Nursing Staff Faces Challenges Low Salaries Work Pressure and Demand for Equal Pay बोले बुलंदशहर : स्टाफ नर्स को चाहिए समान वेतन, नियमितिकरण की हो व्यवस्था, Bulandsehar Hindi News - Hindustan
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बोले बुलंदशहर : स्टाफ नर्स को चाहिए समान वेतन, नियमितिकरण की हो व्यवस्था

Bulandsehar News - अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ की समस्याओं में कम वेतन, नौकरी की अस्थिरता और छुट्टियों का अभाव शामिल हैं। नर्सों ने समान वेतन, न्यू पेंशन और निर्धारित ड्यूटी समय की मांग की है। वेतन बढ़ाने की बात पर...

Newswrap हिन्दुस्तान, बुलंदशहरFri, 16 May 2025 05:08 PM
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बोले बुलंदशहर : स्टाफ नर्स को चाहिए समान वेतन, नियमितिकरण की हो व्यवस्था

अस्पताल में मरीजों को डॉक्टर के परामर्श के साथ ही उचित देखभाल की जरूरत होती है। मरीजों को समय से दवा देने से लेकर उनको मानसिक सहारा देने का काम स्टाफ नर्स द्वारा किया जाता है। सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में करीब दो हजार से अधिक स्टाफ नर्स कार्य कर रही हैं। जिसमें पुरुष-महिला शामिल हैं। उनकी समान वेतन, समान कार्य, न्यू पेंशन, छुट्टियों का प्रावधान आदि मुख्य मांगे हैं। समय-समय पर यह मांग उठाई भी जाती हैं, लेकिन समाधान कुछ नहीं हो सका है। जिले में अब मेडिकल कालेज के साथ अस्पताल, क्लीनिक हैं। यहां हजारों नर्सिंग स्टाफ काम करता है।

