बोले बुलंदशहर: वाहनों की मियाद बढ़े तो चमकेगा कारोबार
Bulandsehar News - बुलंदशहर में स्पेयर पार्ट्स का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन कई समस्याएं भी सामने आ रही हैं। डीजल और पेट्रोल वाहनों की मियाद घटने से कारोबार प्रभावित हुआ है। नए बीएस-6 वाहनों के महंगे पुर्जे और...

बुलंदशहर में स्पेयर पार्ट्स का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि हर घर में वाहन होना आम बात हो गई है। वाहन मालिकों को समय-समय पर पार्ट्स और सर्विस की जरूरत होती है, लेकिन इस कारोबार से जुड़ी कई समस्याएं भी हैं। बीएस-6 वाहनों के महंगे पुर्जे, सड़क जाम की समस्या और नई तकनीक से जुड़े पार्ट्स की जानकारी की कमी जैसे मुद्दे कारोबारियों के लिए चुनौती बने हुए हैं। रही सही कसर डीजल की गाड़ियों की मियाद 10 साल और पेट्रोल की गाड़ियों की मियाद 15 साल करने से पूरी हो गई। कारोबारियों का कहना है कि डीजल की गाड़ी का स्पेयर पार्ट्स कारोबारियों के पास सबसे ज्यादा काम होता था।
दिल्ली से बुलंदशहर सटा है और एनसीआर के दायरे में आता है। ऐसे में डीजल की गाड़ियां यहां पर 10 साल में ही दूसरे जिलों में बिक्री कर दी जाती है। ऐसे में स्पेयर पार्ट्स का कारोबार पूरी तरह से मंदी की चपेट में आ गया है। कारोबार को संजीवनी देनी है तो डीजल की गाड़ियों की मियाद 10 साल से बढ़ाई जाए, ताकि स्पेयर पार्ट्स का कारोबार फिर से उछाल ले सके। नई-नई टेक्नोलॉजी और नियमों के चलते अब बीएस-6 श्रेणी के वाहन बाजार में आ रहे हैं, जिनके पुर्जे बीएस-4 से अधिक महंगे होते हैं। इससे वाहन स्वामियों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। पहले जो बीएस-4 श्रेणी के वाहन थे, उनके पुर्जे सस्ते होते थे, जिससे सर्विस करना आसान था। अब इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते चलन के साथ कुछ ऐसे पुर्जे भी आ गए हैं, जो सर्विस के दौरान हर बार बदल दिए जाते हैं, जैसे पेपर फिल्टर, जिसे फोम फिल्टर से बदलने की आवश्यकता है। इससे उपभोक्ता को अधिक खर्चा उठाना पड़ता है। कंपनियों को ऐसे पुर्जे नहीं लगाने चाहिए, जो हर सर्विस में बदलने की आवश्यकता हो, ताकि उपभोक्ता की जेब पर बोझ कम पड़े। जिले में जगह-जगह स्पेयर पार्ट्स की दुकान खुली हुई हैं। जिनसे सैकड़ों की संख्या में व्यापारी जुड़े हुए हैं। इसके अलावा इन दुकानों पर कर्मचारी भी काम करते हैं। शहर के लल्ला बाबू चौराहा, कालाआम, भूड़, चांदपुर रोड, ईदगाह रोड, राजेबाबू रोड, अनूपशहर रोड, शिकारपुर रोड, खुर्जा रोड, दिल्ली रोड आदि पर स्पेयर पार्ट्स और कारों को ठीक करने के मिस्त्री दिखाई देते हैं। स्पेयर पार्ट्स कारोबारियों का कहना है कि पांच साल पहले तक शहर में गिनी-चुनी स्पेयर पार्ट्स की दुकानें होती थी। जब से कारोना कॉल आया है, उसने स्पेयर पार्ट्स के कारोबार पर मानों ग्रहण सा लगा दिया है। रही सही कसर डीजल की गाड़ियों की मियाद दस साल और पेट्रोल की गाड़ियों की मियाद 15 साल करने से पूरी हो गई। कारोबारियों का कहना है कि डीजल की गाड़ी का स्पेयर पार्ट्स कारोबारियों के पास सबसे ज्यादा काम होता था। दस साल में गाड़ी का कुछ भी नहीं बिगड़ता है। दिल्ली से बुलंदशहर सटा है और एनसीआर के दायरे में आता है। ऐसे में डीजल की गाड़ियां यहां पर दस साल में ही दूसरे जिलों में बिक्री कर दी जाती है। ऐसे में स्पेयर पार्ट्स का कारोबार पूरी तरह से मंदी की चपेट में आ गया है। स्पेयर पार्ट्स कारोबारियों ने कहा कि इस कारोबार में पांच सालों में सबसे ज्यादा गिरावट आई है। इसके पीछे एक प्रमुख वजह यह भी है कि जगह-जगह कारों की वर्कशॉप खुल गई। वर्कशॉप पर स्पेयर पार्ट्स का सभी सामान आसानी से उपलब्ध हो जाता है। कार के मिस्त्रियों के यहां पर जब कार स्वामी अपनी कार की मरम्मत आदि करने