गोशालाओं में धूप और लू से बचाव के इंतजाम नाकाफी
Mau News - मऊ जिले में 52 पशुआश्रय स्थल हैं, जहाँ लगभग 3700 गोवंश संरक्षित हैं। गर्मी से बचाव के लिए व्यवस्थाएं नाकाफी हैं, जिससे पशु बीमार हो रहे हैं। जिलाधिकारी ने व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए हैं, लेकिन...

मऊ। जिले में छुट्टा गोवंशीय पशुओं को सुरक्षित करने के लिए 52 पशुआश्रय स्थल संचालित हैं। इसमें दो वृहद गोआश्रय स्थल और 51 अस्थाई गोआश्रय संचालित हैं, जिसमें लगभग 3700 गोवंश वर्तमान में संरक्षित हैं। इन पशुआश्रय स्थलों पर इस समय पड़ रही भीषण गर्मी से पशुओं के बचाव के इंतजाम नाकाफी हैं। ऐसे में तपती टिनशेड और छाया का अभाव पशुओं को बीमार कर रही है। जिलाधिकारी के निर्देश के बावजूद अबतक अधिकतर पशुआश्रय स्थलों पर न तो जूट के बोरे लगाए गए हैं और न ही टिनशेड की छत को सफेद पेंट किया गया है। साथ ही हरे चारे के अभाव में पशु केवल सूखा भूसा खाने को विवश हैं। ऐसे में पौष्टिक चारे के अभाव में यह पशु आए दिन कमजोर हो रहे हैं।
दोहरीघाट संवाद के अनुसार ब्लाक क्षेत्र के पाउस गोशाला में सूखा भूसा खाने को गोवंश विवश हैं। इस गर्मी के बीच सूखा भूसा खाने से गोवंश बीमार हो रहे हैं। हालांकि, गोशाला पर्याप्त मात्रा में भूसा, चोकर, गुड़ आदि रखा गया है, लेकिन हरा चारा नहीं मिल रहा है। वहीं टिनशेड के नीचे लू से झुलस भी रहे हैं। पाऊस गोशाला में कागजों में तो कुल 70 गोवंश संरक्षित हैं। टिनशेड के नीचे अबतक घास भी नहीं लगाई गई और न ही उसे चारों तरफ से त्रिपाल से ढका ही गया, जिससे तेज धूप और लू से गोवंशों का बचाव हो सके। वहीं, परिसर में गोवंशों के बैठने के लिए एक भी पेड़ नहीं है। ऐसे में गोवंश तेज धूप में बैठकर बीमार हो रहे हैं।
घोसी संवाद के अनुसार तहसील अंतर्गत मझवारा क्षेत्र के बाजार से पश्चिम घोसी मझवारा मार्ग पर स्थित सरस हाट में बनाए गए पशु आश्रय स्थल में सोमवार की दोपहर यहां ड्यूटी में तैनात सफाई कर्मचारी पशुओं की नाद में सूखा भूषा और पानी डालकर बाहर से गेट का ताला बंदकर नदारद रहे। पशु आश्रयस्थल में टिनशेड और छाया के लिए तिरपाल की व्यवस्था तो है, लेकिन पशुओं के चारे पानी की व्यवस्था आवयश्कतानुसार नाकाफी साबित हो रही है। पशु आश्रय स्थल में करीब दो दर्जन आवारा पशु रखे गए हैं, जबकि दर्जनों की संख्या में आवारा पशु बाजार और आसपास के क्षेत्रों में घूमते हुए दिखाई देते हैं।
चिरैयाकोट संवाद के अनुसार चिरैयाकोट नगर के रसूलपुर वार्ड स्थित अस्थायी पशुआश्रय में 18 और ग्राम भोगवा जलालपुर/अलीनगर पशु आश्रय में 44 पशु, ग्राम खीलवा/जसड़ा में 120 पशु, ग्राम कमरवां में 48 पशु सहित क्षेत्र के कुल चार पशु आश्रयों मे 230 पशु पल रहे हैं, जिन्हें गर्मी और लू से बचाव के लिए अभी किए गए इंतजाम नाकाफी दिख रहे हैं। जिलाधिकारी के निर्देश के बाद भी अबतक न तो टिनशेड के अंदर की छत को सफेद पेंट किया गया है और न ही जूट के बोरे से कवर किया गया है, जिससे इस समय पड़ रही भीषण गर्मी में पशुओं को परेशान होना पड़ रहा है, जबकि पशु चिकित्सकों द्वारा समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण और विटामिन सम्बंधित आवश्यक दवा उपचार दिया जाता है। जिसके चलते सभी पशु स्वास्थ होने के बावजूद भी गर्मी से बेहाल हैं।
बीडीओ को भूसा क्रय कर भंडारण के निर्देश
मऊ। जिलाधिकारी प्रवीण मिश्र ने विगत शुक्रवार को विकासखंड रतनपुरा स्थित वृहद गोआश्रय स्थल कुड़वा का आकस्मिक निरीक्षण किया था। उन्होंने निराश्रित गोवंशों को गर्मी से बचाव के लिए सारी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। साथ ही टिनशेड को सफेद पेंट कराने के साथ ही गोआश्रय स्थल के चारों तरफ लगाए गए कवर पर पानी का छिड़काव करते रहने के निर्देश दिया था। गेहूं की कटाई के बाद अधिक से अधिक भूसा दान से प्राप्त कर एवं सस्ती दर पर क्रय कर भंडारण करने के लिए सभी खंड विकास अधिकारियों एवं अधिशासी अधिकारियों (नगर निकाय) को निर्देशित किया था।
पशुओं को छाया में रखने के निर्देश हैं : अधिकारी
जिले में संचालित 53 गोआश्रय स्थलों में लगभग 3700 मवेशी रखे गए हैं। इस समय पड़ रही गर्मी में पशुओं को नहलाते रहने के साथ ही पानी पिलाने और पशुओं को छाया में रखने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही जिलाधिकारी के निर्देशानुसार सभी व्यवस्थाएं एक सप्ताह के अंदर दुरुस्त कर लिया जाएगा।
- डॉ. नवीन कुमार, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, मऊ
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