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टल सकती है बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी, पहले होगा इन नामों का ऐलान

  • भाजपा जिला संगठन में बदलाव करते हुए नए जिलाध्यक्षों की घोषणा कर चुकी है। अब लोगों की नजर नए प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी पर टिकी है। भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के नए अध्यक्ष का चुनाव होना है।

Dinesh Rathour लखनऊ, भाषाSun, 23 March 2025 07:26 PM
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टल सकती है बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी, पहले होगा इन नामों का ऐलान

भाजपा जिला संगठन में बदलाव करते हुए नए जिलाध्यक्षों की घोषणा कर चुकी है। अब लोगों की नजर नए प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी पर टिकी है। भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के नए अध्यक्ष का चुनाव होना है, लेकिन ये चुनाव टलता नजर आ रहा है। माना जा रहा है कि चुनाव अप्रैल की शुरुआत में हो सकते हैं। हालांकि ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चुनाव मार्च के अंत तक कराए जा सकते हैं। लेकिन पार्टी नेताओं ने कहा कि इसे अप्रैल तक भी टाला जा सकता है, क्योंकि भाजपा की राज्य परिषद के सदस्यों की घोषणा अभी तक नहीं हुई है। इसके अलावा 28 जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा भी होना अभी बाकी है। जातीय समीकरण से प्रभावित उत्तर प्रदेश में लोगों की निगाहें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर ही नहीं, बल्कि उनकी जाति पर भी है।

राज्य के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव के पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के जोर के कारण, भाजपा कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विश्लेषकों के एक वर्ग को लगता है कि पार्टी अपने अध्यक्ष के चयन में पिछड़े वर्गों को प्राथमिकता दे सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नए अध्यक्ष की नियुक्ति में भाजपा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की एक प्रमुख जाति को आगे बढ़ाने पर विचार कर सकती है। भाजपा के एक पुराने कार्यकर्ता ने बताया कि, इस पद के लिए पार्टी द्वारा लोध जाति के किसी नेता को तरजीह दिए जाने की प्रबल संभावना है। भाजपा के वरिष्ठ नेता दिवंगत कल्याण सिंह, लोध समुदाय से आने वाले सबसे बड़े ओबीसी नेता थे और उनके निधन के बाद ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि पार्टी उसी ओबीसी उपजाति के किसी नेता को इस पद के लिए चुन सकती है।

धर्मपाल सिंह या बीएल वर्मा को भी मिल सकता है मौका

भाजपा के एक कार्यकर्ता ने कहा, लोध समुदाय से आने वाले दो प्रमुख नाम चर्चा में हैं, जिनमें प्रदेश सरकार के मंत्री धर्मपाल सिंह अथवा केन्‍द्रीय राज्‍य मंत्री बीएल वर्मा को भी मौका मिल सकता है। हालांकि, भाजपा के नेताओं की यह भी दलील है कि पार्टी नेतृत्व के फैसले अप्रत्याशित होते हैं, इसलिए किसी एक नाम पर दावा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पार्टी में बहुत से लोग निश्चित रूप से नहीं कह सकते कि अध्यक्ष पद के लिए पार्टी का कौन सा चेहरा होगा। पार्टी के एक पुराने कार्यकर्ता ने स्वीकार किया, हालांकि यह कहा जा सकता है कि चेहरा तय करने में जाति निश्चित रूप से एक प्रमुख विषय होगी। उत्तर प्रदेश में 70 जिला अध्यक्षों के चुनाव में जाति का पहलू स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। इनमें से 39 जिलाध्यक्ष अगड़ी जातियों से बनाये गये हैं, जिनमें 20 ब्राह्मण चेहरे शामिल हैं। इस आधार पर यह चर्चा है कि पार्टी किसी ब्राह्मण को भी मौका दे सकती है।

भाजपा के एक नेता ने कहा, दावा तो नहीं कर सकते, लेकिन अगर इस पद के लिए किसी ब्राह्मण को चुना जाता है, तो भाजपा के प्रदेश महासचिव और विधान परिषद सदस्य गोविंद नारायण शुक्ला और बस्ती से पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी के चुने जाने की संभावना अधिक है। हालांकि, इस नेता ने यह भी कहा कि कई अन्य ब्राह्मण दावेदार भी कतार में हैं। पार्टी नेतृत्व अगर किसी दलित को प्रदेश इकाई की कमान सौंपती है, तो प्रदेश महासचिव समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके पूर्व सांसद विद्यासागर सोनकर मजबूत दावेदार हैं। दलित नेताओं में और भी चेहरे तलाशे जा सकते हैं। भाजपा की उप्र इकाई के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए कम से कम 50 फीसदी संगठनात्मक जिलों में जिला अध्यक्षों का चुनाव और प्रदेश परिषद के सदस्यों की घोषणा जरूरी है, जिसके बाद ही यह प्रक्रिया पूरी होगी।

28 जिलों की घोषणा है बाकी

उत्तर प्रदेश में भाजपा के संगठनात्मक चुनाव के लिए नेतृत्व ने पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय को केंद्रीय चुनाव अधिकारी नियुक्त किया है। प्रदेश में 98 संगठनात्मक जिला इकाइयां हैं, जिनमें से डॉ. पांडेय ने 70 जिलों में जिला अध्यक्षों का चुनाव पूरा करा लिया है और 28 जिलों की घोषणा बाकी है। भाजपा पदाधिकारी ने बताया कि पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए राज्य परिषद के सदस्य ही मतदाता होते हैं और वे प्रस्तावक और समर्थक का कार्य भी करते हैं, इसलिए चुनाव प्रक्रिया पूरी करने के लिए उनका चयन जरूरी है। राज्य परिषद के सदस्यों का चयन सभी जिलों से विधानसभा वार होता है और यहां 403 विधानसभा क्षेत्र हैं, इसलिए राज्य परिषद के 403 सदस्यों के चयन की प्रक्रिया पूरी की जानी है। इस संबंध में पूछे जाने पर केंद्रीय चुनाव अधिकारी डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने बताया कि 70 संगठनात्मक जिलों में अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है और इन जिलों में विधानसभा वार राज्य परिषदों का गठन भी हो चुका है, जिसकी सूची जल्द ही जारी कर दी जाएगी।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई के प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश में 70 जिला इकाइयों के अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है और बाकी 28 जिला इकाइयों के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जिसकी घोषणा जल्द ही केंद्रीय चुनाव अधिकारी डॉ महेंद्र नाथ पांडेय करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 50 फीसदी से ज्यादा जिलों की चुनाव प्रक्रिया पूरी होनी जरूरी है, जो पूरी हो चुकी है, जैसे ही केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की तारीख की घोषणा करेगा, प्रदेश अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की देखरेख में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा। भूपेंद्र सिंह चौधरी फिलहाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। चौधरी ओबीसी (जाट) हैं और अगस्त 2022 में जब उन्हें इस पद पर नामित किया गया था, तो इस फैसले को पश्चिमी उप्र में जातिगत समीकरण को दुरुस्त करने की पहल के तौर पर देखा गया था। चौधरी के अध्यक्ष बनने के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़े जाट नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का घटक बन गई और दो सीटें जीतीं। जयंत चौधरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं।