PhD जेनेवा से, UN में जय श्रीराम; चंद्रशेखर आजाद पर आरोपों की झड़ी लगाने वाली रोहिणी घावरी कौन?
Rohini Ghavari Profile: चंद्रशेखर आजाद पर रिलेशनशिप में शोषण का आरोप लगाने वाली स्कॉलर रोहिणी घावरी को संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर बोलने के मौके मिले हैं। रोहिणी पिछले साल यूएन में जय श्रीराम से भाषण शुरू करने के लिए चर्चा में थीं।

Rohini Ghavari Profile: नगीना के सांसद और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद पर रिलेशनिप में शोषण और धोखा के आरोप लगाने से इंदौर की डॉक्टर रोहिणी घावरी एक बार फिर खबरों में हैं। ये बात पहले भी उठी थी लेकिन दब गई थी। अब रोहिणी ने जहां भीम आर्मी बनाकर राजनीति में छा गए चंद्रशेखर को कोर्ट में घसीटने की बात की है, वहीं आजाद ने आरोपों का जवाब कोर्ट में ही देने का स्टैंड लिया है। जानते हैं रोहिणी घावरी के बारे में जो इंदौर के एक सफाईकर्मी के परिवार से निकलकर अपनी मेहनत और मेरिट से पीएचडी करने जेनेवा गईं। रोहिणी सोशल मीडिया और विविध आयोजनों के जरिए देश और दुनिया से बहुजन मसलों पर बात करती हैं।
इंदौर के एक वाल्मीकि परिवार की बेटी रोहिणी की मां सफाई कर्मचारी हैं। स्कूल के बाद रोहिणी ने इंदौर के ही देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से विदेश व्यापार प्रबंधन में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। बीबीए के बाद डीएवीवी के ही आईएमएस से मार्केटिंग में एमबीए की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद रोहिणी को स्विटजरलैंड के प्रसिद्ध स्विस स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट से व्यापार प्रबंधन में डॉक्टरेट की पढ़ाई में दाखिला मिला।
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पीएचडी की पढ़ाई के लिए रोहिणी को भारत सरकार से लगभग एक करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति मिली। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय हर साल दलित, घुमंतू आदिवासी और भूमिहीन खेतिहर मजदूर व पारंपरिक कारीगर परिवारों के 125 मेधावी बच्चों को विदेश में उच्च शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप देता है। इसके तहत छात्र-छात्राओं को मास्टर्स या पीएचडी जैसी डिग्री के लिए फीस, रहने का खर्च, आने-जाने का किराया समेत कुछ और सुविधाएं दी जाती हैं। रोहिणी इसी स्कॉलरशिप पर पढ़ने के लिए जेनेवा गईं।
पीएचडी की डिग्री लेकर रोहिणी अब डॉक्टर घावरी बन चुकी हैं और जेनेवा से ही एक फाउंडेशन के जरिए भारत में बहुजन समाज के बीच अभियान चलाती हैं। सोशल मीडिया पर वो दलित और बहुजन मसलों पर लिखती हैं। रोहिणी घावरी वैचारिक रूप से आंबेडकरवादी राजनीति की तरफ मुखातिब हैं लेकिन कई मसलों पर वो राष्ट्रवादी एजेंडा के साथ खड़ी दिखती हैं। रोहिणी को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के मंचों पर भारत की तरफ से बोलने के कुछ मौके भी मिले हैं।
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2024 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक कार्यक्रम में जय श्रीराम से भाषण शुरू करने के लिए भी रोहिणी की काफी चर्चा हुई थी। 2023 में इसी फोरम पर रोहिणी ने भारत में आदिवासी राष्ट्रपति और ओबीसी प्रधानमंत्री का जिक्र करते हुए कहा था कि भारत का संविधान इतना मजबूत है कि एक आदिवासी और पिछड़ा देश के सर्वोच्च पदों पर पहुंच सकता है। रोहिणी ने कहा था कि कुछ अंतरराष्ट्रीय एनजीओ भारत के बारे में गलत धारणा बनाते हैं जबकि जातीय दिक्कतों के बाद भी वहां काफी अच्छी चीजें हो रही हैं।
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रोहिणी के परिवार में मां-पिता के अलावा दो बहनें और एक भाई हैं। एक पहन मेडिकल अफसर हैं तो दूसरी कानून की पढ़ाई कर रही हैं। भाई इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। रोहिणी ने कहा था कि स्कॉलरशिप मिलने के बाद भी जेनेवा में उन्हें वीजा नियमों के दायरे में रहते हुए पार्ट टाइम नौकरी करनी पड़ी क्योंकि सिर्फ छात्रवृत्ति के पैसे से वहां रहना मैनेज नहीं हो पाता। रोहिणी की मां ने चार बच्चों की पढ़ाई के लिए अपने जेवर तक बेच दिए थे। रोहिणी को तसल्ली है कि अब वो मां के लिए कुछ जेवर बनवा पा रही हैं।