के लिए आते हैं तो वह सामान खरीदने के लिए स्पेयर पार्ट्स की दुकान पर आते थे। लेकिन, वर्कशॉप के खुलने से यह काम पूरी तरह से बंद होने की कगार पर आ गया है। जब आमदनी नहीं होगी तो कारोबार को करने से क्या फायदा होगा। क्योंकि दुकान पर रखे कर्मचारियों को महीने में पूरा वेतन देना पड़ता है। इसके अलावा दुकान के खर्च और परिवार के खर्च रहे अलग। सरकार को यह कोशिश करनी चाहिए कि यदि स्पेयर पार्ट्स कारोबार को संजीवनी देनी है तो डीजल की गाड़ियों की मियाद दस साल से बढ़ाई जाए। ताकि स्पेयर पार्ट्स का कारोबार फिर से उछाल ले सके। ----- पहले शहर में ही खुलती थी स्पेयर पार्ट्स की दुकानें स्पेयर पार्ट्स विक्रेताओं ने बताया कि पहले शहर में ही स्पेयर पार्ट्स की दुकान होती थी। ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी शहर में ही अपने वाहनों की मरम्मत कराने के लिए आते थे। अब हर कस्बे, गांव में स्पेयर पार्ट्स की दुकानें खुल रही है। जिस वजह से शहर के कारोबारियों पर काफी असर पड़ा है। क्योंकि कस्बों और गांव में स्पेयर पार्ट्स की दुकान करने वाले लोग दिल्ली और आसपास के इलाकों से माल खरीदकर लाते हैं। जिसके बाद वह दुकानों पर सामान बिक्री करने का काम करते हैं। पहले ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मिस्त्री भी शहर की दुकानों से ही माल खरीदना पसंद करते थे। क्योंकि शहर की दुकानों पर भरोसा रहता था और अब जब दिल्ली या इसके आसपास के इलाकों से सामान आ रहा है तो खराब होने पर यह बदले जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यदि दुकानदार माल खराब होने पर उसे दिल्ली वापस लेकर जाएगा तो वहां के व्यापारी इस माल को लेने से इंकार कर देते हैं। ------ इलेक्ट्रॉनिक्स कारों के स्पेयर पार्ट्स मिलने में भी दिक्कत स्पेयर पार्ट्स विक्रेताओं ने बताया कि अब आधुनिक दौर आ गया है। जिस वजह से बाजार में इलेक्ट्रॉनिक्स कार और बाइक भी आ गई है। इन वाहनों के स्पेयर पार्ट्स कंपनी में ही मिलते हैं। बाजारों में इनकी आवक अभी कम है। ऐसे में जो बड़े कारोबारी है उनके पास तो इलेक्ट्रॉनिक्स वाहनों के सामान उपलब्ध होते हैं, लेकिन जो छोटे दुकानदार हैं, उनके पास आसानी से सामान उपलब्ध नहीं हो पाता। ऐसे में कारोबार पर इस बात का भी असर पड़ा है। यदि सभी स्पेयर पार्ट्स विक्रेताओं के पास इलेक्ट्रिक वाहनों के पुर्जें उपलब्ध हो जाएंगे तो काम करने में आसानी होगी। इसके लिए सरकार को व्यवस्था बनानी चाहिए और कार कंपनियों से वार्ता कर इस समस्या का हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए। ताकि छोटे कारोबारियों को परेशानी नहीं उठानी पड़े। -------- कंपनी के आउटलेट्स भी बढ़ा रहे हैं कारोबारियों की टेंशन स्पेयर पार्ट्स विक्रेताओं ने कहा कि पहले गिनी-चुनी कंपनियों के आउट्लेटस खुले होते थे। लेकिन जब जगह-जगह पर कंपनी के सर्विस सेंटर खुल गए हैं। ऐसे में स्पेयर पार्ट्स के साथ-साथ दुकानों के बाहर कार और अन्य वाहनों को ठीक करने वाले मिस्त्रियों के पास नाममात्र का ही काम बच गया है। जब कार स्वामी अपना वाहन खरीदता है तो वह यही कोशिश करता है कि वाहन में यदि किसी प्रकार की दिक्कत है तो वह उसे कंपनी के सर्विस सेंटर पर ही ठीक कराता है। ऐसे में उसका समय तो बचता ही है और उसे सामान खरीदने के लिए दुकानों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं। इस व्यवस्था से भी स्पेयर पार्ट्स विक्रेताओं के पास काम की कमी होने लगी है। दुकानदारी कम होने पर कर्मचारियों का खर्चा भी निकालना मुश्किल हो जाता है। ------- स्पेयर पार्ट्स विक्रेताओं के मन की बात ऑटो कंपनियां अब हर साल नये-नये मॉडल के वाहन लॉच करती हैं। नये वाहनों की उपलब्धता मार्केट में कम देती हैं। समय पर पार्टस न मिलने से वाहन स्वामियों