बोले कासगंज: पक्के तटबंधों से रुकेगी बाढ़ की मार
Etah News - कासगंज के गंजडुंडवारा के लोगों ने गंगा के जलभराव और बाढ़ से संबंधित समस्याओं को लेकर चिंता जताई। ग्रामीणों ने कहा कि बरसात से पहले उचित उपाय किए जाने चाहिए। सिंचाई विभाग ने गांवों की सुरक्षा के लिए...

कासगंज। आपके अपने हिन्दुस्तान के बोले कासगंज संवाद में गंजडुंडवारा के लोगों ने अपने आसपास के गंगा के तटवर्ती इलाकों की समस्या को लेकर बात रखीं। निरंतर अपने साथियों को लेकर गंगा के तराई क्षेत्र में भ्रमण करने वाले लोगों ने बताया कि, सबसे ज्यादा गंगा के जलभराव का असर गंजडुंडवारा के आसपास कादरगंज, सुन्नगढ़ी एवं पटियाली इलाके से आगे सिंकदरपुर वैश्य क्षेत्र के गांवों में दिक्कतें नजर आती हैं। यहां कासगंज सदर तहसील के लहरा, तारापुर कनक, पिलो सराय, खंडेरी, बघेला, दतलाना तथा कादरबाड़ी आदि गंगा के तटवर्ती गांवों में भी गंगा का जलभराव होता है। लोगों का कहना है कि, तटवर्ती गांवों के लोगों को जलभराव खेती में पानी ही पानी भरा रहता है।
लोगों ने कहा कि, बाढ़ से बचाव और जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए काम बरसातों से काफी दिनों पहले ही हो जाने चाहिए, जिससे ऐन वक्त पर काम जल्दीबाजी में नहीं करने पड़ें। कहा कि, जब जब बरसाती दिन आते हैं, उससे कुछ ही दिन पहले गंगा के किनारे काम होने शुरू होते हैं, जिससे खामियां रहने की संभावना बन जाती है, जबकि काम गर्मी के दिनों में ही हो जाने चाहिए। धार को मोड़ने की कवायद में सिंचाई विभाग:गंगा के तटबवर्ती गांवों विशेषकर उन गांवों में जहां बाढ़ का खतरा सबसे ज्यादा रहता है, वहां सिंचाई विभाग बालू की बोरियों और अन्य संसाधनों से मजबूत ठोकरें बनाकर गंगा की धार को तटतवर्ती गांव की ओर से मोड़ने के लिए प्रयास में है, जिससे गंगा के पानी का सीधा टकराव की ओर होने से बचाया जा सकेगा, सिंचाई विभाग द्वारा तटवर्ती बरौना गांव और कादरगंज व मेहोला समेत गांवों पर यह प्रयास किये जा रहे हैं। जलशक्ति मंत्री भी ले चुके हैं यहां जानकारी:मई माह में प्रदेश के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह कासगंज आए थे। उन्होंने अधिकारियों से गंगा के तटवर्ती गांवों में बाढ़ बचाव के कार्यों को समय से पूरा कराने के लिए दिशा निर्देश दिये थे। उन्होंने सिंचाई अधिकारियों से जनपद में गंगा के तटीय इलाकों में चल रहे कामों के बारे में भी जानकारी ली थी, जिससे कार्य मानसून आने से पहले ही पूरा करा लिए जाएं। प्रशासन और सिंचाई विभाग को अस्थाई तटबंधों के स्थान पर स्थायी एवं पक्के तटबंधों का निर्माण कराना चाहिए। इससे मिट्टी का कटान एवं बाढ़ की स्थिति भी नियंत्रित होगी। साथ ही बार-बार तटबंध क्षतिग्रस्त भी नहीं होंगे। -अब्दुल हफीज गांधी पत्थर के बांध तटवर्ती गांवों में बसी आबादी को सुरक्षित रखने में मददगार साबित होंगे, सरकार भी पहले से कह चुकी है, गंगा के तटवर्ती इलाकों की सुरक्षा को ठोस उपाय किये जाएं। लेकिन धरातल पर कुछ नहीं होता है। -फूल मियां ग्रामीणों की खेती में नुकसान होने से रकेगा तो उनकी आर्थिक स्थिति खराब नहीं होगी, उन्हें जो नुकसान खेती में जलभराव के कारण होता है, वह बचेगी और उसका इस्तेमाल अन्य कामों में कर सकेंगे। साथ ही मानसिक राहत मिलेगी। -छोटे तटवर्ती इलाकों में बाढ़ का पानी आ जाने से लोगों को अपने घर छोड़कर आसपास के ऊंचे इलाकों की ओर जाना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीणों के लिए पशुओं के चारे की होती है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। -हाफिज नजीम पत्थर की बांध गंगा की बाढ़ के पानी को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में जलभराव और नुकसान को कम किया जा सकता है। बारिश आने पर हर साल यही हालात होते हैं। प्रशासन को इस समस्या पर ठोस कदम उठाने चाहिए। -आनंद पत्थर की बांध नदी के किनारों को कटाव से बचा सकती है, जिससे भूमि का क्षरण रोका जा सकता है, इस पर सिंचाई विभाग को कार्ययोजना बनाकर काम करना चाहिए। इससे आसपास के तटवर्ती गांवों के लोगों को काफी राहत मिलेगी। -आबिद सबसे ज्यादा फायदा पत्थर के तटबांध का लाभ बाढ़ के प्रभाव को कम करने में मिलेगा, ग्रामीणों की खेती के नुकसान को बचाया जा सकता है, जलभराव, फसलों की क्षति रुकेगी। बरसात में लोगों को अपने घर छोड़कर जाना नहीं पड़ेगा। -अजीम हर साल जलभराव से किसानों की फसलें डूब जाती हैं। पशुओं के लिए चारे का संकट हो जाता है। बाढ़ की समस्या को ठोस कदम उठाने चाहिए। अगर पक्के तटबंध बन जाएं तो हमें राहत मिल सकती है। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। -कृष्ण अवतार, कादरगंज कभी-कभी तो अचानक जलस्तर बढ़ने एवं तेजी से मिट्टी का कटान होने के कारण भी सिंचाई विभाग के इंतजाम प्रभावित होते हैं, जिन्हें पानी के बीच ठीक करना मुश्किल भरा होता है। इसलिए सिंचाई विभाग को ये सब काम बारिश से पहले करने चाहिए। -वीरेंद्र सक्सैना गांवों के जलमगन होने की वजह से लोगों को अपने घर छोड़कर आसपास के ऊंचे इलाकों की ओर जाना पड़ता है या जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ता है। लोगों के लिए दैनिक दिनचर्या के कामों में काफी दिक्कत होती है। -भोला सिंह, सिंकदरपुर वैश्य
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