National Seminar on Science Spirituality and Tradition at Bundelkhand University सनातन परंपराओं को शिक्षा के साथ जोड़ने की आवश्यकता, Jhansi Hindi News - Hindustan
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सनातन परंपराओं को शिक्षा के साथ जोड़ने की आवश्यकता

Jhansi News - महाकुंभ में विज्ञान अध्यात्म और परंपरा विषय पर संगोष्ठीझांसी,संवाददातामहाकुंभ दिव्यकुंभ को लेकर बुविवि में अमृत मंथन के लिए राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। मु

Newswrap हिन्दुस्तान, झांसीTue, 25 Feb 2025 11:26 PM
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सनातन परंपराओं को शिक्षा के साथ जोड़ने की आवश्यकता

झांसी,संवाददाता महाकुंभ दिव्यकुंभ को लेकर बुविवि में अमृत मंथन के लिए राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। मुख्य अतिथि ने कहा कि सनातन परम्पराओं को शिक्षा से जोड़ने के की जरूरत है।

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में महाकुंभ में विज्ञान अध्यात्म और परंपरा विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी रहे। उन्होंने कहा कि वसुंधरा को माता व नदियों को पूजने की परंपरा हमारे ऋषियों द्वारा की गई। उन्होंने कहा कि विश्व में धरती के आकार को लेकर लोग अलग-अलग मत व्यक्त कर रहे थे तब हमारे यहां इसके लिए भूगोल शब्द दिया गया।

इससे ज्ञात होता है कि भारतीय सनातन ज्ञान और विज्ञान एक दूसरे के पूरक है। हिन्दुस्तानियों के हृदय में आत्मीयता, मानवता, इंसानियत होना चाहिए। कहा कि हमारे पूर्वजों ने संस्कृति'' को जन्म देकर संपूर्ण विश्व को एक जैविक प्रयोगशाला में परिवर्तित कर दिया, जहां मानव शरीर की ही परीक्षण का साधन बन गया।

वहीं भारत ने ''कुंभसंस्कृति'' के माध्यम से श्रद्धा, परंपरा और आध्यात्मिक ऊर्जा को पुनर्जीवित किया। मनुष्य को लोकमंगल, सबके मंगल का विचार रखना होगा। उन्होंने कहा कि संगम में बिना भेदभाव, जातिवाद, के श्रद्धालु भक्ति भाव से स्नान कर रहे हैं। गंगा के प्रति भाव,जुड़ाव,देखने को मिला। संबोधन में कहा कि हिंदुस्तान कभी अंग्रेजों का गुलाम नहीं रहा, वह अपनी रक्षा,आजादी,के लिए लगातार संघर्ष करता रहा है।

संगोष्ठी के समापन समारोह की अध्यक्षता कर रहे कुलसचिव विनय सिंह कहा कि भारत की सनातन संस्कृति अनंत महासागर के समान है।

इसके पूर्व विभिन्न क्षेत्रों में शोधार्थीयों ने विषय से संबंधित शोध पत्र प्रस्तुत किये। संचालन डॉक्टर गुरदीप त्रिपाठी ने किया। संगोष्ठी के संयोजक डॉ प्रकाश चंद्र एवं सह संयोजक डॉक्टर गौरी खानवलकर एवं संगोष्ठी के ऑर्गेनाइजिंग सेकेट्री डॉ कमलेश बिलगौया, डॉ आनंद त्रिवेदी, डॉ चित्र गुप्ता, डॉ विजय कुमार यादव, डॉ शुभांगी निगम, डॉ प्रेम प्रकाश सिंह डॉ रेखा लगारखा, डॉ अंजु सिंह डॉक्टर धीरेंद्र शर्मा, डॉ बी एस भदौरिया डा संतोष पांडे, मिश्रा डॉ संतोष पांडे आदि उपस्थित रहे।

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