बोले मैनपुरी: नवादा में पूरा नहीं हुआ विकास का वादा
Mainpuri News - मैनपुरी। शहर से महज एक किमी दूर बसे नवादा गांव में विकास का वादा पूरा नहीं किया गया।
शहर से महज एक किमी दूर बसे नवादा गांव में विकास का वादा पूरा नहीं किया गया। गांव में विकास कार्य न होने से राजस्व गांव नवादा में लोग जाने से कतराने लगे हैं। इसकी प्रमुख वजह कोई और नहीं बल्कि जलभराव की समस्या है। गांव में घुसने से पहले मैन सड़क पर गंदा पानी भर गया है। ये सड़क नहीं नाला बन गई है। यहां ग्राम प्रधान तो कभी-कभी आते हैं लेकिन उन्हें ये जलभराव दिखाई नहीं पड़ता। सदर विधायक की बात करें तो वह अब तक गांव में पहुंचे ही नहीं हैं। गांव की दुर्दशा को देखकर ग्रामीणों का जनप्रतिनिधियों के कोरे आश्वासन से मोह भंग हो गया है।
अब ग्रामीण कहने लगे हैं कि इस गांव का नरक ठीक नहीं होगा। गंदे पानी में घुसकर ही आवागमन करना पड़ेगा। शहर से सटे ग्राम नवादा की हालत बद से बदतर है। शहर की ओर से गांव जाते समय घुसते ही सड़क नाला में बदल गई है। यहां बना तालाब ओवरफ्लो है। कच्ची नाली से पानी पास नहीं हो रहा। सड़क पर ही पानी भरने से आवागमन किसी बड़ी बाधा से कम नहीं है। सड़क के किनारे बनी ऊंची खाई ही पैदल निकलने वालों का सहारा है। वरना यहां दो फीट ऊंचे भरे पानी में घुसकर निकलना पड़े। बाइक सवार, कार सवारों को तो इसी सड़क से निकलने में डर लगने लगा है। गांव में घुसने के बाद मैन सड़क पर सीसी निर्माण तो है लेकिन पानी निकासी का प्रबंध न होने से पूरे गांव में जगह-जगह जलभराव है। कई जगह नालियों में काम होने की आवश्यकता है। नालियों की मरम्मत होनी है। लेकिन इस ओर जिम्मेदार कोई ध्यान नहीं दे रहे। हिन्दुस्तान के बोले मैनपुरी के तहत संवाद में ग्रामीणों की पीड़ा एकदम सामने आ गई। ग्रामीणों ने जलभराव के लिए ग्राम प्रधान को जिम्मेदार ठहराया। कहा कि प्रधान के पास काम कराने की फुरसत नहीं है। यदि गांव में थोड़ा भी काम कराया जाता तो ये दुर्दशा नहीं होती। पूरा गांव नरक बन गया है। ग्रामीण नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। शिक्षिका ने रास्ता देख स्थानांतरण लेने से कर दिया इनकार:नवादा गांव में मैन सड़क की दुर्दशा बड़ी बाधा बन चुकी है। गांव में कक्षा एक 8 तक कंपोजिट विद्यालय है। यहां आने वाले शिक्षकों को भी आने-जाने में बड़ी परेशानी होती है। एक शिक्षक तो यहां से पारस्परिक ट्रांसफर लेना चाहते हैं। शिकोहाबाद निवासी शिक्षक अपने यहां ट्रांसफर लेकर जाना चाहते हैं जबकि शिकोहाबाद में तैनात शिक्षिका मैनपुरी आना चाहती हैं। बीते दिनों शिक्षिका विद्यालय पहुंची तो उनके सामने भी गांव की सड़क बाधा बन गई। गांव की दलदल सड़क को देखकर उन्होंने पारस्परिक स्थानांतरण लेने से इनकार कर दिया। अब यहां तैनात शिक्षक भी अपने स्थानांतरण के लिए पहले गांव की दलदल सड़क पर जलभराव की समस्या के समाधान होने का सपना देखने लगे हैं। बोले लोग पानी की टंकी लगने के दौरान सीसी गलियां खोद दी गईं। पाइपलाइन डाले गए। दो वर्ष होने के बाद भी ठेकेदार तोड़ी गई गलियों का निर्माण करने नहीं आया। पाइपलाइन लीक होने, पानी का निकास न होने से हालात नारकीय बन गए हैं। -ठाकुरदास नवादा गांव में आने के लिए रिश्तेदार भी कतराते हैं। मैन सड़क नाला में बदल गई है। पूरी सड़क पर पानी भरा हुआ है। बाजार आते-जाते समय गंदे पानी से कपड़े खराब होते हैं। रिश्तेदार या अन्य लोग विकल्प के तौर पर दूसरे रास्तों का सहारा लेते हैं। -धर्मेंद्र सिंह नवादा का नसीब ही खराब है। यहां के लोग भी समस्या के लिए जिम्मेदार है। जलभराव की समस्या के समाधान के लिए एकजुटता दिखानी होगी। अपनी बात को प्रधान और अन्य जनप्रतिनिधियों के सामने रखनी होगी। तभी समाधान होगा। कब तक नरक जैसा जीवन जिया जाए। -मुन्नालाल पाल वर्ष 2017 में सीसी गलियों का निर्माण हुआ था। मैन सड़क का भी सीसी निर्माण हुआ। लेकिन पानी का निकास नहीं है। जिससे गलियों, मैन सड़क पर पानी भर रहा है। इसके समाधान के लिए कोई ठोस प्लान तैयार करना होगा। -ललित लोधी नवादा में नारकीय हालात होने की स्थिति में समाधान कोई नहीं ढूंढ रहा। ग्राम प्रधान व जनप्रतिनिधियों को इस ओर देखना चाहिए। जलभराव से मुक्ति दिलाने के रास्ते पर विचार होना चाहिए। चुपचाप बैठे रहने से समस्या का हल नहीं होगा। -धीरेंद्र कुमार गांव की दुर्दशा को कोई नहीं देख रहा। ग्राम प्रधान समस्या का समाधान नहीं करा रहे। कई बार इस समस्या के समाधान के लिए कहा गया। समाधान कराने की बात तो प्रधान कहते हैं लेकिन डेढ़ साल से कोई हल नहीं हुआ। -अमन राजपूत महिलाएं, बुजुर्ग पैदल बाजार करने जाने वालों को अब सहारा लेना पड़ता है। बाइक सवारों से दलदल वाले रास्ते को पार कराने के लिए सहारा लेते हैं। इसके बाद बाजार आते-जाते हैं। बहुत ही भारी समस्या है। इसका समाधान होना चाहिए। -राजीव कुमार गांव में जलभराव की स्थिति पैदा करने में जलजीवन मिशन के तहत लगाई गई पानी की टंकी भी कुछ हद तक बाधा है। ठेकेदार ने घर-घर नल तो पहुंचा दिया। लेकिन टोंटी नहीं लगी। जिससे पानी बर्बाद होकर नालियों में जाता है। -सुरेश सिंह
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