इनके कंधों पर ही किसी अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था टिकी है, लेकिन खुद नर्सिंग स्टाफ परेशानियों से घिरा है। कम वेतन, नौकरी की अस्थिरता और अवकाश नहीं मिलने की समस्या तो है ही, इमरजेंसी ड्यूटी के नाम पर अतिरिक्त कार्य का दबाव है वह अलग। नर्सिंग स्टाफ ने अपनी समस्साएं साझा कीं और साथ ही उनके निदान के लिए सुझाव भी दिए। जिले में नए अस्पताल-क्लीनिक और नर्सिंग होम खुल रहे हैं। हर साल हजारों छात्र नर्सिंग का कोर्स पूरा कर अस्पताल, मेडिकल कालेजों में नौकरी करने जाते हैं। ऐसे में लगता है कि नर्सिंग स्टाफ को काफी सहूलियत है, वह सुकून में हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। प्राइवेट अस्पतालों में काम करने वाला करीब 40-50 फीसदी स्टाफ लिखा पढ़ी में वहां का कर्मचारी ही नहीं है। उसे न तो अस्पताल या संस्थान की तरफ से नौकरी के लिए कोई नियुक्ति पत्र मिला है और न ही बैंक खाते में सैलरी आती है। उसकी हालत दिहाड़ी मजदूर जैसी है और महीना पूरा होने पर कैश वेतन दे दिया जाता है। वहीं सरकारी अस्पताल में तैनात स्टाफ नर्सों ने बताया कि सबसे बड़ी परेशानी कम वेतन की है। संविदा पर तैनात स्टाफ नर्स की काम के अनुसार समान वेतन की मांग है। कम वेतन में भला घर कैसे चले। नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि जब भी वेतन बढ़ाने की बात करते हैं तो समाधान के बजाए हर बार आश्वासन ही दिया जाता है। आखिर क्या किया जाए, वेतन बढ़ाने के चक्कर में नौकरी से हाथ धोने की नौबत आ जाती है। न्यू पेंशन लागू करने की है मांग स्टाफ नर्सों का कहना है कि उनके लिए न्यू पेंशन योजना भी लागू की जाए। नियमित स्टाफ नर्स के बराबर काम करने के वावजूद भी इस लाभ से संविदा वाले इससे वंचित हैं। ऐसे में कई बार इसे लागू करने की मांग की गई है, मगर कोई जवाब नहीं मिल सका है। स्थानीय अधिकारियों के साथ शासन को भी कई बार ज्ञापन भेजा गया है, लेकिन आज तक भी कोई समाधान नहीं हुआ है। इससे स्टाफ नर्सों में मायूसी है। - ड्यूटी का समय किया जाए निर्धारित संविदा स्टाफ नर्सों का कहना है कि ड्यूटी का समय निर्धारित नहीं है। स्टाफ नर्सों की ड्यूटी का समय निर्धारित किया जाए। जिससे वह समय से ड्यूटी को पूरा कर सकें। अधिकांश तौर पर समय से ज्यादा भी ड्यूटी करनी पड़ जाती है। जिसके चलते परेशानी होती है। ऐसे में समय का निर्धारिण हो तो कुछ राहत मिल सके। - छुट्टियों का प्रावधान हो लागू स्टाफ नर्स की ऋका प्रावधान नहीं है। स्टाफ नर्सों का कहना है कि छुट्टियों का प्रावधान भी लागू किया जाए। जिससे सभी को राहत मिल सके। छुटटी न मिलने के कारण परेशानी होती है। इसको लेकर कई बार मांग की जा चुकी है, लेकिन छुट्टियों का प्रावधान नहीं किया जा रहा है। संविदा स्टाफ का हो नियमितिकरण संविदा पर तैनात स्टाफ नर्स नियमित स्टाफ के समान ड्यूटी करते हैं। कई बार निर्धारित समय से भी ज्यादा ड्यूटी की जाती है, लेकिन वेतन नियमित के आधा भी नहीं है। शासन से कई बार नियमित करने की मांग की जा चुकी है, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिल सका है। नर्सों पर होता है काम का दबाव डॉक्टर मरीजों को दवा, ड्रेसिंग व जांच आदि लिखकर जाते हैं। इन सभी की तैयारी करना नर्सों की जिम्मेदारी है। काम का दबाव अधिक होने से नर्सों को सभी मरीजों तक पहुंचने में भी समय लग जाता है। स्टाफ कम होने से काम का बोझ शहर से लेकर देहात क्षेत्रों के अस्पतालों में स्टाफ की कमी है। जिसके चलते अधिक काम करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि सरकारी अस्पतालों में एक समय में तीन बेड पर एक नर्स की तैनात होनी चाहिए। यानि 24 घंटे में एक बेड पर तीन नर्सों की तैनाती होनी चाहिए। बैकअप में भी नर्स रखने का नियम है। 