शोध और कार्यस्थल एक तो नहीं लेना होगा अवकाश, यूपी के विश्वविद्यालयी शिक्षकों को राहत की तैयारी
Gorakhpur News - उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए एक अच्छी खबर है। अब पीएचडी कोर्स वर्क के दौरान अनिवार्य रूप से छह महीने का अवकाश नहीं लेना होगा। यदि शोध स्थल और...

गोरखपुर, निज संवाददाता। उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के उन शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है, जो पीएचडी कर रहे हैं या करने जा रहे हैं। प्री पीएचडी कोर्स वर्क के दौरान अनिवार्य रूप से लिया जाने वाला छह महीने का अवकाश अब उन्हें नहीं लेना होगा, बशर्ते उनका शोध स्थल और कार्यस्थल एक हो। इसे लेकर शासन ने गंभीरता दिखाते हुए तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी है।
विश्वविद्यालयों में पीएचडी में दाखिले के बाद छह महीने का प्री पीएचडी कोर्स होता है। इस दौरान विश्वविद्यालयी शिक्षकों या कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से छह महीने का असाधारण अवकाश लेना पड़ता है। छह महीने के अवैतनिक अवकाश के कारण शिक्षकों-कर्मचारियों को आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ता है। अक्सर यह शिकायतें आती रहती हैं कि कुछ शिक्षकों ने बिना अवकाश लिए ही प्री पीएचडी कोर्स वर्क पूरा कर लिया। इसे देखते हुए शिक्षक संगठन यह मांग करते रहे हैं कि यदि कोई शिक्षक अपने ही विश्वविद्यालय या शहर के कॉलेज में पीएचडी कर रहा है तो उसे अवकाश न लेना पड़े। प्रदेश सरकार ने इसे देखते हुए समिति गठन करने का निर्णय लिया है।
‘स्वयं से कर सकेंगे कोर्स वर्क
एनईपी के प्रावधानों को देखते हुए यूजीसी ने ‘स्वयं पोर्टल पर पीएचडी के भी विभिन्न कोर्सेज के ऑनलाइन कंटेंट उपलब्ध कराए हैं। यूजीसी की मंशा है कि जो शिक्षक ऑफलाइन कोर्स वर्क न कर सकें, वे ‘स्वयं से ऑनलाइन कोर्स कर सकें। शासन ने ‘स्वयं पोर्टल के कोर्सेज को पीएचडी कोर्स वर्क के रूप में मान्यता देने के लिए भी संस्तुति का निर्देश दिया है।
डीडीयू की कुलपति प्रो पूनम टंडन समिति की अध्यक्ष
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन को अध्यक्ष नामित किया है। लखनऊ विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रशासन विभगा के प्रो. संजय मेधावी और केएम राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बादलपुर के प्रो. दिनेश चन्द्र शर्मा सदस्य नामित किए गए हैं।
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