पंचायत सहायकों का मानदेय समय से भुगतान नहीं करने पर 68 सचिवों का रोका वेतन
Kushinagar News - कुशीनगर में प्रशासन ने पंचायत सहायकों को समय पर मानदेय न देने पर सचिवों के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। डीएम के आदेश पर, लापरवाह सचिवों का जून माह का वेतन रोक दिया गया है। पंचायत सहायकों का मानदेय 4 से 24...

कुशीनगर। विभिन्न ग्राम पंचायतों में तैनात पंचायत सहायकों को समय से मानदेय नहीं मिलने की शिकायतों पर प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद भुगतान में लापरवाही बरतने वाले सचिवों पर डीपीआरओ ने कार्रवाई करते हुए उनका जून माह का वेतन को रोक दिया है। उन्होंने पंचायत सहायको का मानदेय समय से नहीं देने और रोकने का कारण बताने के लिये नोटिस भी जारी किया है। वहीं प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अगर सचिव तय समयसीमा में संतोषजनक जवाब नहीं देते और भुगतान नहीं करते हैं, तो आगे कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी। जिले में 68 ग्राम पंचायतों में ऐसे पंचायत सहायक हैं, जिनका चार माह से लेकर 24 माह तक का मानदेय संबंधित ग्राम पंचायतों के सचिवों द्वारा भुगतान नहीं किया गया है।
इसकी जानकारी डीएम महेंद्र सिंह तंवर को होने के बाद कड़ा रुख अपनाते हुये तत्काल भुगतान करने का आदेश दिये। डीएम के आदेश के बाद डीपीआरओ आलोक कुमार प्रियदर्शी ने जिन पंचायत सहायकों का चार माह से अधिक समय से मानदेय नहीं मिला उनकी सूची तैयार कराया। इसमें विभिन्न गांवों के कुल 68 ऐसे पंचायत सहायक थे, जिन्हे 4 से लेकर 24 माह से मानदेया का भुगतान ही नहीं किया गया है। इस मामले को लेकर डीपीआरओ ने उन सभी संबंधित ग्राम पंचायतो के 68 सचिवों से जवाब तलब करते हुए स्पष्टीकरण मांगा है कि आखिर क्यों पंचायत सहायकों को उनका मानदेय अब तक नहीं दिया गया। साथ ही यह चेतावनी भी दी गई है कि यदि जल्द भुगतान नहीं किया गया तो आगे और कड़ी कार्रवाई की जायेगी। इसके अलावा डीपीआरओ ने संबंधित सचिवों का पंचायत सहायकों के भुगतान नहीं होने तक जून माह का वेतन पर रोक लगा दी है। वहीं प्रशासन के इस कदम से पंचायत सहायकों में उम्मीद जगी है कि अब उन्हें समय से उनका बकाया मानदेय मिल सकेगा। वहीं, सचिवों की लापरवाही पर लगाम लगाने की दिशा में यह सख्त रुख अहम माना जा रहा है। ------------------- पंचायत सहायको का मानदेय समय पर भुगतान में चूक बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। पंचायत सहायकों को मिलने वाला मानदेय उनके कार्य के प्रति प्रोत्साहन है। इसमें देरी करना अनुचित है। सचिवों को समय से उनका भुगतान करना अनिवार्य है। जिन सचिवों ने लापरवाही की है, उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है और उनका वेतन रोक दिया गया है। आलोक कुमार प्रियदर्शी, डीपीआरओ
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