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ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं, सोचने-समझने का अलग तरीका

Bulandsehar News - बच्चों में आटिज्म के मामले बढ़ रहे हैं। हर साल 18 जून को विश्व ऑटिस्टिक प्राइड डे मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य आटिज्म के प्रति जागरूकता फैलाना और ऑटिस्टिक व्यक्तियों को सम्मान देना है। सही समर्थन के...

Newswrap हिन्दुस्तान, बुलंदशहरWed, 18 June 2025 04:51 AM
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ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं, सोचने-समझने का अलग तरीका

बच्चों में किसी भी मानसिक बीमारी से अधिक आटिज्म के मामले सामने आ रहे हैं। अस्पतालों में स्क्रीनिंग बढ़ने के साथ ही बीते दो साल में आटिज्म के शिकार बच्चों की संख्या बढ़ गई है। आटिज्म से पीड़ित लोगों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इसके लिए हर साल 18 जून को विश्व ऑटिस्टिक प्राइड डे इसी उद्देश्य के साथ मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य है ऑटिज्म से जुड़े लोगों को गर्व, आत्मसम्मान और समाज में समावेशन का संदेश देना। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं, बल्कि न्यूरोविविधता का एक रूप है। जो सोचने, समझने और महसूस करने का एक अलग तरीका है न्यूरोसाइकेट्रिस्ट डॉ. डीपी सिंह का कहना है कि समाज में ऑटिज्म को लेकर कई गलतफहमियां और कलंक मौजूद हैं।

कई बार ऑटिस्टिक बच्चे और वयस्क उपेक्षा, भेदभाव और सामाजिक अलगाव का शिकार होते हैं। जबकि हकीकत यह है कि सही सहयोग, समझ और स्वीकार्यता के साथ वह जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। ऑटिस्टिक प्राइड डे का उद्देश्य है यह दिखाना कि ऑटिस्टिक व्यक्ति भी समाज का अभिन्न हिस्सा हैं और उन्हें भी सम्मान, अवसर और समर्थन मिलना चाहिए। ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं, बल्कि सोचने और समझने का एक अलग तरीका है। हमें ऐसे बच्चों और व्यक्तियों को सहानुभूति नहीं, बल्कि समर्थन और स्वीकृति देने की जरूरत है। जिससे ऑटिज्म के बारे में सचेत करने और जागरूकता फैलाने की जरूरत है। जिससे हर ऑटिस्टिक व्यक्ति को अपनी पहचान पर गर्व हो और वे समाज की मुख्यधारा में पूरे सम्मान के साथ आगे बढ़ सके। - अस्पताल में काउंसिलिंग के साथ इलाज की व्यवस्था जिला अस्पताल बुलंदशहर में डीएमएचपी के तहत ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों को थेरेपी, माता-पिता को काउंसलिंग और सहवर्ती लक्षणों के लिए दवाएं दी जाती हैं। ओपीडी हर सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को संचालित होती है। कोट ---- ऑटिज्म पीड़ित बच्चे एक ही बात या काम को बार-बार दोहराते हैं। बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण तीन साल में देखने शुरू हो जाते हैं। इस बीमारी में जितनी जल्दी इलाज शुरू हो, परिणाम उतने ही बेहतर आने की संभावना होती है। विश्व ऑटिस्टिक प्राइड डे का उददेश्य लोगों को जागरूक करना है। डॉ. एसके राना, एमबीबीएस, एमडी, संचालक राना हॉस्पिटल ऑटिस्टिक प्राइड डे को मनाने का उददेश्य ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के विकास और उनके जीवन की संभावनाओं के बारे में लोगों को जागरूक करना। यह न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर उन्हें सामान्य बच्चों से थोड़ा अलग जरूर बनाता है, लेकिन अच्छा माहौल और केयर देने पर इसे मैनेज भी किया जा सकता है। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों का कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है। - डॉ. धीरेन्द्र प्रताप सिंह, न्यूरोसाइकेट्रिस्ट

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