गोरखपुर से खरीद सकेंगे दिल्ली-मुम्बई में जमीन मकान
Gorakhpur News - फोटो- रजिस्ट्री कार्यालय - गोरखपुर से खरीद सकेंगे दिल्ली-मुम्बई में जमीन मकान - रजिस्ट्रीकरण एक्ट

गोरखपुर। निज संवाददाता 117 साल बाद रजिट्रेशन एक्ट 1908 में बदलाव की प्रक्रिया शुरू की गई है। अब गोरखपुर रजिस्ट्री कार्यालय में ही दिल्ली, मुम्बई सहित अन्य शहरों की जमीन और मकानों की खरीद हो सकेगी। इसी प्रकार दूसरे शहरों में रहने वाले वहीं से अपनी संपत्ति बेच सकेंगे। ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग ने रजिस्ट्रेशन बिल 2025 तैयार किया है। विभागीय वेबसाइट पर इस बिल के संबंध में सुझाव मांगे गए हैं। 25 जून 2025 तक कोई भी व्यक्ति अपने सुझाव अपलोड कर सकता है। सुझाव और संसोधन के बाद अंतिम रूप से तैयार बिल को संसद में पास कराया जाएगा।
उसके बाद यह रजिस्ट्रेशन एक्ट बदल जाएगा। रजिस्ट्रेशन बिल 2025 पर सुझाव मांगे जाने के बाद कचहरी में अधिवक्ताओं, दस्तावेज लेखकों एवं संपत्ति के कारोबारियों में चर्चा हो रही है। रजिस्ट्रेशन बिल के अनुसार इस एक्ट को लागू होने के बाद देश में संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन में डिजीटलीकरण हो जाएगा। किसी संपत्ति के खरीद फरोख्त में क्रेता विक्रेता को एक ही रजिस्ट्री कार्यालय में होना अनिवार्य नहीं होगा। इलेक्ट्रानिक बयान के आधार पर भी संपत्ति की रजिस्ट्री हो जाएगी। रजिस्ट्रेशन आधार आधारित हो जाएगा। जबकि जो लोग आधार का उपयोग नहीं करना चाहेंगे, वे वैकल्पिक पहचान पत्र का उपयोग कर सकेंगे। बैनामा निरस्त कर सकेंगे सब रजिस्ट्रार : फिलहाल किसी संपत्ति की रजिस्ट्री गलत हो जाती है तो उसमें बैनामा मंसूख करने के लिए दीवानी न्यायालय में वाद दाखिल करना पड़ता है। इसमें लंबे समय तक मुकदमा लड़ना पड़ता है। रजिस्ट्रेशन एक्ट में बदलाव के बाद तथ्य छिपाकर रजिस्ट्री कराने के साक्ष्य के आधार पर सब रजिस्ट्रार बैनामा या अनुबंध निरस्त कर सकेंगे। सब रजिस्ट्रार को भी मजिस्ट्रेट का अधिकार होगा। झूठे तथ्यों को प्रस्तुत करने पर सब रजिस्ट्रार को दंड देने की शक्ति होगी। धोखाधड़ी कम होने की संभावना अधिवक्ता मनोज कुमार गुप्ता ने बताया कि नए रजिस्ट्रेशन एक्ट में धोखाधड़ी की आशंका कम होगी। इसमें सभी दस्तावेजों का रख रखाव डिजिटल होगा। यह प्रणाली अभिलेखागार, नगर निगम एवं वित्तीय संस्थानों से इंटीग्रेट होगी। इस बिल का अध्ययन किया जा रहा है, सुझाव भी अपलोड किया जाएगा। बड़े बदलाव से बदलेगी व्यवस्था अधिवक्ता शुभेंद्र सत्यदेव ने बताया कि यह केंद्रीय कानून है, लेकिन स्थानीय आवश्यकता के अनुसार राज्य सरकारें भी नियम बना सकेंगी। अब सेल डीड के साथ एग्रीमेंट टू सेल, पॉवर ऑफ अटार्नी, न्यायिक आदेश, डिक्री और न्यायाधिकरणों के निर्णय अनिवार्य रूप से रजिस्टर्ड होंगे। सुविधाओं के साथ समस्याओं पर भी मंथन किया जा रहा है, इसमें सुझाव देंगे। रजिस्ट्रेशन बिल 2025 के संबंध में सुझाव मांगे गए हैं। विभागीय वेबसाइट पर ही सुझाव देना है। सुझाव और संसोधन के बाद रजिस्ट्रेशन बिल जब एक्ट बनेगा तो व्यवस्था बदल जाएगी। - संजय कुमार दुबे, एआईजी स्टॉम्प एवं रजिस्ट्रेशन
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