अमेठी-नाम ‘नंदन वन, हकीकत में दिख रहे बस जंगली बबूल
Gauriganj News - अमेठी में 'नंदन वन' परियोजना महज एक वर्ष में बर्बाद हो गई है। यहां लगभग 4000 पौधों का रोपण किया गया था, लेकिन अब केवल 8-10 पौधे ही जीवित हैं। जलभराव और जंगली बबूल ने स्थिति को और खराब कर दिया है।...

अमेठी। जुलाई 2023 में नगर पालिका परिषद ने विकास भवन और जिला पंचायत रिसोर्स सेंटर के बीच की खाली पड़ी लगभग तीन बीघा भूमि पर 'नंदन वन' विकसित करने की योजना शुरू की थी। यहां करीब 4000 पौधों का वैज्ञानिक ढंग से रोपण किया गया। योजना का उद्देश्य था कि यह स्थल घने वन और जैव विविधता केंद्र के रूप में विकसित हो, लेकिन महज एक वर्ष में ही यह परियोजना बर्बाद हो गई। नंदन वन में 9 गुणे 9 मीटर के अंतराल पर हरड़, बहेड़ा, महुआ, चिरौंजी, सेमल, बरगद, पीपल, पाकड़, इमली, आम, कुसुम का रोपण कराया गया। जबकि 6 गुणे 6 मीटर के अंतराल पर नीम, शीशम ,जामुन, आंवला, बेल, कैथा, लसोढा, बांस, जैक रेंडर, अमलतास, केसिया स्यामिया, पेल्टोफोरम, देशी अशोक, बालमखीरा, कदंब, मौलश्री आदि का रोपण हुआ।
3 गुणे 3 मीटर अंतराल पर अर्जुन, ढाक, कंजी, अमलतास, कचनार, हरसिंगार, चंदन, पारस, पीपल, केशिया जवानिका, केशिया नोडोसा, पुत्रजीवा, गुलाचीन एवं सहजन का रोपण हुआ था। 1.5 गुणे 1.5 मीटर अंतराल पर बोगनवीलिया, चांदनी, सर्पगंधा, करौंदा, इंद्रजौ, कोरिया, पीलवा, फराश, मोरपंखी, कटनी, झरवेरी झाऊ, धौला, मौला, हिंगोट, फाइकस, गुड़हल, मेहंदी आदि झाड़ी वाले पौधों का रोपण हुआ था। लेकिन आज इसकी फेंसिंग टूट चुकी है। क्षेत्र में जलभराव है और पूरे वन में केवल 8-10 पौधे ही जीवित हैं, वो भी खराब हालत में। चारों तरफ जंगली बबूल उग आया है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह वन विकास भवन से महज कुछ कदम की दूरी पर स्थित है। यानी जिम्मेदार अधिकारियों की नजर के ठीक सामने। इसके बावजूद यह परियोजना अपना वजूद बचाने में नाकाम रही। अब जबकि जिले में फिर से लाखों पौधे लगाने की तैयारियां चल रही हैं, तो नंदन वन की यह स्थिति नई पौधों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पूरी योजना कागजों में सजी रही, जबकि जमीन पर इसका हश्र बेहद निराशाजनक है। अगर समय पर सिंचाई, निगरानी और सुरक्षा होती तो यह क्षेत्र पर्यावरण संरक्षण का आदर्श बन सकता था। अब जरूरत इस बात की है कि आने वाली हरियाली योजनाओं के साथ जवाबदेही भी तय की जाए। क्या कहते हैं जिम्मेदार मैं मौके पर गया था। ज्यादातर पौधे नष्ट हो गए हैं। जमीन उपयुक्त नहीं थी इसलिए पौधे नहीं लग सके। मुख्यमंत्री नगरोदय योजना में फिर से उस क्षेत्र को लिया गया है। यहां पर जमीन की एक परत हटाकर उसे उर्वर बनाकर वन और पार्क विकसित किया जाएगा। सुनील कुमार, ईओ, नगर पालिका गौरीगंज
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