बोले बिजनौर : परमिट के बाद भी डग्गामार का आरोप, चालान से कारोबार चौपट
Bijnor News - नगीना में प्राइवेट बस मालिकों के सामने जीविका का संकट उत्पन्न हो गया है। लगभग 100 प्राइवेट बसें संचालित हैं और चालान, अवैध वाहनों के कारण आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या...

प्राइवेट बस मालिकों के सामने जीविका चलाने का संकट पैदा हो गया है। नगीना में करीब 100 प्राइवेट बस संचालित हैं। इनके संचालक एक नहीं कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। यह समस्या पिछले काफी समय से चली आ रही है। समस्या के निस्तारण के लिए मांग उठाई, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। निजी बस संचालकों को मनमाना चालान उन्हें दर्द दे रहा है। प्राइवेट बसों का चालान होने से आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है। वहीं काफी समय के बाद चुनाव ड्यूटी का भुगतान होता है। इतना ही नहीं वाहनों को डग्गामार वाहन बताकर जुर्माना वसूला जाता है।
नगीना से विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों व शहरी क्षेत्र में ई-रिक्शा व सीएनजी आटो के संचालन ने प्राइवेट बस का कारोबार पूरी तरह ठप कर दिया है। एक तरफ जहां प्राइवेट बस संचालक सरकार को प्रति वर्ष लाखों रुपए का कर देते हैं वहीं दूसरी तरफ बिना परमिट के ई-रिक्शा के घूमते पहियों ने प्राइवेट बस के पहियों को जाम कर दिया है। प्राइवेट बस संचालक इस उम्मीद में हैं कि कब समस्याओं का निस्तारण होगा। नगीना में करीब 100 प्राइवेट बस संचालित है और यात्रियों को उनके गंतव्य तक छोड़ रही है। इन बसों की सुविधा करीब 1000 लोग ले रहे हैं। 100 बसों से करीब 1 हजार लोगों का रोजगार जुड़ा है। प्राइवेट बस संचालकों की सबसे बड़ी समस्या निजी बस संचालकों को मनमाना चालान होना है। सड़कों पर खड़ी प्राइवेट बसों का चालान ट्रेफिक पुलिस द्वारा कर दिया जाता है। मनमाना चालान होने से बस संचालकों को आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है। इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव बसों को तो लगा दिया जाता है लेकिन काफी समय के बाद चुनाव ड्यूटी का भुगतान होता है। इतना ही नहीं वाहनों को डग्गामार वाहन बताकर जुर्माना वसूला जाता है। इससे भी कम टूट रही है। सीएनजी आटो ओर ई रिक्शा केचलने से प्राइवेट बसों का कारोबार बुरी तरह प्रभावित है। रोडवेज की बसों से अधिक राजस्व देने के बाद भी उपेक्षा होती है। प्राइवेट बस संचालकों का कहना है कि सीएनजी आटो और ई रिक्शा के संचालन केवल नगर पालिका क्षेत्र में होना चाहिए। हाईवे और प्राइवेट रुट पर इनका संचालन बंद होना चाहिए। हालात ऐसे है कि यह दो सवारी लेकर ही दौड़ जाते हैं जबकि यह सवारी प्राइवेट बसों की होती है। नगीना में 250 से ज्यादा सीएनजी आटो चल रही है। हाईवे व प्राइवेट रुट पर इनके संचालन पर रोक लगाई जानी चाहिए। सचिन विश्नोई, खुर्शीद कुरैशी, सुनील बिश्नोई, रोहिताश बिश्नोई, अतीक अहमद ने बताया कि अलग अलग स्थानों पर बसों को खड़ा किया जाता है। एक निश्चित बस अड्डा होना चाहिए ताकि बसों को बस अड्डे पर आसानी से