200 बेड पर आठ सीनियर नर्सिंग ऑफिसर होने चाहिए। 1000 बेड पर सात असिस्टेंट नर्सिंग सुपरिटेंडेंट की तैनाती होनी चाहिए। 100 बेड पर एक असिस्टेंट नर्सिंग सुपरिटेंडेंट होना चाहिए। 300 बेड पर एक डिप्टी नर्सिंग सुपरिटेंडेंट होना चाहिए। 500 बेड पर एक चीफ नर्सिंग ऑफिसर होना चाहिए। महिला स्टाफ नर्स करती हैं दोहरा काम सेवा, समर्पण व संवदेना यह तीनों एक नर्स की पहचान हैं। वहीं महिला स्टाफ नर्स तो मरीजों की सेवा के साथ दोहरी जिम्मेदारी निभा रही हैं। दिन और रात मरीजों की देखभाल के साथ ही परिवार संभाल रही हैं। परिवार के साथ ही अस्पताल प्रशासन, मरीज और तीमारदार के बीच सामांजस्य बनाकर चलने वाली नर्सों की समस्याएं सुनने वाला कोई नहीं हैं। शिकायतें: - नर्सिंग स्टाफ का वेतन बहुत कम है। जबकि अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था संभालने में उनका अहम योगदान है। - नई पेंशन योजना को लागू किया जाए। संविदा वालों के लिए पेंशन का प्रावधान नहीं है। - छुट्टियों का निर्धारिण किया जाए। छुट्टियों का प्रावधान न होने के कारण परेशानी होती है। - नर्सिंग स्टाफ से समय से अधिक काम लिया जाता है। जबकि वेतन कम है। सुझाव: - नर्सिंग स्टाफ को नियमित करने के साथ वेतन बढ़ोत्तरी की जाए। - अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या के आधार पर स्टाफ की तैनाती हो। - स्टाफ नर्स से समय अनुसार ही कार्य लिया जाए। अधिक समय होने पर वेतन में बढ़ोत्तरी की जाए। - स्टाफ नर्स की भर्ती के लिए शासन को पत्राचार किया जाए। - नियमित करने के लिए समय-समय पर अधिकारियों द्वारा सुझाव भेजा जाए। स्टाफ नर्स की भी सुनिए: अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था की जिम्मेदारी नर्सिंग स्टाफ उठा रहा है लेकिन शासन उनके हित की नहीं सोच रहा है। यह दुखद है कि तकनीकी रूप से सक्षम नर्सिंग स्टाफ को कम वेतन दिया जा रहा है। -कामिनी सिंह संविदा स्टाफ नर्सों को नियमित किया जाए। समान कार्य के वावजूद भी कम वेतन दिया जा रहा है। जबकि काम का लोड दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। ऐसे में वेतन में वृद्धि होनी चाहिए। - शांति नई पेंशन लागू होनी चाहिए। स्टाफ नर्स के लिए कोई पेंशन नहीं है। इसके लिए प्रबंधन के साथ शासन को सोचना चाहिए। इसको लेकर कई बार अवगत कराया गया है। -कुलदीप वेतन की बात करने पर सिर्फ आश्वासन ही मिलता है। स्टाफ कम वेतन में भी कम करने को मजबूर है। इस तरफ अफसरों को ध्यान देना चाहिए। - विशाल शर्मा काम का दबाव बढ़ रहा नर्सिंग स्टाफ पर, 10 घंटे से ज्यादा की ड्यूटी करना आम बात हो गई है। कई बार तो इमरजेंसी के नाम पर समय से ज्यादा काम करना पड़ जाता है। इसके लिए अतिरिक्त भुगतान भी नहीं किया जाता। - तेजपाल आनंद अस्पताल की सफलता बहुत हद तक नर्सिंग स्टाफ पर निर्भर करती है। इसके बाद भी उनके लिए बेहतर करने का प्रयास नहीं होता है। इससे स्टाफ नर्सों में मायूसी रहती है। - नरेन्द्र कुमार अस्पताल में कम करने वाले सभी नर्सिंग स्टाफ को सम्मानजनक वेतन मिलना चाहिए। काम के घंटे तय होना बहुत जरूरी है। - प्रवीन कुमार नौकरी की अनिश्चितता बनी रहती है और नर्सिंग स्टाफ दबाव में रहता है। कुछ ऐसा जरूर हो जिससे यह तनाव न हो। - सुनील कुमार नर्सिंग स्टाफ पर काम का बहुत दबाव है, वेतन भी कम है। अस्पताल प्रबंधन को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए। वेतन ऐसा हो जिससे नर्सिंग स्टाफ भी अपने घर परिवार की जरूरत को पूरा कर सके और आर्थिक संकट दूर हो। - अमर सिंह कोट-- स्टाफ नर्स की समस्याओं को लेकर शासन को पत्राचार समय-समय पर किया गया है। उनकी मांगों को लेकर फिर शासन को पत्राचार किया जाएगा। - डॉ. सुनील कुमार दोहरे, सीएमओ

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