मौसम की मार से शहर की सेहत खराब
Hathras News - फोटो:26-शहर के बागला संयुक्त जिला अस्पताल में दवा काउंटर पर गुरुवार को लगी मरीजों की भीड़।मौसम की मार से शहर की सेहत खराबमौसम की मार से शहर की सेहत खर

अस्पतालों में उल्टी-दस्त, पेट खराब, सनबर्न, सिरदर्द के सर्वाधिक पीड़ित, सरकारी अस्पतालों की ओपीडी व फिजीशियन पर कतार 44 डिग्री से अधिक तापमान, उमस और गर्म हवाओं से बिगड़ा शरीर का हाल 1500 सौ से अधिक मरीज बागला जिला अस्पताल की ओपीडी में आए 05 तरह की दिक्कतें सामान्य रूप से मरीजों में सामने आ रहीं हाथरस। 43 से 44 डिग्री का तापमान। साथ में बेहद गर्म हवाएं और उमस की मार। इसका असर अब सेहत पर दिखाई देने लगा है। गर्मी जनित रोगों की चौतरफा मार पड़ रही है। सरकारी अस्पतालों की ओपीडी, निजी अस्पताल से लेकर क्लीनिक तक पर गर्मी की मार से परेशान मरीजों की भीड़ बढ़ गई है।
शहर के बागला संयुक्त जिला अस्पताल की बात करें तो यहां गुरुवार ओपीडी में कुल 1455 मरीज देखे गए। सबसे ज्यादा मेडिसिन विभाग में मरीजों को परामर्श दिया गया। यहां करीब 65 फीसदी मरीज गर्मी के कारण होने वाली बीमारियों से पीड़ित थे। दूसरे नंबर पर टीबी और सांस रोग विभाग मरीज पहुंचे। बाल रोग विभाग में 120 मरीज देखे गए। यह सभी 14 साल तक के बच्चे थे। इनमें से कुछ बच्चों को भर्ती भी करना पड़ा। तीसरे नंबर पर त्वचा रोग विभाग में 130 मरीजों को देखा गया। यहां भी गर्मी, धूप और एलर्जी से पीड़ितों की संख्या सर्वाधिक रही है। तापमान बढ़ने के कारण लोगों में विशेष रूप से पांच तरह की दिक्कतें बढ़ गई हैं। इनमें डायरिया, गैस्ट्रोएंट्राइटिस, सनबर्न, सिर व बदन दर्द और सांस संबंधी परेशानियां हैं। सरकारी अस्पतालों के साथ ही शहर के निजी अस्पतालों में भी इन परेशानियों के मरीज बड़ी तादाद में आ पहुंच रहे हैं। डायरिया: बच्चों में डीहाइड्रेशन के मामले 50% तक बढ़े कम पानी पीने, धूप और लू लगने से सीवियर डीहायड्रेशन के मामले 50 फीसदी बढ़ गए हैं। 14 साल तक के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। आखों का गड्डे में चले जाना, पेशाब कम आना, हाईग्रेड फीवर, हीट स्ट्रोक, गला बैठना, सर्दी-जुकाम ने बच्चों को घेर लिया है। सबसे ज्यादा यही मामले आ रहे हैं। ठंडा-गर्म होने, खराब खानपान, संक्रमित पानी, बाहर का भोजन, आइसक्रीम और कोल्ड्र डिंक जिम्मेदार हैं। बचाव:- सबसे ज्यादा आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक से बच्चे बीमार हो रहे हैं। इससे संक्रमण हो रहा है। दही, लस्सी, नींबू पानी, आम का पना, सत्तू आदि दें। एकदम धूप से एसी में न आएं। सुबह 11 से शाम 5 बजे तक बच्चों को बाहर नहीं जाने देना चाहिए। डॉ. प्रमोद कुमार, बाल रोग विशेषज्ञ। गैस्ट्रो एंट्राइटिस: 15 % तक बढ़ गए ओपीडी में मरीज इसे आम तौर पर पेट का फ्लू या संक्रमण कहा जाता है। ऐसे मामले 15 फीसदी तक बढ़े हैं। यह अधिक उम्र के हैं। मसलन खुले में काम करने