22 साल में सात मामलों में सुनाई गई मृत्युदंड की सजा
Hathras News - 22 साल में सात मामलों में सुनाई गई मृत्युदंड की सजा 22 साल में सात मामलों सुनाई गई मृत्युदंड की22 साल में सात मामलों सुनाई गई मृत्युदंड की22 साल में स

22 साल में सात मामलों में सुनाई गई मृत्युदंड की सजा वर्ष 2003 सदाबाद तीन साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद हुई थी हत्या आरोपी को सुनाई गई थी फांसी की सजा,अब तक सात मामलों में हुई फांसी हाथरस,कार्यालय संवाददाता। अब तक छह बार फांसी की सजा हाथरस जनपद के विभिन्न न्यायालयों की ओर से सुनाई जा चुकी हैं। बुधवार को कोर्ट ने सातवीं मृत्युदण्ड की सजा सुनाई। जनपद के कई महत्वपूर्ण मामलों में कोर्ट अभियुक्तगणों को सजा सुना चुकी है। वर्ष 2003 में सादाबाद में साढे़ तीन साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी गई थी।
इस मुकदमे को अधिवक्ता राजीव तिवारी ने लड़ा था। इस मामले की सुनवाई एडीजे अरविद ने की और हत्यारे को मृत्युदण्ड की सजा सुनाई थी। वर्ष 2006 में सहपऊ कोतवाली क्षेत्र में अधिवक्ता की हत्या की गई थी, इस मामले में एडीजे डीसी सिंह ने दो हत्याभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई। कोतवाली सदर के गांव कलवारी में छह जून 93 को एक ही परिवार में हुई गोलाबारी में चार लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में दो लोगों को फांसी की सजा कोर्ट ने सुनाई थी। इसके अलावा 16 वर्ष पहले सादाबाद में हुए हत्याकांड में हत्याभियुक्त चमन और इरशाद को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई। 24 सितंबर 21 को किशोरी को जिदा जलाने के आरोप में मोनू ठाकुर को फांसी की सजा सुनाई है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पाक्सो अधिनियम प्रथम प्रतिभा सक्सेना ने बच्ची से दुष्कर्म कर हत्या कर लाश फेंकने वाले हत्याभियुक्त चंद्रपाल कुशवाह निवासी महमूदपुर थाना सिकंदराराऊ, हाथरस को फांसी की सजा सुनाई है। अब बुधवार को एडीजे एससीएसटी एक्ट कोर्ट ने दो सगी बहनों की हत्या के मामले में विकास और लालूपाल को मृत्युदण्ड की सजा सुनाई है। पुलिस की सख्त पैरवी से मिला इंसाफ: चिरंजीवनाथ सिन्हा ने कहा कि जनवरी महीने में दो सगी बहनों की निर्मम हत्या की गई। पुलिस ने जल्द ही अभियुक्तों को गिरफ्तार कर पर्दाफाश कर दिया था। पुलिस ने समयबद्ध तरीके से सभी जांच पूरी करते हुए कोर्ट में चार्जशीट लगाई और गवाहों के बयान कराए गए। आज उसी पैरवी के चलते दोनों अभियुक्तों को मृत्युदण्ड की सजा हुईहै। फैसला आने के बाद रो पड़े अभियुक्त कोर्ट में जैसे ही मृत्युदण्ड का फैसला सुनाया तो पेशी पर आये दोनों अभियुक्त रो पड़े और मासूम होकर कोर्ट से बाहर आये। निश्िचत तौर पर वह अफसोस कर रहे होगे कि वह थोड़ी से पैसे के लालच में आकर क्या अपराध कर बैठे।
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