स्कूल विलय के खिलाफ महिला शिक्षकों ने खोला मोर्चा
Maharajganj News - महराजगंज में शिक्षकों और संगठनों ने स्कूल विलय के खिलाफ आवाज उठाई। महिला शिक्षक संघ ने बीएसए से मिलकर मांग पत्र सौंपा, जिसमें स्कूलों के विलय के आदेश को वापस लेने की मांग की गई। उन्होंने कहा कि इससे...

महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। स्कूल पेयरिंग (विलय) के नाम पर बेसिक शिक्षा विभाग के कई परिषदीय विद्यालयों का अस्तित्व समाप्त करने के खिलाफ शिक्षकों व शिक्षक संगठनों ने आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ का प्रतिनिधि मंडल ने बीएसए रिद्धी पांडेय से मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री को संबोधित मांग पत्र बीएसए को देकर स्कूल विलय के आदेश को वापस लिए जाने की मांग की। स्कूल विलय होने से कई स्कूलों का अस्तित्व समाप्त होगा ही साथ ही स्कूल दूर होने से कई बच्चे शिक्षा से वंचित भी हो सकते हैं। संघ की जिलाध्यक्ष वंदना त्रिपाठी के नेतृत्व में महामंत्री अनामिका, वरिष्ठ उपाध्यक्ष वसीम बानो, ममता, अंजली, शालिनी, मंजरी, रागिनी, स्नेहलता आदि महिला शिक्षकों ने बीएसए को ज्ञापन दिया।
जिलाध्यक्ष वंदना त्रिपाठी ने कहा कि स्कूल पेयरिंग से विद्यालयों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। आजादी के बाद से जिस मंशा से गांव गांव स्कूल खोले गए आज उसे ही बंद किया जा रहा है। स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होने के कई कारण हैं और उसके जिम्मेदार शिक्षक नहीं हैं। विद्यालयों को बंद करने की बजाय शिक्षकों की स्थायी भर्ती किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि स्कूल मर्ज कर किया गया तो बच्चों से घर से स्कूल की दूरी बढ़ जाएगी। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राइमरी स्कूल से बच्चे की घर की दूरी एक किलोमीटर व उच्च प्राथमिक विद्यालय से घर की दूरी तीन किलोमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। लेकिन स्कूल विलय होने से सैकड़ों स्कूल की दूरी घर से बढ़ जाएगी। जिससे बच्चे स्कूल नहीं जा पाएंगे। सरकारी स्कूल में गरीबों के बच्चे पढ़ते हैं। ऐसे में अभिभावक वाहन आदि का खर्च नहीं उठा पाएंगे। विद्यालय से घर की दूरी अधिक होने से बच्चों के साथ कोई दुघर्टना व किसी अनहोनी से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। वाहनों से आने जाने पर कोई दुघर्टना होगी तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगें। उन्होंने कहा कि विद्यालयों को विलय करने की बजाय अधिक से अधिक संघ में उच्च प्राथमिक विद्यालय खोलकर वहां अध्यापकों की भर्ती किया जाना चाहिए। साथ ही परिषदीय विद्यालय के तीन किलोमीटर की दूरी की परिधि में किसी निजी स्कूल को मान्यता नहीं दिया जाना चाहिए। इससे परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढे़गी। बीएसए ने मांग पत्र को उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।
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