वाले, बाहर निकलने वाले लोग अधिक प्रभावित हैं। इसमें पेट का दर्द, गैस बनना, अपच, पेट भारी रहने के बाद अचानक बेहोशी छाना, जी घबराना, चक्कर आने जैसे मामले हैं। एसएन की इमरजेंसी में रोज ऐसे 10 से 15 मामले आ रहे हैं। अधिकांश कुछ घंटों में ठीक हो जाते हैं। बचाव:- खुली धूप में निकलने, काम करने वालों को लगातार ठंडा पानी पीते रहना चाहिए। सिर पर गमछा डालें, बीच-बीच में छाया में चले जाएं। नहाना बहुत फायदेमंद होता है। शरीर को पूरा ढंकने वाले कपड़े पहनने चाहिए। कानों का विशेष ध्यान रखा जाए। डॉ. अवधेश, वरिष्ठ फिजीशिन, बागला संयुक्त जिला अस्पताल। सनबर्न: 40 % तक मरीज धूप की वजह से चपेट में आए अधिक तापमान, गर्म हवाएं, पसीना आने के कारण त्वचा पर सबसे ज्यादा मार पड़ रही है। इससे सनबर्न, फंगल संक्रमण, धूप से एलर्जी, त्वचा का झुलस जाना, लाल दाने पड़ना, दर्द के साथ खुजली के मामले 40 फीसदी तक बढ़ गए हैं। पसीने के कारण त्वचा के छिद्र बंद होने से ऐसा होता है। पसीना त्वचा पर जमने से यह काली पड़ जाती है। विशेषकर चेहरे, अंगों के जोड़ों के आसपास इसका अधिक असर देखा जा रहा है। बचाव:- पर्याप्त पानी पिए, सनस्क्रीन का प्रयोग करें, धूर से दूर रहें, सूती हल्के रंग के ढीले कपड़े पहनें। नहाने के बाद पूरे शरीर पर नारियल का तेल या अच्छी कंपनी का माश्चराइजर लगाएं। बालों को गीला न रखें। पसीना आने पर लगातार पोंछते रहें। डॉ. दिव्या अग्रवाल, त्वचा रोग विशेषज्ञ। सिर-बदन दर्द: 25 %लोगों को हो गई समस्या डीहाइड्रेशन, अधिक गर्मी से शरीर का तापमान बढ़ना, शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी से सिरदर्द हो जाता है। अधिक पसीना आने के दौरान यह बढ़ सकता है। गर्मी से थकावट यानि हीट एग्जाशन भी एक कारण है। अधिक समय तक धूप में रहने से भी सिर भारी होने लगता है। शरीर में सूजन और जलन होने लगती है। यही सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द का कारण बन रहा है। 25 फीसदी को दिक्कत हो रही है। बचाव:- चाय, काफी से डीहाइड्रेशन होता है और शरीर में पानी की कमी हो जाती है। धूप में बाहर न जाएं, हल्के रंग के सूती और ढीले कपड़े पहनें। दिन में कम से कम 4 लीटर पानी पीना चाहिए। अधिक समय तक छांव में रहें। डॉ. एमआई आलम, डिप्टी सीएमओ। रेस्पेरेटरी: 20 फीसदी को हो रही परेशानी टीबी, दमा, अस्थमा के पुराने मरीजों की दिक्कतें बढ़ी हैं। करीब 20 फीसदी मरीजों को अस्पताल आना पड़ रहा है। गर्म हवाओं से सांस नलियों में सूजन हो सकती है। इससे सांस लेने में मुश्किलें आती हैं। उमस बढ़ने के दौरान वातावरण में आक्सीजन की कमी से भी फेफड़े हांफने लगे हैं। बचाव:- बीमार लोग नियमित दवाइयां लेते रहें। फिर भी दिक्कत है तो डाक्टर से मिलकर अपनी खुराक में बदलाव कराना चाहिए। आम लोगों को पर्याप्त पानी पीना चाहिए। धूप से बचें। डॉ. प्रदीप रावत, फिजीशिन। ----------
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