सड़क पर भटक रहे मवेशी, गोशालाओं में बदइंतजामी
Gangapar News - पालपट्टी, हिन्दुस्तान संवाद। गोशाला यानी बेसहारा गोवंशों का सहारा सरकार ने यह गो शालाएं बनवाई
गोशाला यानी बेसहारा गोवंशों का सहारा सरकार ने यह गो शालाएं बनवाई है ताकि, बेसहारा गोवंशों को दाना, चारा व पानी सहित सभी सुविधाएं मिल सकें। वे असहाय बने सड़कों पर घूमते-घूमते हादसे का शिकार न हों। सरकार की यह कवायद जमीनी स्तर पर कितनी फलीभूत हो रही है इसका उदाहरण ग्राम खूंटा, सिलौधी व दिघलो में बनी गोशाला में देखा जा सकता है। गोशालाओं में न चारा है और न पानी। ऐसे में टैग लगे गोवंश खुले आम घूम रहे हैं। मेजा तहसील में बेसहारा गोवंशों के लिए गो शालाएं बनवाई गई हैं। आशय यही है कि बेसहारा गोवंश यहां रहेंगे, तो उनको चारा पानी मिलता रहेगा वे सड़क पर नहीं घूमेगें।
अव्यवस्था की शिकार गोशालाओं में भूले भटके गोवंश पहुंच भी जायं तो यहां न तो उनको चारा न ही पानी मिलेगा। ऐसे में उनको फिर से सड़कों की राह पकड़नी पड़ती है। उनका यह कदम न सिर्फ उनके लिए परेशानी भरा होता है बल्कि आमजन को भी इससे दिक्कत उठानी पड़ती है। लालतारा, दसौती, इटवा, सुजनी चौराहे पर जाम लगा रहता है। गोवंशों के नाम पर कुछ लोगों ने बोरिंग करा लिया है पर उस पानी से वह अपने खेतों की सिंचाई करते हैं। जबकि कुछ लोगों ने गोशालाओं में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर शिकायत की तो ब्लॉक के अधिकारियों ने जांच करने की बात कही। ग्राम प्रधान खूंटा, सिलौधी ने बताया कि हमारे यहां 140 गोवंश है। वहीं डिघलो गोआश्रय में ग्यारह सौ मवेशियों की रखने का छमता है। लेकिन मात्र 50 से 60 ही रहते हैं। शासन द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि गोवंशों को पहाड़ियों पर टहलने के लिए छोड़ा जाय पर ऐसा नहीं किया जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि खूंटा में 10 से 15 बेसहारा गोवंश रहते हैं। वह भी रात में एक भी नहीं रहते हैं। ग्राम प्रधान प्रभावती देवी पत्नी राजा राम ने आरोप निराधार बताया है जब कि ग्रामीणों ने जांच की मांग की है।
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