खड़ा किया जा सकें। समय-समय पर मेडिकल कैम्प लगने चाहिए ताकि चालक और परिचालकों की आंखों की जांच हो सकें। कहा कि सबसे बड़ी समस्या टोल है। नगीना से धामपुर जाने के लिए मात्र तीन किलोमीटर पर ही टोल पड़ता है। इस टोल से प्राइवेट बस संचालकों को राहत मिलनी चाहिए। प्राइवेट बस संचालकों ने कहा कि प्राइवेट बस चालक और परिचालकों को मेडिकल सुविधा का लाभ मिलना चाहिए। किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिलती है। अगर ऐसा होगा तो बड़ी राहत मिलेगी। सरकारी बसों का निर्धारित रूट होना चाहिए। प्राइवेट बसों का कारोबार पूरी तरह प्रभावित हो गया है। समस्याओं का निस्तारण बेहद जरूरी है। सरकार प्राइवेट बस संचालकों की समस्याओं पर दें ध्यान प्राइवेट बसों पर लगे कर्मचारियों के परिवारों के सामने रोजी- रोटी का संकट है। सभी रूटों पर लगभग 300 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। बस मालिकों की रोजी-रोटी के अलावा 300 परिवारों का चूल्हा भी प्राइवेट बसों के संचालक पर निर्भर करता है। पिछले करीब 3 सालों से इन मार्गों पर हजारों की संख्या में चलने वाले अवैध वाहनों ने प्राइवेट बसों की संख्या को निरंतर घटा दिया है। अब लोग प्राइवेट बसों में बैठने से कतरा रहे हैं। बसों के मालिकों की मांग है की सरकार उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए कोई ठोस पहल करें, ताकि इन बसों का संचालन पूर्व की तरह सुचारू हो सके। बस मालिकों के कहना है कि प्राइवेट बसों के संचालन के लिए जो निश्चित रूट है उन पर ई-रिक्शा व अन्य सवारी ढोने वाले वाहनों का पूर्ण रूप से सख्ती के साथ संचालन बन्द होना चाहिए। जिससे प्राइवेट बसों को राहत मिल सके और उनकी आमदनी में वृद्धि होगी तो बस मालिक व बस स्टाफ अपने परिवार का पालन पोषण कर सकेंगे। ---------- बस स्टैंड बने तो मिले राहत, एआरटीओ कार्यालय में हो अलग काउंटर प्राइवेट बस संचालकों ने कहा कि बस स्टैंड होना चाहिए। प्रतीक्षालय से लेकर पेयजल और शौचालय आदि की सुविधा मिले। इतना ही नहीं एआरटीओ कार्यालय पर अलग से काउंटर होना चाहिए। इन सुविधाओं का ध्यान दिया जाए। अगर इन समस्याओं का निस्तारण होगा तो बड़ी राहत मिलेगी। नाबालिग दिव्यांग धड़ल्ले से चला रहे ई रिक्शा प्राइवेट बस संचालकों ने कहा कि तहसील नगीना के आस पास के ग्रामों जिनकी दूरी 8-10 किमी है वहां ई -रिक्शाओं द्वारा उनकी सवारी ले जाकर चूना लगाया जा रहा है। जल्दी घर जाने के लिए लोग ईरिक्शा का सहारा लेते हैं। सवारी से पैसे भी ज्यादा वसूले जाते हैं तथा काफी नाबालिग दिव्यांग ई रिक्शा चला रहे हैं। प्राइवेट बस संचालकों ने कहा कि अवैध रूप से चल रहे ईरिक्शा पर रोक लगनी चाहिए। नाबालिग व दिव्यांग ई-रिक्शा चालकों पर रोक लगाई जाए। इन चालकों का पंजीकरण व सत्यापन समय समय पर होना चाहिए। ------------- सुझाव-- 1. ग्रामीण क्षेत्र में जाने वाले प्राइवेट वाहनों वाले मार्ग पर छोटे सवारी वाहन का संचालन बन्द किया जाए। 2. अवैध वाहनों पर अंकुश लगाने के लिये सप्ताह में दो बार चेकिंग अभियान चलाया जाए। 3. प्राइवेट बस संचालन के लिए रोड टैक्स में छूट दी जानी चाहिए। 4. प्राथमिकता के आधार पर प्राइवेट बस मालिकों की समस्याओं को समाधान किया जाना चाहिए। 5. परमिट बसों के संचालन में समय सारणी व्यवस्था बस अड्डों पर बोर्ड पर लिखित होनी चाहिए। 6. लंबी दूरी के लिए ई रिक्शाओं पर पाबंदी होनी चाहिए। शिकायतें-- 1. ग्रामीण इलाकों में भी रोडवेज बसों का संचालन होने से प्राइवेट बसों में यात्री की संख्या घट गई। 2. लंबी दूरी पर ई-रिक्शाओं का संचालन बंद होना चाहिए। 3. अवैध वाहनों के खिलाफ शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं होती है। 4. प्राइवेट संचालकों को टैक्स आदि में छूट नहीं दी जाती है। 5. प्राइवेट बसों के संचालन में चालकों के रूझान में आई है कमी सुनो हमारी बात प्राइवेट बस मालिकों के सामने बहुत समस्याएं हैं। सरकार को बस मालिकों की समस्याओं पर गंभीरता से विचार करते हुए उनका समाधान करना चाहिए। - सचिन बिश्नोई, अध्यक्ष बस यूनियन यदि सरकार ने प्राइवेट बस मालिकों की समस्याओं का समाधान बहुत जल्दी नहीं किया तो प्राइवेट बसों का संचालन बंद करना पड़ेगा, क्योंकि ज्यादा घाटा सहन करने की स्थिति में नहीं है। - खुर्शीद कुरैशी नगीना-किरतपुर मार्ग पर यात्रियों के लिए एकमात्र सहारा प्राइवेट बस ही है, क्योंकि इस मार्ग पर सरकारी बसों का कोई संचालन नहीं है। फिर भी सरकारी अधिकारियों की हमारे प्रति अनदेखी दुखद है। - सुनील बिश्नोई नगीना-धामपुर-काशीपुर-कालागढ़ मार्ग पर प्राइवेट बसों का संचालन करना है अब बहुत कठिन काम हो गया है, क्योंकि सरकारी बसों के अलावा वाहनों से भी टक्कर लेनी पड़ रही है। जिससे रोजाना बस मालिकों को नुकसान हो रहा है। - रोहताश बिश्नोई नगीना-नजीबाबाद मार्ग पर प्राइवेट बस चलाना अब घाटे का सौदा हो गया है। क्योंकि सरकार को टैक्स के रूप में देने वाले बस मालिकों की समस्याओं का समाधान करने में अधिकारियों की अब कोई रुचि नहीं है। - अनुज गर्ग बढ़ापुर मार्ग पर चलने वाले अवैध वाहनों के खिलाफ सघन अभियान चलाकर कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि बस मालिकों को हो रहे घाटे की भरपाई हो सके। - अतीक उर्फ कलवा सरकार को प्राइवेट बस मालिकों की तरफ भी ध्यान देना चाहिए, जिससे उनका काम बंदी सुचारू चलता रहे। - विकास कर्णवाल अब प्राइवेट बसों में यात्रियों का टोटा नजर आने लगा है। जिसके चलते अब बस से जुड़े लोग दूसरे कामों पर लगने को मजबूर हैं। -शाहिद प्राइवेट बसों का संचालन जारी रखने के लिए सरकार को रोड टैक्स में भारी छूट करनी चाहिए। जिससे प्राइवेट बस संचालन जारी रखा जाए। - राकेश कर्णवाल प्राइवेट बस का संचालन करना बस मालिकों के लिए परेशानी का सबक बन गया है। वजह साफ है कि अब तमाम ड्राइवर बस की नौकरी छोड़कर ई रिक्शा चलाने में लग गए हैं। - जियाउर्रहमान यदि परिवहन विभाग के अधिकारी अवैध वाहनों के खिलाफ चेकिंग अभियान निरंतर चलाएं, तो डग्गामार वाहनों का संचालन बंद हो सकता है। - मोहम्मद शुऐब सरकार प्राइवेट बस मालिकों को उन्हें अनुदान देकर राहत पहुंचाए, तो प्राइवेट बस मालिकों के भी अच्छे दिन आ सकते हैं। - चौधरी दयानंद
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