को दिक्कत होती है। समय से वाहन का मेंटेनेंस नहीं हो पाता है। -बीनू कुछ कंपनियों ने अब डीजल की गाड़ियों को बनाना कम कर दिया है। स्पेयर पार्ट्स कारोबारियों के पास सबसे ज्यादा डीजल की गाड़ियों का ही काम आता है। अब जब डीजल से चलने वाली कार नहीं बनेगी तो काम तो प्रभावित होगा ही। -संजय माहेश्वरी जगह-जगह वर्कशॉप खुलने से कारोबार पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ा है। अब हर कस्बे और गांवों में स्पेयर पार्ट्स की दुकानें खुल गई है। इससे भी व्यापार पर काफी असर पड़ा है। -विकास इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार में आने से इनके पार्टस मिलने में काफी दिक्कत होती है। अधिकांश लोगों के पास इलेक्ट्रिक स्कूटी, बाइक और अब तो कार भी आ गई है। ऐसे में कंपनियों में ही इनके पार्टस मिलते हैं। इससे व्यापार पर असर हुआ है। -कन्हैया डीजल की गाड़ियों की मियाद 10 बजाय 15 साल करनी चाहिए। इससे स्पेयर पार्ट्स कारोबारियों को काफी राहत मिलेगी। क्योंकि अब कई-कई दिनों तक स्पेयर पार्ट्स कारोबारी खाली हाथ बैठे रहते हैं। -इमरान खान सरकार की ओर से छोटे-छोटे उद्योग व्यापार के संबंध में तमाम सरकारी योजनाएं आती हैं। उन योजनाओं के बारे में ऑटो पार्टस व्यापारियों को जानकारी नहीं हो पाती है। ऐसे में विभाग को योजनाओं की जानकारी को शिविर लगाया जाना चाहिए। जिससे लाभ मिल सके। -परवेज आलम बीएस-6 श्रेणी के अब छोटे-बड़े वाहन आ रहे हैं। अब वाहनों की सर्विस महंगी हो गई है। उसकी वजह हैं, पहले वाहनों में ऐसे पुर्जे हुआ करते थे, जो पेट्रोल से साफ करके लग जाते थे। अब पेपर पिल्टर आदि के पुर्जे होते हैं। जो हर सर्विस में बदले जाते हैं। -प्रमोद कुमार स्पेयर पार्ट्स की दुकानों पर काम करने के लिए रखे गए कर्मचारियों का वेतन निकलना भी मुश्किल हो गया है। पिछले पांच सालों के भीतर स्पेयर पार्ट्स कारोबार पर काफी असर पड़ा है। -मोहम्मद शानू सरकार को स्पेयर पार्ट्स कारोबारियों को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों के अधिकारियों से वार्ता करनी चाहिए। ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों के पुर्जें भी स्पेयर पार्ट्स विक्रेताओं के पास मिले। तभी बाजार में तेजी आएगी। -नासिर बीएस-6 श्रेणी के वाहनों के पुर्जे काफी महंगे होते हैं। जो पुराने वाहन हैं, उनकी सर्विस तीन से चार सौ में हो जाती है। जो इलेक्ट्रिक गाड़ियां हैं, उनकी सर्विस 1000 से 1200 रुपये में होती है। ऐसे में गांव-देहात के लोग सर्विस के बाद पैसों को लेकर अक्सर विवाद करते हैं। -नईम -------- सुझाव: 1.डीजल की गाड़ियों की मियाद को 10 साल के स्थान पर 15 साल किया जाए। 2.इलेक्ट्रिक वाहनों के स्पेयर पार्ट्स भी दुकानों पर सरलता से मिलने चाहिए। 3.इलेक्ट्रिक वाहनों की मरम्मत करने के लिए मिस्त्रियों को मिलना चाहिए प्रशिक्षण। 4.वर्कशॉप के खुलने से जो दिक्कत आई है, उसे दूर करने का होना चाहिए प्रयास। 5.समय-समय पर स्पेयर पार्ट्स विक्रेताओं की समस्याओं को जान उनका होना चाहिए हल। शिकायत: 1.डीजल के वाहनों की मियाद बढ़ाने पर होने चाहिए विचार। 2.इलेक्ट्रिक वाहनों के स्पेयर पार्ट्स छोटे दुकानदारों के पास मिलने की हो व्यवस्था। 3.इलेक्ट्रिक वाहनों की मरम्मत हो, इसके लिए मिस्त्रियों को चाहिए प्रशिक्षण। 4.वर्कशॉप जगह-जगह खुलने से जो दिक्कत हैं, उन्हें दूर किस प्रकार किया जाए। इस पर हो विचार। 5.स्पेयर पार्ट्स विक्रेताओं की महीने में कम से कम एक बार हो बैठक। ------ कोट: स्पेयर पार्ट्स विक्रेताओं की जो-जो समस्याएं हैं। उनका निस्तारण कराने के लिए शासन में वार्ता की जाएगी। प्रयास रहेगा कि जल्द ही उनकी सभी समस्याओं का निस्तारण हो। -प्रदीप चौधरी, विधायक सदर
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