माफिया के नाम से बदनाम गांवों की नई तस्वीर, वर्दी हासिल कर युवाओं ने बदली किस्मत
जो गांव अपराध माफिया के नाम से बदनाम थे, वहां के युवाओं ने पिछले कुछ साल में मेहनत कर पुलिस और फौज की वर्दी हासिल की है। मेरठ के कस्बा करनावल और भदौड़ा गांव के कई युवा पुलिस, आर्मी, अग्निवीर और अन्य सरकारी नौकरी में शामिल हुए हैं। पुलिस अफसरों ने इन इलाकों के युवाओं को प्रेरित किया।

मेरठ के कस्बा करनावल और भदौड़ा गांव के युवा, अपने गांवों की किस्मत बदलने में लगे हुए हैं। करनावल प्रदेश स्तर पर चिह्नित अपराध माफिया उधम सिंह का पैतृक कस्बा है, जबकि भदौड़ा गांव माफिया योगेश भदौड़ा के नाम से बदनाम है। पुलिस अफसरों ने इन इलाकों के युवाओं को पुलिस और फोर्स में जाने के लिए प्रेरित किया।
नतीजा यह रहा जो गांव अपराध माफिया के नाम से बदनाम थे, वहां के युवाओं ने पिछले कुछ साल में मेहनत कर पुलिस और फौज की वर्दी हासिल की है। दोनों क्षेत्र से 35 युवा पुलिस, आर्मी, अग्निवीर और अन्य सरकारी नौकरी में शामिल हुए हैं। क्राइम की दुनिया में कभी योगेश भदौड़ा और उधम सिंह के गिरोह सुपारी लेकर हत्या, वसूली, रंगदारी और चौथ वसूली जैसे काम करते थे। दोनों के गिरोह में 50 से 100 लोग शामिल थे।
उधम सिंह और योगेश भदौड़ा के बीच गैंगवार चल रही थी, जिसे लेकर कई हत्याएं हुईं। किनौनी शुगर मिल में ठेकों को लेकर भी टकराव हुआ और शुगर मिल के जीएम की गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई। जेल जाने के बाद जब ये अपराध माफिया पेशी पर आते तो महंगे जूते और कपड़े पहनकर आते थे। कुछ युवा इन अपराधियों की लाइफ स्टाइल के झांसे में आ गए। हालांकि पुलिस ने दोनों गैंग पर ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए कुछ को ढेर कर दिया और बाकी को जेल पहुंचा दिया।
मुकदमों में कमी आई
सरूरपुर में 2019 और इससे पहले हर साल औसतन 450 मुकदमे होते थे। आंकड़ा 2020 के बाद करीब 355 के आसपास है। 2014 से 2019 के बीच सरूरपुर थाने में 2674 मुकदमे दर्ज हुए, जबकि इसके बाद 2025 तक 1965 मुकदमे हुए। रोहटा थाने में 2019 के बाद मुकदमों की संख्या किसी भी साल 300 पार नहीं हुई है।
क्या बोले एसएसपी
मेरठ के एसएसपी डॉ.विपिन ताड़ा ने कहा कि पुलिस विभाग की ओर से करनावल और भदौड़ा में लगातार युवाओं को प्रेरित किया गया। इसी का नतीजा है यहां के युवा पुलिस फोर्स में हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं। इस अभियान को लगातार बढ़ाया जाएगा। अन्य जगहों पर भी इसी के तहत पहल कराई जाएगी।
इन विभागों में भर्ती हुए युवा
करनावल गांव में 2019 से 2025 के बीच 19 युवाओं ने सरकारी नौकरी हासिल की। इनमें से 11 ने यूपी और दिल्ली पुलिस में वर्दी पाई है। एक युवा अग्निवीर में भर्ती हुआ है। गांव के पांच युवा शिक्षा विभाग, कृषि विभाग और बाकी विभाग में गए हैं। भदौड़ा गांव के पांच युवा पुलिस और तीन आर्मी में गए हैं। इसी गांव से अंशुल पुत्र बलराम मलिक फौज में लेफ्टिनेंट बने। निखिल पुत्र राजकरण और नितेश पुत्र नरेश यूपी पुलिस में दरोगा बने।
बदमाशों का हीरोइज्म खत्म करना आया काम : प्रशांत कुमार
योगेश और उधम की कमर तोड़ने के बाद करनावल और भदौड़ा गांव के युवाओं के बीच मेरठ के पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार ने एडीजी रहने के दौरान अभियान शुरू किया। अपराधियों पर एक्शन और दूसरी ओर पुलिस गांव के युवाओं से संवाद करती थी। पुलिस का काम केवल अपराधियों पर कार्रवाई करना और सजा दिलाना ही नहीं, युवाओं को सही दिशा दिखाना भी है। करनावल का उधम सिंह और भदौड़ा का योगेश भदौड़ा कुख्यात अपराधी हैं। जुलाई 2017 में मेरी तैनाती मेरठ एडीजी जोन के रूप में हुई। अपराधियों पर कार्रवाई तेज की गई। अपराधियों पर कार्रवाई के साथ जरूरी था स्थानीय युवाओं को सही दिशा दी जाए। पुलिस ने स्थानीय युवाओं से संवाद बढ़ाया। युवाओं को पुलिस फोर्स, आर्मी में जाने को प्रेरित किया।