भेदभाव के कारण भोजपुरी को नहीं मिली संवैधानिक मान्यता : सिद्धार्थ
Deoria News - विश्व भोजपुरी सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष सिद्धार्थ मणि त्रिपाठी ने कहा कि भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता नहीं मिलने के पीछे राजनीतिक भेदभाव है। उन्होंने उत्तर प्रदेश में भोजपुरी को संविधान की आठवीं...

देवरिया, निज संवाददाता। विश्व भोजपुरी सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष सिद्धार्थ मणि त्रिपाठी ने रविवार को पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि 20 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता नहीं मिलने के पीछे राजनीतिक भेदभाव है। अब संविधान की आठवीं अनसूची में भोजपुरी भाषा को दर्ज कराने की अंतिम लड़ाई उत्तर प्रदेश से लड़ी जाएगी। हमाारी राज्य सरकार से मांग है कि भोजपुरी को राज्य में भाषा की मान्यता विधानसभा में दिलाएं साथ ही भोजपुरी अकादमी की स्थापना को मंजूरी दे। उन्होंने कहा कि भोजपुरी विश्व भर की भाषाओं में समृद्ध ताने-बाने की मजबूत कड़ी बन चुकी है।
भोजपुरी संस्कृति का महान पर्व आज बड़ी आस्था के साथ भारत ही नही विश्व के दर्जनों देशों में मनाया जा रहा है। बावजूद इसके भोजपुर भाषा सरकारी तौर पर उपेक्षा का शिकार है। विधानसभा में भोजपुर को पहली बार सम्मान वर्तमान सरकार की बदौलत मिला है। जिसका नमूना है कि राज्य के सदन में विधायक सम्मान के साथ भोजपुरी में अपनी बात रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि भोजपुरी संगीत और सिनेमा में अश्लीलता और फुहड़ता के लिए स्थान नही है, इस तरह के कृत्य में लिप्त होने वाले गायक व अभिनेताओं पर कानूनी कार्रवाई के लिए हम सरकार से मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि सभी जनपदों में इकाई गठित होने के बाद जनपदीय अधिवेशन का आयोजन किया जाएगा। विश्व भोजपुरी सम्मेलन के प्रांतीय इकाई का संरक्षक साहित्यकार डॉ. दिवाकर प्रसाद तिवारी को, उपाध्यक्ष वाराणसी के साहित्यकार ओमप्रकाश चौबे व आगरा के शंभूनाथ चौबे को एवं प्रदेश का सचिव बलिया के हीरालाल हीरा व संगीता सिंह को बनाया गया है। इस दौरान विश्व भोजपुरी सम्मेलन की प्रदेश सचिव संगीता सिंह भी मौजूद रहीं।
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