोक्सीफ्लोक्सासिन का संयोजन है। इस नए कोर्स में सबसे बड़ी खासियत इसकी अवधि है। जहां पहले एमडीआर टीबी का इलाज डेढ़ से दो साल तक चलता था, वहीं नया कोर्स इसे घटाकर मात्र 6 महीने कर देता है। बिजनौर में यह कोर्स करीब 10 दिन पूर्व से शुरू कर दिया गया है। पहले के मुकाबले अधिक असरदार है नया कोर्स डीटीओ डा. अनिल कुमार सिंह के अनुसार यह नया कोर्स पहले के उपचारों की तुलना में कहीं अधिक प्रभावी और सुरक्षित साबित हुआ है। पारंपरिक एमडीआर टीबी उपचारों में जहां सफलता दर कम थी और मरीजों को गंभीर दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ता था, वहीं इसकी सफलता दर बहुत अधिक है। कुछ अध्ययनों में 90% से अधिक सफलता दर की सूचना मिली है। इसके अलावा, यह मरीजों पर दवा के बोझ को कम करता है, क्योंकि इसमें कम गोलियां लेनी पड़ती हैं, और इसके दुष्प्रभाव भी अपेक्षाकृत कम होते हैं। वर्जन... नया कोर्स न केवल एमडीआर टीबी मरीजों के लिए बल्कि स्वास्थ्य प्रणाली के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि इससे इलाज की लागत में भी कमी आएगी और टीबी उन्मूलन के प्रयासों को बल मिलेगा। - डा. कौशलेन्द्र सिंह, सीएमओ, बिजनौर
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