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मेरठ : वकालत का विज्ञापन नहीं, प्रचार पर रोक

Meerut News - बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने कानूनी पेशे में नैतिकता बनाए रखने के लिए वकालत के विज्ञापनों पर रोक लगाई है। बीसीआई ने मशहूर हस्तियों और इन्फ्लुएंसर्स के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया है। नियमों के...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठWed, 19 March 2025 07:07 AM
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मेरठ : वकालत का विज्ञापन नहीं, प्रचार पर रोक

कानूनी पेशे में पवित्रता एवं नैतिक मूल्यों को कायम रखने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने कार्रवाई शुरू कर दी है। बीसीआई ने वकालत के विज्ञापन पर रोक लगाते हुए इसके प्रचार-प्रसार में बालीवुड अभिनेता, मशहूर हस्तियों एवं इन्फ्लूएंशर का प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया है। इन नियमों के उल्लंघन पर ना केवल विधिक कार्रवाई होगी बल्कि पंजीकरण भी रद्द हो सकता है। अधिवक्ता अपने पेशे से संबंधित बैनर, प्रचार सामग्री या डिजिटल विज्ञापनों का प्रयोग नहीं कर सकेंगे। बीसीआई ने इन्हें तत्काल हटाने को कहा है। बीसीआई के प्रिंसिपल सेक्रेटरी श्रीमंतो सेन ने सोमवार को उक्त निर्देश जारी करते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए। कड़े निगरानी तंत्र स्थापित करने की सिफारिश

बीसीआई ने अधिवक्ताओं के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कानूनी कार्य करने के लिए सोशल मीडिया या डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी कानूनी सामग्री के लिए कड़े निगरानी तंत्र स्थापित करने की सिफारिश की है।

आ सकते हैं अवमानना के दायरे में

बीसीआई के अनुसार नियमों के उल्लंघन पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। इसमें नामांकन निलंबित या रद्द किया जा सकता है। अवमानना की कार्यवाही के लिए प्रकरण सुप्रीम कोर्ट भेजा जा सकता है। अनैतिक सामग्री हटाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी कार्रवाई हो सकती है। बीसीआई के अनुसार अधिवक्ताओं को नैतिक दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए और यह तय करना चाहिए कि उनका अभ्यास ईमानदारी, गरिमा एवं पेशेवर अखंडता का उदाहरण बने।

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कानूनी पेशा विश्वास और आस्था का पर्याय है। सोशल मीडिया के जमाने में आधा सच, आधा झूठ सामने आता है। कानूनी पेशे की गरिमा बनी रहे, इसके लिए आवश्यक है कि अनैतिक प्रचार-प्रसार पर समय रहते रोक लगे। बीसीआई के इस कदम के बाद कानूनी पेशे में एक विश्वास और न्याय कायम होगा। इस पेशे से जुड़े लोगों का भी नैतिक दायित्व है कि वो मर्यादा और कानून के अनुरूप आचरण करें।

-नितिन यादव, एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट

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बार काउंसिल ऑफ इंडिया एक संवैधानिक संस्था है, जिसे एडवोकेट्स के लिए नियम बनाने की शक्ति है। पूर्व में बने नियमों को संशोधित करने की भी शक्ति है। बार काउंसिल के सभी नियम बार काउंसिल ऑफ यूपी एवं सभी वकीलों पर लागू होता है। सभी को माना जाना भी चाहिए। -रोहिताश अग्रवाल सदस्य एवं पूर्व अध्यक्ष बार काउंसिल ऑफ यूपी

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