शौर्य और फूड फॉरेस्ट से महकेगा संभल, शहीद महेंद्र सिंह की स्मृति में रोपे जाएंगे पौधे
Sambhal News - संभल जनपद में शहीदों की स्मृति में शौर्य वन की स्थापना की जाएगी, जिसमें शहीद महेंद्र सिंह के परिजनों द्वारा पौधरोपण किया जाएगा। इसके साथ ही पक्षियों के लिए फूड फॉरेस्ट की भी स्थापना होगी, जिसमें आम,...

संभल। जनपद में हरियाली बढ़ाने के साथ अब शहीदों को अनूठे ढंग से श्रद्धांजलि दी जाएगी। वन विभाग द्वारा शहीदों की स्मृति में शौर्य वन की स्थापना की जाएगी। वहीं दूसरी तरफ वन विभाग अब पक्षियों के लिए भी खास पहल करने जा रहा है। जिले में पहली बार फूड फॉरेस्ट की स्थापना की जाएगी, जिसमें आम, जामुन, बेर, नींबू, अमरूद के पौधे लगाए जाएंगे जिनसे पक्षियों को प्राकृतिक रूप से भोजन मिल सके। संभल रेंज में सबसे पहले शौर्य वन की स्थापना शहीद महेंद्र सिंह की स्मृति में की जा रही है। हाजीबेड़ा गांव निवासी महेंद्र सिंह ने छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में ऑपरेशन ग्रीन हंट के दौरान 6 अप्रैल 2010 को अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे।
उनके अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान की याद में संभल रेंज के मनोटा-सैदनगली मार्ग पर शौर्य वन स्थापित किया जाएगा। शौर्य वन की खासियत यह होगी कि इसमें पौधरोपण शहीद के परिजनों द्वारा किया जाएगा। महेंद्र सिंह की स्मृति में उनके भाई अंतिम चाहल समेत परिवार के अन्य सदस्य पौधे रोपित करेंगे। इससे न केवल हरियाली बढ़ेगी, बल्कि नई पीढ़ी को भी देशभक्ति की प्रेरणा मिलेगी। वन विभाग कर रहा है शहीद परिवारों की पहचान संभल। संभल रेंज के प्रभारी उसमान अली ने बताया कि वन विभाग शहीदों के सम्मान में शौर्य वन की स्थापना कर रहा है। इसके लिए जनपद में शहीदों के परिजनों को चिन्हित किया जा रहा है। विभाग की मंशा है कि हर शहीद की स्मृति को हरियाली के रूप में जीवित रखा जाए। शौर्य वन की देखभाल भी विभाग द्वारा नियमित रूप से की जाएगी, ताकि यह स्थल सदैव हरा-भरा बना रहे। पक्षियों के लिए बनेगा फूड फॉरेस्ट, मिलेगा प्राकृतिक भोजन संभल। जहां एक ओर शहीदों की स्मृति में शौर्य वन की स्थापना की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ वन विभाग अब पक्षियों के लिए भी खास पहल करने जा रहा है। जिले में पहली बार फूड फॉरेस्ट की स्थापना की जाएगी। संभल रेंज के प्रभारी वन रेंजर उसमान अली ने बताया कि संभल-चंदायन-भवानीपुर मार्ग पर आम, जामुन, बेर, नींबू, अमरूद के लगभग 1600 फलदार पौधों का रोपण किया जाएगा। इन पौधों के फल पकने पर विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों को खाने के लिए पर्याप्त भोजन मिलेगा। साथ ही हरियाली भी बढ़ेगी और वातावरण में जैव विविधता को भी मजबूती मिलेगी।
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