दया का भाव मन में रखने से होता जीव का कल्याण
Kannauj News - - संत निरंकारी भवन में आयोजित हुआ सत्संग प्रवचनछिबरामऊ, संवाददाता। नगर के पूर्वी वाईपास स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में सौरिख से आये परम पूज्य महात्

छिबरामऊ, संवाददाता। नगर के पूर्वी वाईपास स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में सौरिख से आये परम पूज्य महात्मा मोहित यादवजी ने अपने प्रवचन में कहा कि हमें परमात्मा ने ही ये शरीर ये मन और ये माया रुपी धन दौलत इत्यादि दी है, तो हर कोई एक समर्पित भाव ही मन में रखें, कि ये प्रभु की ही चीज हैं, इसको संभालना हमारा काम है। मन मे ये कोई अकड़ या कोई ऐसा रुप न लें, जो इन्सानियत से हट के हो। उन्होंने कहा कि मन में नम्रता रखते हुए अपना भाव हर एक के लिए प्यार और करुणा वाला जीवन बना रहे।
वह कहते हैं कि ये बात गुरुओं, पीर-पैगम्बरों ने समझाई कि दास मन से बनना है। ये सेवा समर्पण का भाव सिर्फ परमात्मा के लिए ही नहीं हो, परमात्मा के बन्दो के लिए भी वही भाव हो। अक्सर देखते हैं कि सेवा का जब रुप बनता है, तो अगर उस समय हम अपने मन में अकड़ रख लेते हैं, कि हम किसी के चरणों में क्यों अपना सिर टिकाएं। हम किसी के जूतों की सफाई क्यों करे, किसी को भोजन बनबा के क्यों खिलाए, जो मानवता की सेवा कर रहे हैं क्यों करे, तो फिर बात वही आ जाएगी, कि मन को ही विनम्र नहीं किया तो फिर ये भक्तों वाले गुण कैसे मन में घर करेंगे। क्योंकि भक्तों वाले इन गुणों की परमात्मा से ही तो उपज होती है।
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